नई दिल्ली
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के इंडिया–अरब कल्चरल सेंटर (IACC) ने 22–23 दिसंबर 2025 को ‘सरदार वल्लभ भाई पटेल: व्यक्तित्व, कृतित्व और भारतीय मुसलमान’ विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। उद्घाटन सत्र 22 दिसंबर को IACC के कॉन्फ्रेंस हॉल में संपन्न हुआ। कुरआन की तिलावत के बाद IACC के निदेशक प्रो. नासिर रज़ा खान ने अतिथियों का स्वागत करते हुए सम्मेलन के उद्देश्य और प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।
उद्घाटन सत्र में Jamia Millia Islamia के कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ, प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय सोसायटी के सदस्य डॉ. रिज़वान कादरी, ओमान दूतावास के श्री याह्या अलदुघैशी, सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रो. मोहम्मद मुस्लिम खान, एएमयू के इतिहासकार प्रो. मोहम्मद सज्जाद सहित देश–विदेश के विद्वान उपस्थित रहे। प्रो. नासिर रज़ा खान ने सम्मेलन को सह-वित्तपोषण देने के लिए ICHR तथा जामिया प्रशासन के प्रति आभार जताया।
सम्मेलन का उद्देश्य Sardar Vallabhbhai Patel की विरासत को सांप्रदायिक सद्भाव और भारतीय मुसलमानों के साथ उनके संबंधों के संदर्भ में नए दृष्टिकोण से समझना रहा। प्रो. खान ने बताया कि निज़ामुद्दीन दरगाह के इतिहास पर शोध के दौरान 1947 में पटेल के दौरे और दरगाह की सुरक्षा सुनिश्चित करने की भूमिका ने इस विषय पर विमर्श की प्रेरणा दी।
मुख्य वक्ता डॉ. रिज़वान कादरी ने सरदार पटेल के जीवन से जुड़ी कई कम-ज्ञात घटनाओं पर प्रकाश डालते हुए शोधार्थियों से प्राथमिक स्रोतों—विशेषकर क्षेत्रीय और स्थानीय अभिलेखों—की ओर लौटने का आग्रह किया। ओमान दूतावास के श्री अलदुघैशी ने भारत–ओमान संबंधों के परिप्रेक्ष्य में पटेल और भारतीय मुसलमानों के रिश्तों को रेखांकित किया।
कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ ने गुजराती सहित क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध प्राथमिक स्रोतों से पटेल की भूमिका के अध्ययन पर ज़ोर देते हुए कहा कि उनके योगदान को केवल धार्मिक पहचान से नहीं, बल्कि राष्ट्र-निर्माण में किए गए कार्यों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। सत्र का समापन डॉ. आफताब अहमद के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।






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