कर्नाटक में हिजाब पर लगा प्रतिबंध आज से हटेगा

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 23-12-2023
Hijab ban in Karnataka will be lifted from today
Hijab ban in Karnataka will be lifted from today

 

आवाज द वाॅयस/ बेंगलुरू
 
कर्नाटक में हिजाब पर लगा प्रतिबंध आज शनिवार से हटेगा. कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को इसका ऐलान एक समारोह में किया. हिजाब विवाद पिछले तकरीबन दो वर्षों से चल रहा है. मामला कर्नाटक हाई कोर्ट से होता हुआ सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था. 

इधर, कर्नाटक मंे सरकार बदलने के साथ ही हिजाब पर लगा प्रतिबंध हटाने की मांग उठने लगी थी. इस मांग को मानते हुए एक दिन पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री सीएम सिद्धारमैया ने 23 दिसंबर से हिजाब पर लगा प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है.
 
उन्होंने कहा, कपड़े, पहनावे, जाति के आधार पर समाज को बांटना सही नहीं है, इसलिए उन्हांेने अधिकारियों से हिजाब पर लगे प्रतिबंध को वापस लेने के आदेश दिया है.कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को कहा कि राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब (सिर पर स्कार्फ) पहनने पर प्रतिबंध 23 दिसंबर से हटा दिया जाएगा.
 
जब से यह खबर सोशल मीडिया पर आई है, एक वर्ग उनकी प्रशंसा कर रहा है.मुख्यमंत्री ने मैसूर में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा,“हम हिजाब प्रतिबंध वापस ले लेंगे. महिलाएं हिजाब पहनकर जा सकती हैं. मैंने अधिकारियों को प्रतिबंध आदेश वापस लेने का निर्देश दिया है. जो चाहो पहनो. जो चाहो खाओ. मैं धोती पहनता हूं, तुम पैंट-शर्ट पहनते हो. उसमें गलत क्या है? . ”
सिद्धारमैया ने एक पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा, वे कहते हैं सबका साथ, सबका विकास, लेकिन टोपी, बुर्का पहनने वालों और दाढ़ी रखने वालों को दरकिनार कर देते हैं. क्या उनका यही मतलब है ?”
 
जब भीड़ में से किसी ने हिजाब पहनने पर प्रतिबंध के बारे में पूछा, तो सीएम ने कहा, “ आप हिजाब पहन सकती हैं. मैंने (अधिकारियों को) निर्देश दिया है कि कल यानी शनिवार से कोई प्रतिबंध नहीं होगा. आप जो चाहें पहन और खा सकते हैं. यह आप पर निर्भर करता है.
 
उन्होंने आगे कहा,“आपकी पसंद आपकी है. मेरी पसंद मेरी है. यह बहुत आसान है. मुख्यमंत्री ने कहा, “कांग्रेस सरकार गरीबों, पिछड़े वर्गों, दलितों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए सत्ता में आई है. इस पर समझौता करने का कोई सवाल ही नहीं है.”
 
कर्नाटक में सरकार की पांच गारंटियों का जिक्र करते हुए, सिद्धारमैया ने कहा कि यह लाभ लोगों को जाति, धर्म और यहां तक कि “राजनीतिक विचारधारा” के बावजूद उपलब्ध हैं. हम कभी भेदभाव नहीं करते. 
 
शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध 

सबसे पहले 2022 में तत्कालीन सरकार द्वारा लगाया गया था.इस फैसले को कर्नाटक उच्च न्यायालय में कानूनी रूप से चुनौती दी गई, जिसने प्रतिबंध को बरकरार रखते हुए कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम का एक आवश्यक धार्मिक अभ्यास नहीं है. शैक्षणिक संस्थानों में जहां यह निर्धारित है, वहां समान ड्रेस कोड का पालन किया जाना चाहिए.
 
हिजाब विवाद की पृष्ठभूमि

हिजाब विवाद दिसंबर 2021 से उग्र हो गया था. कर्नाटक के उडुपी में एक प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की छात्रों को कॉलेज परिसर में उनके धार्मिक दायित्व के तहत हेडस्कार्फ (हिजाब) पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया था.
 
यह मुद्दा तब तूल पकड़ गया जब हिजाबी मुसलमानों को सिर पर स्कार्फ पहनने की अनुमति दिए जाने के विरोध में हिंदू छात्र भगवा स्कार्फ पहनकर अपने कॉलेजों में पहुंचे.कर्नाटक को इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए एक समिति बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा.
 
