पुणे : अलखैर ने तैयार किया मुफ्त स्टडीरूम, बदल गया स्लम के बच्चों के पढ़ने का तरीका

Story by  शाहताज बेगम खान | Published by  [email protected] | Date 20-04-2022
पुणे : अलखैर ने तैयार किया मुफ्त स्टडीरूम, बदल गया स्लम के बच्चों के पढ़ने का तरीका
पुणे : अलखैर ने तैयार किया मुफ्त स्टडीरूम, बदल गया स्लम के बच्चों के पढ़ने का तरीका

 

शाहताज खान/ पुणे

इंसान की जिंदगी बगैर तालीम के अधूरी ही मानी जाती है. लेकिन अभी भी समाज में सभी के लिए शिक्षा हासिल करना कठिन है. ऐसे में शिक्षा प्राप्त करने के मार्ग में आने वाली रुकावटों को दूर करने की एक पहल पुणे के अल खैर ग्रुप ने भी की है.

इस समूह ने बुनियादी सुविधाओं के साथ मुफ़्त स्टडी रूम का इंतज़ाम करके गरीब बच्चों और शिक्षा के बीच की दूरी को कम करने की मुहिम चलाई है. वह स्लम बस्तियों में जाकर बच्चों और उनके अभिभावकों को शिक्षा का महत्त्व समझा रहे हैं और उन्हें पढ़ाई-लिखाई के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

पुणे के अल खैर ग्रुप ने दखा कि दस बाई दस की खोली में रहते हुए पढ़ाई के लिए शान्त और उचित वातावरण बच्चों को मिलना असंभव है. छोटे-छोटे घरों में अंदर और बाहर इतना शोर होता है कि उनके लिए एकाग्रता के साथ पढ़ाई करना मुश्किल हो जाता है. इसलिए उन्होंने बच्चों के लिए न केवल स्टडी रूम का प्रबन्ध किया बल्कि साथ ही बच्चों के लिए पौष्टिक आहार का भी प्रबंध किया.

स्टडी के लिए काशीवाडी, लोहिया नगर, भवानी पेठ, गंजपेठ, इंदिरा नगर और ऐसे ही बहुत-सी स्लम बस्तियों से बड़ी संख्या में बच्चों ने इस सुविधा का लाभ उठाना शुरू किया. अल खैर ग्रुप के अध्यक्ष अब्दुल गफ्फार शेख कहते हैं, “पहले हम ने एक स्टडी रूम तैयार किया था जिस में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए थे. कई बच्चे दिन में काम करते थे और रात में अपने इम्तिहान की तैयारी करते थे, इसलिए कई बच्चों को हमने स्टडी रूम की चाबी दे दी थी ताकि वह अपनी सुविधा के अनुसार अपनी पढ़ाई कर सकें.”

उपाध्यक्ष अफ़सर शेख़ बताते हैं,“हमने शुरू में बच्चों के लिए केवल नाश्ते का प्रबंध किया था लेकिन बहुत जल्द हमने महसूस किया कि कुछ बच्चे पूरे दिन पढ़ाई कर रहे हैं तो तुरन्त उन बच्चों के लिए पौष्टिक आहार का भी इंतजाम किया.”

जाहिर है, इन कदमों का असर बच्चों पर सकारात्मक रूप से पड़ा है. समूह के सचिव समीर शेख़ कहते हैं, “दुनिया के हर जरूरतमंद की सहायता करना संभव नहीं है. मगर जो हमारे सामने हैं उनकी सहायता तो हम कर ही सकते हैं.”

समूह से जुड़े लोग मानते हैं कि इस मदद के जरिए वह किसी पर अहसान नहीं कर रहे हैं हम लोग तो केवल उन बच्चों की सहायता करने की कोशिश कर रहे हैं. गफ्फार शेख़ कहते हैं, “हमारा एक ही लक्ष्य है कि हम जरूरतमंद व्यक्ति की सहायता इस तरह करें कि जिस से वह न केवल अपनी और अपने परिवार की मदद कर सकें बल्कि आगे चलकर वो दूसरों की मदद करने के काबिल बन सकें.”

स्टडी रूम की सहूलियत का लाभ उठाने वाले आदित्य कहते हैं, “मैं बारहवीं की परीक्षा की तैयारी करने के लिए पिछले एक महीने से यहां आ रहा हूं. पहले मैं ने एक स्टडी रूम में एक डेस्क किराए पर लिया हुआ था. लेकिन अब किराया देना मुश्किल हो रहा था.”दसवीं कक्षा का इम्तहान दे रहे नफीस बताते हैं कि कोविड के कारण उसके पिता गुज़र गए और घर की जिम्मेदारी अचानक ही उसे उठाना पड़ी. वह दिन में बच्चों को घर-घर जाकर ट्यूशन पढ़ाता है और शाम में स्टडी रूम में आ कर अपनी परीक्षा की तैयारी करते हैं.

एक अन्य छात्रा नईमा शेख़ कहती है कि वह यहां बेफिक्र होकर पढ़ाई करती हैं. वह पिछले दो महीनों से यहां आ रही हैं. उनका कहना है कि बारहवीं के इम्तहान के बाद वह प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए भी यहां आते रहना चाहती हैं.

यह सुविधा पूरे साल भर उपलब्ध रहती है. अब्दुल गफ्फार शेख़ बताते हैं, “पहले हम ने सोचा था कि बच्चों को केवल परीक्षा के समय ही यह सुविधा उपलब्ध कराएंगे लेकिन कुछ बच्चे जो विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं उन के लिए अब पूरे वर्ष दिन के 24 घण्टे यह स्टडी रूम खुले रहेंगे.”