आवाज द वाॅयस/नई दिल्ली
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा बुधवार रात अंजाम दिए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद देश की रणनीतिक और सैन्य गतिविधियों ने तेज़ी पकड़ ली है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार तड़के भारतीय थल सेना, वायुसेना और नौसेना प्रमुखों से इस बहुआयामी ऑपरेशन पर बातचीत की.जब कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रातभर जाग कर आॅपरेशन की निगरानी की.
सूत्रों के अनुसार, इस अभूतपूर्व सैन्य कार्रवाई पर रक्षा मंत्रालय सुबह 10:00 बजे औपचारिक प्रेस ब्रीफिंग करेगा.सूत्रों की मानें तो यह ऑपरेशन 1971 के युद्ध के बाद पहली बार है जब भारत ने पाकिस्तान के निर्विवाद क्षेत्र में इतने भीतर जाकर सैन्य हमला किया है. सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह पिछले पांच दशकों में भारत द्वारा पाकिस्तान में किया गया सबसे बड़ा और सटीक सैन्य प्रहार है.
भारत ने इस बार न केवल पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoJK) बल्कि पाकिस्तान के भीतर बहावलपुर, मुरीदके और सियालकोट जैसे संवेदनशील शहरों में स्थित जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के ठिकानों को निशाना बनाया. इन संगठनों को भारत में आतंकी हमलों की योजना और संचालन के लिए ज़िम्मेदार माना जाता है.
ऑपरेशन सिंदूर: नौ आतंकी अड्डों पर एक साथ हमला
सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना ने मिलकर विशेष सटीक हथियारों का उपयोग करते हुए एक समन्वित कार्रवाई की. इस ऑपरेशन में कुल नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया — जिनमें से चार पाकिस्तान के भीतर और पांच पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में थे.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक:"हमारी कार्रवाई केंद्रित, मापी गई और प्रकृति में गैर-आक्रामक रही है। किसी भी पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना नहीं बनाया गया है। भारत ने लक्ष्यों के चयन और निष्पादन के तरीके में संयम का परिचय दिया है."
सेना के लक्ष्य: जैश और लश्कर के टॉप कमांडर
भारत की खुफिया एजेंसियों और सैन्य योजना के तहत, इन नौ स्थानों का चयन उन आतंकवादी संगठनों के अड्डों के रूप में किया गया, जिन्होंने पहलगाम के नरसंहार की साजिश रची और अमल में लाया. 22 अप्रैल को हुए इस हमले में 26 निर्दोष लोग मारे गए थे, जिनमें कई पर्यटक भी शामिल थे.
सूत्रों के अनुसार, भारतीय हमलों के मुख्य लक्ष्य जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के गढ़ बहावलपुर, मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के ठिकाने मुरीदके, और सियालकोट के लश्कर ट्रेनिंग कैम्प थे.
प्रधानमंत्री ने ऑपरेशन पर रखी रात भर निगरानी
सूत्रों के हवाले से बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'ऑपरेशन सिंदूर' की प्रत्येक गतिविधि पर रातभर व्यक्तिगत रूप से निगरानी रखी. उनकी सीधी भागीदारी से स्पष्ट है कि यह महज सैन्य प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक राजनीतिक-सामरिक सन्देश भी था.
रक्षा मंत्रालय ने घोषणा की है कि 7 मई की सुबह 10:00 बजे एक प्रेस ब्रीफिंग की जाएगी, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी और भी महत्वपूर्ण जानकारियों का खुलासा संभव है — जैसे नुकसान का आकलन, सैन्य तैयारी की अगली दिशा, और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया को लेकर सरकार की नीति.
विश्लेषण : भारत की ‘न्यू नॉर्मल’ सैन्य नीति?
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के माध्यम से भारत ने दो स्तरों पर एक स्पष्ट संदेश दिया है:
सैन्य दृष्टि से — अब आतंकी हमलों का जवाब केवल कूटनीतिक विरोध या नियंत्रण रेखा पर जवाबी फायरिंग तक सीमित नहीं रहेगा। भारत अब सटीक और योजनाबद्ध आक्रामक सैन्य प्रतिरोध की नीति पर चल पड़ा है.
राजनीतिक दृष्टि से — यह कार्रवाई आंतरिक सुरक्षा के प्रति सरकार की 'जीरो टॉलरेंस' नीति और प्रधानमंत्री की 'डिसाइसिव गवर्नेंस' की छवि को और पुख्ता करती है.
शांति की उम्मीद या युद्ध का संकेत?
जहां एक ओर भारत ने इस ऑपरेशन को ‘गैर-उग्र’ और ‘संयमित’ बताया है, वहीं पाकिस्तान की प्रतिक्रिया, अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया और आने वाले दिनों में एलओसी पर गतिविधियां यह तय करेंगी कि यह स्थानीय सैन्य प्रतिक्रिया थी या क्षेत्रीय रणनीतिक बदलाव की शुरुआत.