मदरसों में गैर-मुस्लिम बच्चों की शिक्षा पर एनसीपीसीआर को आपत्ति

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 20-01-2023
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को उत्तर प्रदेश राज्य मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष के बयान पर ऐतराज
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को उत्तर प्रदेश राज्य मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष के बयान पर ऐतराज

 

आवाज द वॉयस /नई दिल्ली

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने उत्तर प्रदेश राज्य मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद के बयान का कड़ा नोटिस लिया है. जिसमें उन्होंने कहा था कि मदरसों में गैर-मुस्लिम छात्र भी पढ़ सकेंगे.

उत्तर प्रदेश आयोग के अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ विभाग के विशेष सचिव को भेजे नोटिस में कहा गया है कि डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने अप्रासंगिक और विरोधाभासी बयान दिए हैं.यूपी राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष के उस बयान से पूरी तरह असहमत हूं जो न सिर्फ बच्चों के संवैधानिक अधिकारों का हनन है, बल्कि आयोग का भी अपमान है.

आपसे अनुरोध है कि इस मामले में आईटीआईडी पत्र पर आयोग की सिफारिशों के अनुसार तत्काल उचित कार्रवाई करें और इस पत्र की प्राप्ति के 03दिनों के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट आयोग को प्रस्तुत करें.याद रहे है कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग  की स्थापना मार्च 2007 में संसद के एक अधिनियम (दिसंबर 2005) के तहत बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत की गई थी.

आयोग का जनादेश यह सुनिश्चित करना है कि सभी कानून, नीतियां, कार्यक्रम और प्रशासनिक प्रणालियां भारत के संविधान के साथ बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में निहित बाल अधिकारों की दृष्टि के अनुरूप हैं.एक व्यक्ति के रूप में 0से 18तक के बच्चे की परिभाषा वर्षों के आयु समूह में.

आयोग राज्य, जिला और ब्लॉक स्तरों पर वर्णनात्मक प्रतिक्रियाओं सहित राष्ट्रीय नीतियों और कार्यक्रमों में प्रत्येक क्षेत्र की विशेषताओं और शक्तियों को ध्यान में रखते हुए एक अधिकार-आधारित दृष्टिकोण की परिकल्पना करता है. इसके लिए इसका उद्देश्य समुदायों और परिवारों में गहराई तक पहुंचना है.