डॉ. असलम के मदरसे में मुस्लिम लड़कियां सीख रहीं कंप्यूटर, हिन्दू बच्चे सीख रहे उर्दू

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 04-09-2021
मुस्लिम लड़कियां सीख रहीं कंप्यूटर
मुस्लिम लड़कियां सीख रहीं कंप्यूटर

 

मुकुंद मिश्र/ लखनऊ

मदरसे का नाम सुनते ही दुनिया की तमाम तरक्की से बेखबर दीनी तालीम लेते मुस्लिम बच्चों की तस्वीर जेहन में उभर आती है. लेकिन, लखनऊ के काकोरी में डॉ. असलम ने मदरसे में आधुनिक शिक्षा के नये रंग भर दिये हैं. उनके मदरसे में लड़कियां कंप्यूटर सीख रही हैं तो हिन्दू बच्चे भी उर्दू सीख रहे हैं.

कुछ दिन पहले पीएम मोदी ने अल्पसंख्यक बच्चों के भविष्य की चिंता करते हुए उन्हें आधुनिक और तकनीकी शिक्षा से जुड़ा हुआ देखने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि वे अल्पसंख्यक बच्चों के एक हाथ में कुरान और दूसरे में लैपटॉप देखना चाहते हैं.

मुस्लिम जमात की तरक्की के इस सपने को जमीन में उतारने का काम लखनऊ के डॉ. असलम अंजाम दे रहे हैं. उनके मरदसे में दीनी तालीम के साथ-साथ मुस्लिम बच्चे कंप्यूटर चलाना सीख रहे हैं. इस आधुनिक मदरसे की एक और खासियत यह है कि यहां न केवल मुस्लिम बच्चे पढ़ते हैं बल्कि हिन्दू परिवारों के बच्चे भी हिंदी, इंग्लिश, मैथ्स, साइंस, सोशल स्टडीज पढ़ रहे हैं. उर्दू में दिलचस्पी रखने वाले हिन्दू बच्चे इसका सबक भी सीख रहे हैं.

आधुनिक तालीम से लैस इस मदरसे में एनसीईआरटी की किताबों के जरिये बच्चे मौजूदा कांपटीटिव दौर के लायक खुद को तैयार कर रहे हैं. यहां आने वाले अल्पसंख्यक वर्ग के किसी बच्चे की आंखों में डॉक्टर बनने का सपना पल रहा है तो कोई साइंटिस्ट और इंजीनियर बनने का ख्वाब संजो रहा है.

मदरसा चलाने वाले मदरसा संचालक डॉ. असलम का कहना है कि इन बच्चों को जितना ज्यादा निखारा जाएगा आने वाला भविष्य उतना ही उज्ज्वल होगा. उनके मरदसे में हिन्दू टीचर उर्दू का सबक पढ़ाती हैं तो मुस्लिम टीचर अंग्रेजी और हिंदी धड़ल्ले से पढृा रही हैं. डॉ. असलम भी मानते हैं कि शिक्षा का न तो मजहब होता है न ही कोई बंदिश इसीलिए मदरसे में विविधता में एकता की बात सबको साफ नजर आ रही है.