निर्णय आने तक छात्रों को हिजाब सहित कोई भी धार्मिक परिधान पहनने पर रोक लगा दी गई.हालांकि, राज्य भर में भगवाधारी छात्रों और मुसलमानों के कई विरोध प्रदर्शनों ने राज्य को कुछ दिनों के लिए स्कूलों और कॉलेजों को बंद करने के लिए मजबूर किया था.
 
हाई कोर्ट में कर्नाटक सरकार के प्रतिबंध के फैसले के खिलाफ हिजाब के समर्थन में कई याचिकाएं दायर की गयी थी. 16 मार्च, 2022 को मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जेएम खाजी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कर्नाटक सरकार के प्रतिबंध को बरकरार रखते हुए निष्कर्ष निकाला कि हिजाब इस्लाम में एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है.
 
हिजाब विवाद कब और कैसे

-कर्नाटक हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के उस फैसले को सही ठहराया था जिसमें स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहनने पर पाबंदी लगाई गई थी
-हाई कोर्ट के इसी फैसला को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.
- कर्नाटक के उडुपी जिले में एक जूनियर कॉलेज ने छात्राओं पर स्कूल में हिजाब पहनकर आने पर रोक लगा दी थी.
-01 जुलाई 2021 को गवर्नमेंट पीयू कॉलेज फॉर गर्ल्स ने तय किया था कि किस तरह की पोशाक को कॉलेज यूनिफॉर्म स्वीकार किया जाएगा. 
-छात्राओं को दिशानिर्देशों का पालन करने का आदेश दिया गया था.
-कोविड लॉकडाउन के बाद स्कूल खुला तो कुछ छात्राओं को पता चला कि उनकी सीनियर छात्राएं हिजाब पहनकर आया करती थीं. इन छात्राओं ने इस आधार पर कॉलेज प्रशासन से हिजाब पहनने की अनुमति मांगी.
-उडुपी जिले में सरकारी जूनियर कॉलेजों की पोशाक को कॉलेज डेवलपमेंट समिति तय करती है. स्थानीय विधायक इसके प्रमुख होते हैं.
-विधायक रघुवीर भट्ट ने मुसलमान छात्राओं की मांग नहीं मानी. उन्हें क्लास के भीतर हिजाब पहनने की अनुमति नहीं मिली.
-पिछले साल फरवरी में रघुवीर भट्ट ने कहा था, ये अनुशासन का विषय है. हर किसी को यूनिफॉर्म के नियमों का पालन करना चाहिए.
-नए दिशानिर्देशों के तहत मुसलमान छात्राओं के हिजाब पहनने पर रोक लगा दी गई थी.
-दिसंबर 2021 में छात्राओं ने हिजाब पहनकर कैंपस में घुसने की कोशिश की, लेकिन उन्हें बाहर ही रोक दिया गया.
-लड़कियों ने इसके बाद कॉलेज प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया.
- जनवरी 2022 में उन्होंने कर्नाटक हाई कोर्ट में हिजाब पर प्रतिबंध के विरूद्ध याचिका दायर की.
-हिजाब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.
-कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा था कि अनिवार्य नहीं है इस्लाम में हिजाब
-ये मामला शुरू तो उडुपी जिले से हुआ ,लेकिन जल्द ही जंगल की आग की तरह बाकी जिलों में फैल गया.
-शिवमोगा और बेलगावी जिलों में भी हिजाब पहनकर कॉलेज आने वाली मुसलमान छात्राओं पर रोक लगा दी गई.
-कोंडापुर और चिकमंगलूर में हिंदू और मुसलमान छात्रों के प्रदर्शन शुरू हो गए.
-एक वीडियो भी वायरल हुआ जिसमें हिजाब पहने कॉलेज जा रही छात्रा मुस्कान खान के खिलाफ नारेबाजी कर रहे छात्र दिख रहे थे.
-कर्नाटक हाई कोर्ट में हिजाब मामले पर सुनवाई शुरू होने के तीन दिन पहले मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की सरकार ने एक आदेश जारी करके सभी छात्रों के लिए कॉलेज प्रशासन की तरफ से तय यूनिफॉर्म को पहनना अनिवार्य कर दिया.
-आदेश में कहा गया कि तय पोशाक के अलावा कुछ और पहनने की अनुमति नहीं होगी. 
-आदेश में ये भी कहा गया कि निजी शिक्षा संस्थान तय कर सकते हैं कि छात्राओं से यूनिफॉर्म पहनने के लिए कहा जाए या नहीं.