जामिया का साइबर क्लब बनेगा राष्ट्रीय मॉडल: दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 24-07-2025
Jamia's cyber club will become a national model: Special Commissioner of Delhi Police
Jamia's cyber club will become a national model: Special Commissioner of Delhi Police

 

आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली

दिल्ली पुलिस के विशेष पुलिस आयुक्त अपराध प्रभाग  देवेश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा है कि जामिया का साइबर क्लब साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में एक मॉडल संस्था साबित हो सकता है. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में तेजी से बढ़ते साइबर अपराधों पर तकनीकी दक्षता से ही काबू पाया जा सकता है.

देंवेश चंद्र श्रीवास्तव जामिया में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी संकाय सभागार में एक अत्यंत प्रभावशाली कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने इस मौके पर फिशिंग, साइबर स्टॉकिंग, फ्रॉड कॉल्स, सोशल इंजीनियरिंग, मनी म्यूलिंग जैसे अपराधों पर भी प्रकाश डाला.

जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) के इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी संकाय सभागार में एक अत्यंत प्रभावशाली और दूरगामी महत्व वाला कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें दिल्ली पुलिस के विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध प्रभाग)  देवेश चंद्र श्रीवास्तव ने साइबर सुरक्षा पर एक जागरूकता व्याख्यान प्रस्तुत किया. यह व्याख्यान विश्वविद्यालय के डीन, छात्र कल्याण कार्यालय के तत्वावधान में गठित ‘साइबर क्लब’ के शुभारंभ समारोह का हिस्सा था.

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समारोह में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ मुख्य संरक्षक के रूप में उपस्थित रहे, जबकि रजिस्ट्रार प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिज़वी ने संरक्षक की भूमिका निभाई.

इस अवसर पर दिल्ली पुलिस के दक्षिण-पूर्वी जिले के डीसीपी डॉ. हेमंत तिवारी विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहे. कार्यक्रम में कई आईपीएस अधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, विभिन्न संकायों के डीन, विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य, गैर-शैक्षणिक कर्मचारी एवं विश्वविद्यालय तथा संबद्ध स्कूलों के छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित थे.

इस कार्यक्रम का समन्वयन छात्र कल्याण की डीन प्रो. नीलोफर अफजल के नेतृत्व में और जेएमआई के सुरक्षा सलाहकार  एस.ए. राशिद (पूर्व डीसीपी, दिल्ली पुलिस) के मार्गदर्शन में किया गया. आयोजन में साइबर क्लब टीम के सदस्य डॉ. शेन काज़िम नक़वी, डॉ. मुशीर अहमद और क्लब की संयोजक डॉ. उमैमा की सक्रिय भागीदारी रही.

प्रो. नीलोफर अफजल ने अपने वक्तव्य में बताया कि जामिया में ‘साइबर क्लब’ की स्थापना छात्रों की अगुवाई में की गई एक रचनात्मक पहल है, जिसका उद्देश्य साइबर जागरूकता और डिजिटल अनुशासन को बढ़ावा देना है.

क्लब प्रशिक्षण सत्रों, कार्यशालाओं और विशेषज्ञ वार्ताओं के माध्यम से न केवल साइबर जागरूकता को बढ़ाएगा, बल्कि नैतिक ऑनलाइन व्यवहार, साइबर कानून, डिजिटल अधिकारों, एआई जोखिमों और उभरते खतरों पर संवाद को भी सुगम बनाएगा.

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह क्लब दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूज़न एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) इकाई के साथ मिलकर साइबर सुरक्षा के अकादमिक और व्यावहारिक पक्ष को जोड़ने का कार्य करेगा.

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देवेश चंद्र श्रीवास्तव ने अपने व्याख्यान में श्रोताओं को साइबर अपराध के विभिन्न रूपों से अवगत कराते हुए उन अपराधों से बचाव के उपायों पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने जामिया द्वारा साइबर क्लब की स्थापना की सराहना करते हुए कहा कि यह पहल समय की मांग है और इससे विश्वविद्यालय परिसर को अधिक साइबर-सुरक्षित बनाया जा सकेगा.

उन्होंने कहा, “जामिया ने शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में जो प्रतिष्ठा हासिल की है, वह इसे देशभर के लिए एक आदर्श बनाती है. मेरा मानना है कि यह साइबर क्लब जामिया को साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में भी एक मॉडल संस्था बना सकता है.”

अपने पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन में उन्होंने मौजूदा समय में तेजी से बढ़ते साइबर अपराधों पर प्रकाश डाला और बताया कि कैसे तकनीकी दक्षता के साथ-साथ सामाजिक सतर्कता भी इस चुनौती का सामना करने के लिए जरूरी है.

उन्होंने फिशिंग, साइबर स्टॉकिंग, फ्रॉड कॉल्स, सोशल इंजीनियरिंग, मनी म्यूलिंग जैसे अपराधों का ज़िक्र करते हुए इनसे बचाव के व्यावहारिक उपाय साझा किए.कार्यक्रम में डीसीपी डॉ. हेमंत तिवारी ने सोशल मीडिया के विवेकपूर्ण उपयोग की आवश्यकता पर बल दिया.

उन्होंने म्यूल बैंक अकाउंट्स की समस्या को विशेष रूप से रेखांकित किया, जिसमें मासूम लोग धोखाधड़ी का शिकार होकर अपने बैंक खाते अपराधियों को सौंप देते हैं. उन्होंने छात्रों को सतर्क करते हुए कहा कि आभासी दुनिया में भावनात्मक जुड़ाव बहुत खतरनाक हो सकता है और व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से पहले सोच-विचार करना आवश्यक है.

रजिस्ट्रार प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिज़वी ने डीएसडब्ल्यू कार्यालय की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि साइबर क्लब न केवल विश्वविद्यालय समुदाय को साइबर अपराधों से जागरूक करेगा, बल्कि एक सुरक्षित और डिजिटल रूप से जिम्मेदार परिसरों के निर्माण में सहायक सिद्ध होगा.

समारोह की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ ने साइबर अपराधों के मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि साइबर अपराधी अक्सर लोगों के लालच, भावनात्मक कमजोरी और आत्म-संतुष्टि की भावना का फायदा उठाते हैं.

उन्होंने विद्यार्थियों और उपस्थितजनों से अपील की कि वे अपने निजी डेटा को लेकर सतर्क रहें, अजनबियों पर विश्वास करने से बचें और डिजिटल दुनिया में भी मानवीय मूल्यों को न भूलें. उन्होंने जोर देकर कहा, "साइबर अपराध से बचने के लिए ज़रूरी है कि हम लालच से दूर रहें और आत्मनियंत्रण रखें."

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समारोह का समापन डॉ. मुशीर अहमद के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने सभी अतिथियों, सहभागियों और आयोजकों का आभार व्यक्त किया। अंत में, पूरे सभागार ने राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम को गरिमामयी ढंग से सम्पन्न किया.

यह कार्यक्रम जामिया मिल्लिया इस्लामिया में एक नई साइबर जागरूकता यात्रा की शुरुआत है, जो आने वाले समय में न केवल संस्थान को साइबर खतरों से सुरक्षित रखने में मदद करेगा, बल्कि छात्रों को एक ज़िम्मेदार डिजिटल नागरिक बनने के लिए भी प्रेरित करेगा.