राकेश चौरासिया
इस्लामिक कैलेंडर के नौवें महीने को माहे-रमजान कहा जाता है, इसे मुसलमानों में सबसे ज्यादा पवित्र और सबसे महत्वपूर्ण महीना माना जाता है. यह महीना आध्यात्मिकता, आत्म-संयम, और दान का प्रतीक है. रमजान की शुरुआत कैसे हुई, यह जानने के लिए, हमें इसके इतिहास में जाना होगा.
रमजान का शाब्दिक अर्थ है ‘तीव्र गर्मी’, जो चिलचिलाती गर्मी के महीने को दर्शाता है. सातवीं शताब्दी में आज के सऊदी अरब के पवित्र शहर मक्का में इस्लाम के आने से काफी पहले रमजान पूर्व-इस्लामिक अरब कैलेंडर का हिस्सा था.
प्रत्येक इस्लामी महीने की पहली रात को नए चंद्रमा को नग्न आंखों से देखने की प्रथा अब एक परंपरा बन चुकी है, जो आज तक कायम है. इसलिए दुनिया भर के मुसलमान रमजान के चांद के उदय की उत्साहित होकर प्रतीक्षा करते हैं.
रमजान 14 शताब्दियों से भी अधिक समय से दुनिया भर के मुसलमानों द्वारा मनाया जा रहा है. सातवीं शताब्दी में, पैगंबर मुहम्मद ने कहा था कि इस्लाम पांच सुतूनों पर कायम है और रमजान के रोजा उनमें से एक हैं. आज, दुनिया की लगभग एक चैथाई आबादी इस इस्लामी महीने को बहुत सम्मान देते हुए दिन के उजाले में उपवास करती है, जिसमें इस्लाम की पवित्र पुस्तक ‘कुरान’ पैगंबर के सामने प्रकट हुई थी.
सातवीं शताब्दी में लगभग सौ शुरुआती मुसलमानों द्वारा शुरू में रमजान का अभ्यास किया गया था, लेकिन अब दुनिया भर के 1.8 अरब लोगों द्वारा इसका अनुकरण किया जाता है.
पहली रमजान
रमजान का महत्व
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