जामिया जिया उलूमः हजारों बच्चों के कोमल स्वरों से गूंज उठा ‘सारे जहां से अच्छा, हिंदोस्तां हमारा’

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 15-08-2022
जामिया जिया उलूमः हजारों बच्चों के कोमल स्वरों से गूंज उठा ‘सारे जहां से अच्छा, हिंदोस्तां हमारा’
जामिया जिया उलूमः हजारों बच्चों के कोमल स्वरों से गूंज उठा ‘सारे जहां से अच्छा, हिंदोस्तां हमारा’

 

मंसूरुद्दीन फरीदी/आवाज-द वॉयस

तिरंगा हमारी शान है, तिरंगा हमारी पहचान है, तिरंगा हमारे प्राण हैं. इसकी महिमा को नमन. इसी भावना के साथ अब बच्चे स्वतंत्रता दिवस के जश्न को लेकर काफी उत्साहित हैं. ‘हर घर तिरंगा अभियान’ के तहत बच्चों को न केवल झंडे दिए गए हैं, बल्कि राष्ट्रीय ध्वज के महत्व और उसके तीन रंगों के पीछे की कहानी के बारे में भी बताया गया. झंडे को फहराना हमारे लिए जरूरी है. हजारों बच्चों और उनके परिवारों को हर घर तिरंगा अभियान का हिस्सा बनाया गया है.

ये विचार जामिया जिया उलूम ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के प्रिंसिपल वाहिद अहमद ने व्यक्त किए. जिन्होंने हर घर तिरंगा अभियान के तहत बच्चों के साथ एक सुंदर कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें 1600 बच्चों ने न केवल ‘सारे जहां से अच्छा, हिंदोस्तां हमारा’ गीत से समां बांधा, बल्कि स्कूल प्रशासन ने भी हर बच्चे को घरों में लहराने के लिए प्राइज दिया. इस कार्यक्रम का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसके बाद सभी ने इस संगठित और सकारात्मक कार्यक्रम की सराहना की.

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पुंछ में जामिया जिया उलूम में हर घर तिरंगा अभियान कार्यक्रम


स्कूल से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर पाकिस्तान बॉर्डर यानि नियंत्रण रेखा है. जहां शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चों की संख्या तीन हजार है. इसमें एक मदरसा और एक स्कूल भी शामिल है, जहां धार्मिक और सांसारिक शिक्षा का संतुलन बनाया गया है, ताकि बच्चे आज के युग में आधुनिक शिक्षा से वंचित न रहें.

प्राचार्य वाहिद अहमद बंदे ने कहा कि हमने स्कूल और मदरसा के बच्चों के साथ एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित कर ‘हर घर तिरंगा अभियान को सफल बनाने के लिए इस तरीके को चुना था, जिसमें बच्चों ने ‘सारे जहां से अच्छा, हिंदोस्तां हमारा’ गाकर आसान गुंजा दिया. 

वाहिद बंदे के मुताबिक, तिरंगे का महत्व सभी जानते और समझते हैं..हमने बच्चों से कहा कि इस तिरंगे के लिए हमारे बुजुर्गों ने अपनी जान कुर्बान कर दी है और हम भी हर पल अपनी जान कुर्बान करने को तैयार हैं.

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स्कूली छात्राओं ने संरेखण से बनाया भारत का नक्शा


झंडा बड़ों के बलिदान का धर्म

‘आवाज-द वॉयस’ से बात करते हुए उन्होंने कहा कि स्कूल के इस कार्यक्रम ने बच्चों में काफी उत्साह पैदा किया है. साथ ही, उनके माता-पिता की ओर से बहुत सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है. हम बच्चों को यह बताने में सक्षम हैं कि इस ध्वज के तीन रंग हमारे बुजुर्गों के बलिदान का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिन्हें याद करने की आवश्यकता है और उनके संघर्ष को सलाम करने के लिए घरों पर तिरंगा फहराना एक सकारात्मक संकेत होगा.

