डॉक्टर महबूब उल हक़ की गिरफ्तारी पर सिविल सोसाइटी समूह ने प्रधानमंत्री से न्याय की अपील की

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 01-03-2025
Civil society group appeals to the Prime Minister for justice on the arrest of Dr. Mahbubul Haque
Civil society group appeals to the Prime Minister for justice on the arrest of Dr. Mahbubul Haque

 

आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली 
 
एक प्रमुख नागरिक समाज समूह, जिसमें पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एस.वाई. कुरैशी, पूर्व दिल्ली लेफ्टिनेंट गवर्नर डॉ. नजीब जंग, पूर्व डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल जमीरुद्दीन शाह (सेवानिवृत्त), उद्योगपति सईद मुस्तफा शेरवानी और पूर्व सांसद  शाहिद सिद्दीकी शामिल हैं, ने एक पत्र के माध्यम से प्रधानमंत्री से अपील की है. इस पत्र में यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, मेघालय (यूएसटीएम) के चांसलर डॉ. महबूबुल हक की हाल ही में हुई गिरफ्तारी पर गहरी चिंता जताई गई है.

पत्र में यूएसटीएम के चांसलर डॉक्टर महबूब उल हक़ के शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट योगदान की सराहना की गई है. विशेष रूप से उत्तर-पूर्वी भारत में उनके प्रयासों को उजागर किया गया है. यूएसटीएम, जो यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, मेघालय अधिनियम (संख्या 6, 2008) के तहत स्थापित है और यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त है, ने कमजोर और वंचित वर्गों के छात्रों को उच्च शिक्षा के अवसर प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

वर्तमान में इस विश्वविद्यालय में 6,000 से अधिक छात्र विभिन्न स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में अध्ययन कर रहे हैं.पत्र में यह भी बताया गया कि यूएसटीएम उत्तर-पूर्वी क्षेत्र का सबसे तेजी से बढ़ता निजी विश्वविद्यालय है, जिसे यूजीसी, एनसीटीई, एआईसीटीई और बीसीआई जैसे वैधानिक निकायों से स्वीकृति प्राप्त है.

इसके अलावा, इस संस्थान की एक सहायक इकाई, पी. ए. संगमा इंटरनेशनल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की स्थापना से उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में मजबूती आई है.हालांकि, पत्र में आरोप लगाया गया कि डॉ. महबूबुल हक और यूएसटीएम को असम सरकार द्वारा अनावश्यक रूप से निशाना बनाया जा रहा है.

विश्वविद्यालय पर 'बाढ़ जिहाद' का आरोप लगाया गया और असम के अधिकारियों ने सार्वजनिक रूप से बयान दिया कि यहां के स्नातकों को राज्य में नौकरी नहीं दी जाएगी. इसके अलावा, यूएसटीएम द्वारा 2024 में एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना के बाद अन्य संस्थानों में प्रवेश की दर में गिरावट आई है, जिससे स्थिति और बिगड़ गई.

पत्र के अनुसार, डॉक्टर महबूब उल हक़ को 22 फरवरी 2025 को रात 2 बजे असम पुलिस ने गुवाहाटी में उनके आवास से बिना किसी प्रारंभिक आरोप पत्र या गिरफ्तारी वारंट के हिरासत में ले लिया. उन्हें गुवाहाटी से करीब 300 किलोमीटर दूर करीमगंज जेल में भेज दिया गया.

उनकी प्रारंभिक चार दिवसीय हिरासत को 25 फरवरी को चार और दिनों के लिए बढ़ा दिया गया. गिरफ्तारी के एक दिन बाद उन पर आरोप पत्र दायर किया गया, जिसमें कहा गया कि डॉ. हक ने बारहवीं कक्षा की परीक्षाओं में नकल की सुविधा प्रदान की थी.

हस्ताक्षरकर्ताओं ने इस गिरफ्तारी को राजनीतिक प्रतिशोध बताते हुए इसे क्षेत्र में आधुनिक और धर्मनिरपेक्ष शैक्षिक संस्थानों के निर्माण में बाधा डालने का प्रयास करार दिया है. उन्होंने प्रधानमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करने और डॉ. हक को न्याय दिलाने की अपील की है.

पत्र के अंत में यह आग्रह किया गया है कि ऐसे सम्मानित शिक्षाविदों और संस्थान निर्माताओं की अनुचित गिरफ्तारी से न केवल उत्तर-पूर्वी क्षेत्र बल्कि देश की शिक्षा व्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. अपील में यह भी कहा गया कि उन संस्थानों की रक्षा करनी चाहिए, जो वंचित वर्गों को शिक्षा के अवसर प्रदान कर शैक्षणिक उत्कृष्टता को बढ़ावा दे रहे हैं.

यह पत्र शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में किए गए डॉ. महबूबुल हक के अद्वितीय योगदान की मान्यता को महत्वपूर्ण बताते हुए उनके खिलाफ उठाए गए कदमों की आलोचना करता है.