अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में प्रिंट संस्कृति पर प्रो. अनिंदिता घोष का प्रेरक व्याख्यान

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 20-11-2025
An inspiring lecture by Prof. Anindita Ghosh on print culture at Aligarh Muslim University
An inspiring lecture by Prof. Anindita Ghosh on print culture at Aligarh Muslim University

 

अलीगढ़

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के इतिहास विभाग के सेंटर ऑफ एडवांस्ड स्टडी ने 15 नवंबर 2025 को “Print? What Print? The Many Ways of Consuming Texts in the Age of Print in South Asia” विषय पर एक प्रमुख व्याख्यान आयोजित किया। कार्यक्रम की शुरुआत चेयरपर्सन और कोऑर्डिनेटर प्रो. हसन इमाम के स्वागत भाषण से हुई। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. गुलरुख खान ने मुख्य वक्ता प्रो. अनिंदिता घोष का परिचय कराया।

प्रो. घोष के व्याख्यान की मुख्य बातें

प्रो. घोष ने उन्नीसवीं सदी के बंगाल में पाठ और ग्रंथ उपभोग की विविध प्रथाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि प्रिंट संस्कृति का उदय मौखिक परंपराओं, कहानी कहने, सामूहिक श्रवण और पांडुलिपि-आधारित प्रस्तुतियों के साथ कैसे जुड़ा था। इस अवधि में पढ़ाई अक्सर साझा और मौखिक अभ्यास थी, जिसमें पाठक और कथक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।

उन्होंने प्रारंभिक पाठकों के सामाजिक परिदृश्य पर भी प्रकाश डाला। महिलाओं, कारीगरों और अन्य समुदायों ने सार्वजनिक पाठ और किफायती भक्ति पुस्तिकाओं के माध्यम से प्रिंट सामग्री तक पहुंच बनाई। 1860 के बाद के स्थानीय प्रेसों का विस्तार लोगों के लिए पढ़ाई के अवसर बढ़ाने में महत्वपूर्ण रहा, जबकि मिशनरी प्रकाशनों को आलोचना का सामना करना पड़ा। प्रो. घोष ने छवियों और दृश्य संस्कृति की भूमिका को भी रेखांकित किया, जिसने कम साक्षर दर्शकों में लोकप्रिय प्रिंट को आकार दिया।

सत्र और अंत

व्याख्यान के बाद प्रो. S.A. नादिम रेज़वी ने अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम का संचालन शिरीन, शोध छात्रा ने किया और हसन, शोध छात्र ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की सफलता में फैकल्टी के सहयोग, विशेषकर डॉ. सना अजीज़, डॉ. लुबना इरफान और डॉ. तौसीफ़ अहमद का योगदान सराहनीय रहा।

यह व्याख्यान प्रिंट संस्कृति और दक्षिण एशिया में ग्रंथ उपभोग पर महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करने वाला साबित हुआ।