उन्होंने कहा कि बच्चों को ज्ञान या ध्वज के महत्व से अवगत कराया गया, चाहे वह किसी राष्ट्र, धर्म या देश का हो. इसका सम्मान किया जाना चाहिए. इस बुनियादी ज्ञान और ज्ञान के कारण बच्चों में एक नया उत्साह भर गया है.

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अभियान में बच्चों ने पूरे उत्साह के साथ भाग लिया


उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी इसकी सराहना की है. सोशल मीडिया पर जमकर तारीफ हो रही है. राज्य प्रशासन ने भी तारीफ की है. अब ये बच्चे स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जिला मुख्यालय पर विशेष परेड और बैंड शो में हिस्सा लेंगे.

वाहिद अहमद बंदे, प्रिंसिपल, जामिया जिया उलूम ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस डिपार्टमेंट ऑफ स्कूल एजुकेशन के साथ-साथ प्रेसिडेंट प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन जिला पुंछ, ने भी पुंछ के स्कूलों को हर घर तिरंगा के लिए आयोजित किया.

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हमारा झंडा ऊंचा उड़े


जामिया जिया उलूम कहाँ है?

आपको बता दें कि जामिया जिया उलूम पुंछ की स्थापना 1974 में शहर पुंछ की पुरानी बगिलान मस्जिद में एक मदरसे के रूप में हुई थी.

बाद में, समय बीतने के साथ, समाज की दबाव की जरूरतों को देखते हुए, मदरसा जिया उलूम को जामिया जिया उलूम में विस्तारित किया गया, साथ ही जामिया के साथ एक प्राथमिक विद्यालय भी शुरू किया गया, जिसे बाद में अपग्रेड किया गया था. मिडिल स्कूल और अब हाई स्कूल, विज्ञान और कंप्यूटर शिक्षा प्रदान करते हैं. उपरोक्त के अलावा महिला शिक्षा के लिए ‘जमात-उल-तैयब’ भी शुरू किया गया है.

आधुनिक शिक्षा का महत्व

स्कूल प्रशासन के एक अधिकारी ने ‘आवाज-द वॉयस’ को बताया कि इस्लामी संस्थाओं का मुख्य उद्देश्य धर्म को प्रसारित करना, प्रकाशित करना और उसकी सेवा करना है, लेकिन यह इस्लामी विद्वानों की जिम्मेदारी है कि वे आधुनिक मांगों और तात्कालिकता को पूरा करें और इस्लाम ज्ञान के साथ फैलाएं.

महत्वपूर्ण बात यह है कि इस्लामी शिक्षा आधुनिक शिक्षा के बिना अधूरी है. इसलिए स्कूली शिक्षा विभाग की स्थापना जिया उलूम के प्रारंभ से ही की गई थी.

मौलाना वाहिद कहते हैं कि अक्सर यह देखा गया है कि आधुनिक शिक्षा छात्रों को इस्लामी शिक्षा के लिए प्रेरित करने में सहायक होती है, बशर्ते इसे समझदारी से अपनाया जाए. आधुनिक शिक्षा प्रणाली में, इस्लामी शिक्षा जैसे धर्मशास्त्र, अरबी, पवित्र कुरान, नाजरा और इस्लामी पाठ्यक्रम स्कूल प्रणाली में पढ़ने वाले छात्रों को प्रदान किए जा रहे हैं. अब इस्लामिक शिक्षा के साथ-साथ मानक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को ध्यान में रखते हुए, राज्य भर के लोग जामिया जिया उलूम स्कूल में प्रवेश पाने का प्रयास करते हैं. इस क्षेत्र ने अतीत में अच्छे परिणाम लाए हैं.

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प्राचार्य वाहिद अहमद बंदे ने हर घर में तिरंगा अभियान से बच्चों में राष्ट्रीय ध्वज के प्रति उत्साह का संचार किया