जामिया तजवीदुल क़ुरान: यहां के बच्चों ने बोर्ड एग्जाम में कैसे गाड़े झंडे यहां जानिए ?

Story by  शाहताज बेगम खान | Published by  [email protected] | Date 12-07-2022
जामिया तजवीदुल क़ुरान: यहां के बच्चों ने बोर्ड एग्जाम में कैसे गाड़े झंडे यहां जानिए ?
जामिया तजवीदुल क़ुरान: यहां के बच्चों ने बोर्ड एग्जाम में कैसे गाड़े झंडे यहां जानिए ?

 

शाहताज बेगम खान/ मुंबई

अंजाम उसके हाथ है आगाज़ करके देखो

भीगे हुए परों से परवाज़ करके देखो

मुम्बई मलाड में स्थित जामिया तजवीदुल क़ुरान और नूर मेहर उर्दू हाई स्कूल अपने 22हाफिजे क़ुरान बच्चों की अभूतपूर्व सफलता के कारण ख़ूब सुर्खियां बटोर रहा है. इन बच्चों ने न केवल क़ुरान हिफ्ज किया बल्कि साथ ही एस एस सी में भी शानदार प्रदर्शन किया.

दसवीं कक्षा की परीक्षा में 22 बच्चे बैठे थे और सभी ने कामयाबी हासिल कर सिद्ध कर दिया कि अगर मेहनत और लगन के साथ प्रयास किया जाए तो कामयाबी क़दम चूमती है.

 

शिक्षा से ही मिल सकता है सर्वोपरि सम्मान

जामिया तजवीदुल क़ुरान दूसरे मदरसों से भिन्न है. यहां दीनी तालीम के साथ आधुनिक शिक्षा का भी उचित प्रबंध है. इस मदरसे में तालीम हासिल करने वाले बच्चे क़ुरान हिफ्ज़ करने के साथ साथ स्कूल की शिक्षा भी प्राप्त करते हैं.

एक ही बिल्डिंग में दीन और दुनिया, दोनों ही तालीम का इंतज़ाम है. इसी लिए सिर पर हाफिज की दस्तारबंदी के साथ ही हाथों में दसवीं पास का सर्टिफिकेट इन बच्चों के हौसले बुलंद करता है.

स्कूल की प्रिंसिपल शाज़िया साजिद खान कहती हैं, “इस इदारे की पहचान यही बैलेंस है. यहां दीनी और दुनियावी दोनों ही तालीम को अहमियत दी जाती है.”उन्होंने कहा कि दोनों ही तालीम हासिल करना ज़रूरी है. जीवन में आगे बढ़ना और कामयाब जीवन जीने के लिए आधुनिक शिक्षा के साथ अगर धार्मिक शिक्षा का भी उचित ज्ञान हो तो दीन और दुनिया दोनों में कामयाबी मिलती है.

बिना परिश्रम ज्ञान नहीं मिलता

सफलता का रास्ता शिक्षा से हो कर ही गुजरता है. यह भी सत्य है कि आपको वो नहीं मिलता जिसकी आप इच्छा करते हैं, बल्कि आपको वो मिलता है जिसे हासिल करने की आप तैयारी करते हैं, कोशिश करते हैं. यही कोशिश जामिया तजवीदुल क़ुरान के हाफिजों ने की.

अबू तलहा हों या मुहम्मद दिलशान या फिर हुज़ैफा, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी शानदार प्रदर्शन करते हुए सिद्ध किया कि मेहनत करने वालों की हार नहीं होती. लॉक डॉउन में बच्चों की परीक्षा की तैयारी में समस्याएं पैदा हुईं लेकिन उन्होंने ऑन लाइन पढ़ाई के सहारे ही इम्तहान की तैयारी की.

अबू तलहा का कहना है कि स्कूल बंद थे हमें पढ़ाई में बहुत मुश्किल हो रही थी लेकिन हम सभी ने हिम्मत नहीं हारी और पूरी ईमानदारी और मेहनत का नतीजा है कि हमारे जितने साथी इम्तहान में बैठे थे सभी ने कामयाबी हासिल की है. इन कामयाब छात्रों में से अधिकतर साइंस ले कर अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहते हैं कोई इंजीनियर तो कोई बी फार्मा में कैरियर बनाने की ख्वाहिश रखते हैं.

जीवन की नींव

कहा जाता है कि अगर आप विकास करना चाहते हैं तो लागातार ख़ुद को शिक्षित करते रहिए. दीनी और दुनियावी दोनों ही तालीम का अनूठा संगम जामिया तजवीदुल क़ुरान और नूर मेहर उर्दू हाईस्कूल की शक्ल में हमारे समक्ष प्रस्तुत है.

आम तौर पर मदरसों में जिस तरह की तालीम दी जाती है उससे वह आधुनिक शिक्षा से दूर रह जाते हैं और जब वह प्रैक्टिकल लाइफ़ में क़दम रखते हैं तो मायूसी उनके हाथ लगती है. जबकि अगर उन्हें दीनी तालीम के साथ दुन्यावी तालीम एक साथ दी जाए तो वह भी किसी से पीछे नहीं रहेंगे.

तालीम से ही बदलेगी कौम की तक़दीर

नूर मेहर उर्दू हाई स्कूल की प्रिंसिपल शाज़िया साजिद खान का कहना है कि हमारे स्कूल के हर दिन की शुरुआत राष्ट्रीयगान से ही होती है. यहां पर तालीम हासिल करने वाले बच्चे दोहरी मेहनत करते हैं.

एक बच्चे ने अपना पूरे दिन का शेड्यूल बताया कि वह सब किस तरह पढ़ाई करते हैं. सुबह सवेरे उठ कर नहा धोकर फजर की नमाज़ पढ़ते हैं और फिर दीनी तालीम की क्लास होती है. उसके बाद स्कूल जाते हैं और एक बजे तक स्कूल में पढ़ाई करते हैं. स्कूल से छुट्टी के बाद दोपहर का खाना फिर थोड़ा आराम और एक बार फिर से स्कूल और मदरसे में की गई पढ़ाई का रिवीजन और किसी काम के लिए हमारे पास कोई समय नहीं है.

परन्तु वह खुश हैं कि उनकी मेहनत रंग लाई है वह हाफिज भी हैं और दसवीं पास भी. एसएससी के इम्तिहान में मिलने वाली सफलता ने इन बच्चों में जोश भर दिया है और वह आगे भी अपनी शिक्षा जारी रखने की तैयारियों में जुट गए हैं.

मदरसों में आधुनिक शिक्षा का भी उचित प्रबंध किया जा सकता है. जिसका जीता जागता उदाहरण जामिया तजवीदुल क़ुरान और नूर मेहर उर्दू हाई स्कूल के रूप में हमारे समक्ष है. जहां के फारिग बच्चे दीन और दुनिया दोनों ही मैदान में अपनी काबिलियत के जौहर दिखा रहे हैं.

उम्मीद की जा सकती है कि इस तरह की सफ़लता की और भी कहानियां सुनने और पढ़ने के लिए मिलेंगी.