भारत में जब भी ऐतिहासिक,सुंदर वास्तुकला से सुसज्जित और प्राचीन मस्जिदों का जिक्र होता है, घूम-फिर कर बात दिल्ली की जामा मस्जिद, कोलकाता की नाखुदा और हैदराबाद की मक्का मस्जिद पर आकर सिमट जाती है, जबकि ऐसा है नहीं. देश में अनेक सुंदर, ऐतिहासिक और प्राचीन मस्जिदें हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. इनके बारे में बहुत कम लिखा-पढ़ा गया है. ऐसी ही कुछ मस्जिदों से पाठकों को रू-ब-रू कराने के लिए आवाज द वॉयस के मलिक असगर हाशमी ने एक सिलसिला शुरू किया है. इसकी चौथी कड़ी में आप से गोवा के पोंडा कस्बे की ऐतिहासिक अफा शाहौरी मस्जिद से परिचय कराया जा रहा है. सफा मस्जिद इंडो-इस्लामिक शैली के मिश्रण का बेहतर नमूना है.
सफा शाहौरी मस्जिद और पोंडा
गोवा पणजी का तालुका है पोंडा. इसका ही एक कस्बा है शाहपुर. यहां तक एनएच 4 ए मार्ग से पहुंचा जा सकता है. पहले पोंडा तालुका में 27 मस्जिदें थीं. अब सिर्फ सफा शाहौरी मस्जिद ही है.
सहकारी मसाला बागान के रास्ते से होकर इस ऐतिहासिक मस्जिद तक पहुंचा जा सकता है. यहां ऐतिहासिक स्थल होने के बावजूद इलाका बेहद शांत और हरा-भरा है. इसलिए गोवा आने वाले पर्यटकों के पसंदीदा जगहों में एक यह मस्जिद भी है. मस्जिद भरपूर हरियाली के बीच स्थित है.
सफा मस्जिद स्थानीय लोगों के बीच लोकप्रिय स्मारक की हैसियत रखती है. मस्जिद में ईद पर मेला लगता है. पर्यटन स्थल के रूप मंे प्रचलित होने के बावजूद मस्जिद में ज्यादा भीड़-भाड़ नहीं होती.
पर्यटक भी यहां हुड़दंगबाजी करते नहीं दिखंेगे. पर्यटक सफा मस्जिद को धार्मिक स्मारक से कहीं अधिक जीवित संरचना और ऐतिहासिक स्थल के रूप में महत्व देते हैं.
कैसी है मस्जिद
सफा मस्जिद मध्य-युग के गोवा के इतिहास और सौहार्द का एक क्लासिक नमूना है. यह एक छोटी सी विशाल परिसार वाली मस्जिद है. इसमें एक चिनाई वाला पोर्टिको है.
सफा मस्जिद, जिसे सफा शाहौरी मस्जिद भी कहा जाता है, 1560 में इब्राहिम आदिल शाह ने बनवाया था. सफा अरबी में शुद्ध को कहा जाता है. मस्जिद इस शब्द पर पूरी तरह खरी उतरती है.
एकल कक्ष वाली मस्जिद में एक साधारण प्रार्थना कक्ष और एक पुरानी शैली की टेराकोटा छत है. समग्र संरचनात्मक ढांचा 16 वीं शताब्दी के पुर्तगाली घर के समान है.
सफा मस्जिद का मुख्य आकर्षण मस्जिद परिसर के भीतर स्थित फिरोजा पानी के साथ विशाल लेटराइट पत्थर की चिनाई वाली टैंक है. टैंक में वास्तुकला की मिहराब शैली में निर्मित 40 से अधिक हम्माम हैं.
परिसर के प्रवेश द्वार पर एक बोर्ड है, जो सफा मस्जिद को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के दायरे में एक राष्ट्रीय स्मारक के रूप में रेखांकित करता है. एक सुंदर चिनाई वाली पानी के टैंक के साथ, सफा मस्जिद में एक विशाल चारबाग-शैली का बगीचा और इसके पिछवाड़े में एक जंगली पार्क है, जो शाम की सैर करने वालों के लिए बेहद पसंदीदा है.
सफा मस्जिद को अच्छी तरह से बनाए रखने के लिए स्थानीय अधिकारियों को भी श्रेय दिया जाना चाहिए. इतने दिनों बाद भी यह स्वच्छ और आगंतुकों के अनुकूल बनी हुई है.
मस्जि का इतिहास
16 वीं शताब्दी के आदिल शाह राजवंश के दौरान, गोवा में लगभग 27 मस्जिदें थीं. इनमें से अधिकांश मस्जिदों को 1560 और 1812 के बीच पुर्तगाली न्यायिक जांच के दौरान नष्ट कर दिया गया था. इस दौरान सफा मस्जिद इससे अप्रभावित रही और आज भी अपनी कहानी कहने के लिए खड़ी है.
बीजापुर के सुल्तान आदिल शाह भारत के सबसे पुराने शासकों में से एक थे. उन्हें 1497 में गोवा के बर्देज प्रांत में मांडोवी नदी के सामने रीस मैगोस किले के निर्माण का श्रेय भी दिया जाता है.
सफा मस्जिद कैसे पहुंचे ?
सफा मस्जिद पणजी को बेलगाम से जोड़ने वाले एनएच 4 ए पर शाहपुर में स्थित है. यह शहर के केंद्र से 2 किमी दूर है.सफा मस्जिद में जाने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है.
पोंडा का मसालों से रिश्ता
यूं तो पोंडा में ऐतिहासिक सफा मस्जिद है, पर इसके अलावा इस शहर के मंदिर मार्ग पर मंगेशी मंदिर, शांतादुर्गा मंदिर और नागेश मंदिर जैसे कई प्रसिद्ध मंदिर भी हैं. इन सब के अलावा यह इलाका मसालों के बगानों के भी पहचाना जाता है.
इनमें सेवॉय स्पाइस फार्म, पास्कोल स्पाइस विलेज, ट्रॉपिकल स्पाइस प्लांटेशन और सहकारी स्पाइस फार्म आदि शुमार हैं. इन मसालों के फॉर्म में आकर आप इसकी खेती और विभिन्न तरह के मसालों की भी जानकारी ले सकते हैं.
इससे संबंधित कई वीडियो यूट्यूब पर उपलब्ध हैं. शेफ रवि कहते हैं कि मसालों के रहस्य को समझना है तो आपको स्पाइस फार्म का जरूर चक्कर लगाना चाहिए. पोंडा में एक किला भी है, जिसे शिवाजी महाराज ने फतह किया था. गोवा में चिड़ियाघर भी है.
साउथ गोवा में कहां ठहरें
दक्षिण गोवा के पास साल रिवेरा में ठहरा जा सकता है. यहां से नदी के नजारों वाले अनके लकड़ी के शानदार कॉटेज हैं. मिड-बजट लक्जरी स्टे के लिए समुद्र तट के पास जैस्मीन होटल भी है.