मदरसा और मुख्यधारा की शिक्षा के बीच की दूरी खत्म करना हमारी कोशिश : अब्दुल कदीर

Story by  मोहम्मद अकरम | Published by  [email protected] | Date 05-03-2024
Our effort is to bridge the gap between Madrasa and mainstream education, Abdul Kadir
Our effort is to bridge the gap between Madrasa and mainstream education, Abdul Kadir

 

मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली
 
मौजूदा वक्त नई तकनीक और मुख्यधारा की शिक्षा हासिल करना हमारे लिए बहुत जरूरी है. हमारे बीच मदरसे बहुत है, लेकिन उसमें नई तकनीक की शिक्षा बहुत कम दी जाती हैं. मदरसा और मुख्यधारा की शिक्षा के बीच जो दूरी है उसे खत्म करने की हमारी मुहिम है जिसमें हमें लोगों का सहयोग मिल रहा है. हमने देशभर के दर्जनों मदरसों के हाफिज ए कुरान को मुख्यधारा की शिक्षा से जोड़ा है. यह कहना है शाहीन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डॉ अब्दुल कदीर का.

उन्होंने कहा, मदरसा प्लस अठारह महीने का कार्यक्रम है जो विशेष कर स्कूल छोड़ने वाले या कभी स्कूल नहीं जाने वाले के लिए तैयार किया गया है. जिनमें मदरसा के बच्चों को दसवीं क्लास में उत्तीर्ण होने का मौका प्रदान करता है.

उन्हें बुनियादी शिक्षा देने और आवश्यक शैक्षणिक योग्यता हासिल करने के लिए ब्रिज कोर्स और व्यक्तिगत शिक्षण कक्षाएं आयोजित की जाती हैं. ये बातें शाहीन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डॉ अब्दुल कदीर ने दिल्ली के ओखला इलाके के अबुल फजल में शाहीन ग्रुप के नये शाख के उद्घाटन समारोह में कहीं.
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बच्चों की रहनुमाई कर नई शिक्षा से जोड़ना
 
डॉ अब्दुल कदीर ने कहा कि शाहीन संस्था में जहां मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को एक नई राह दिखाने की कोशिश की जाती है और जिससे हमारी टीम कामयाब है. हमारी कोशिश होती है जो बच्चे पढाई के खर्चे को बर्दाश्त नहीं करते हैं, या जो फेल हो गए हैं उनकी रहनुमाई करके नई तकनीक से जोड़ा जाए, पूरे देश में अब तक हमारे दर्जनों शाखें हैं जिसमें मेडिकल की शिक्षा प्रदान की जा रही है. शाहीन ग्रुप की कोशिश है कि लड़कियों को शिक्षा के क्षेत्र में नई राह दिखाते हुए उसे आत्मनिर्भर बनाया जाए.
 
मुख्यधारा की शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना जरूरी
 
राज्यसभा के पूर्व सदस्य शाहिद सिद्दीकी ने कहा कि शाहीन ग्रुप के चेयरमैन डा अब्दुल कदीर जिस तरह काम कर रहे हैं उसकी जरुरत पूरे देश में है. यहां मैंने देखा है कि एक ही कैंमप्स में बीदर के अंदर बेहतरीन शिक्षा प्रदान की जा रही हैं.

शाहिद सिद्दीकी ने कहा कि दुनिया में अगर कामयाब होना है, वक्त से मुकाबला करना है तो सबसे पहले शिक्षा को और मुख्यधारा की शिक्षा पे ध्यान केंद्रित करना जरूरी है. अगर आप अच्छी अंग्रेजी बोलते हैं तो विदेश में अच्छी नौकरी मिल रही है. इसलिए जरूरत है कि आधुनिक शिक्षा पर ज्यादा ध्यान दें.
 
इस्लामिक शिक्षा के साथ दुनियावी भी जरुरी
 
मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना तौकीर रजा ने अपने संबोधन में कहा कि अब्दुल कदीर साहब बहुत अच्छा काम कर रहे है. मदरसों के जिम्मेदारों को जरुरत है कि वह भी खुद को आधुनिक शिक्षा से जुड़े, आप इस्लामिक शिक्षा हासिल कीजिए और साथ साथ दुनियावी शिक्षा भी वक्त की दरकार है.तौकीर रजा ने शाहीन ग्रुप को बरेली इलाके में इस तरह के काम करने की दावत भी दी.
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मदरसों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ना


 
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता कासिम रसूल इलियास ने कहा कि शाहीन ग्रुप जिस अंदाज से काम कर रहा है वह बहुत पहले हो जाना चाहिए लेकिन हमें मायूस नहीं होना चाहिए. आज का दौर नई शिक्षा तकनीक का है, मदरसे हमारे पास बहुत है, जरूरत है कि उसे आधुनिक शिक्षा से भी जोड़ा जाए. इससे ये फायदा होगा कि हमारे बच्चे एक साथ दोनों तालीम हासिल कर लेंगे, जिससे भविष्य में रोजगार के लिए परेशानी नहीं होगी.
 
डॉ अब्दुल कदीर ने इस शाखा के बारे में बताया कि यहां सिर्फ लड़कियों के लिए व्यवस्था किया गया है. एक ही छत के नीचे उन्हें बुनियादी शिक्षा के बाद जो नई तकनीक की शिक्षा है प्रदान की जाएगी, इसके अलावा नीट की भी तैयारी की जाएगी.मौके पर इसके अलावा दूसरे कई वक्ताओं ने समारोह को संबोधित किया.