इजिप्ट 5 : एक फैरो जो आज भी इजिप्ट की अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहे हैं

Story by  हरजिंदर साहनी | Published by  [email protected] | Date 24-01-2023
इजिप्ट 5 : एक फैरो जो आज भी इजिप्ट की अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहे हैं
इजिप्ट 5 : एक फैरो जो आज भी इजिप्ट की अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहे हैं

 

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न उसने बहुत ज्यादा उम्र पाई और न ही वे लंबे समय तक मिस्र के फैरो यानी शासक रहे.लेकिन इन सबके बावजूद प्राचीन मिस्र में जिसे सबसे ज्यादा याद किया जाता है वे तूतनखामन हैं.जिन्हें संक्षेप में सम्राट तुत भी कहते हैं.तूतनखामन शब्द का अर्थ होता है, प्राचीन मिस्र के देवता अमुन की छवि वाला राजा.और सचमुच उन्हें एक देवता की तरह ही पूजा जाता था.तूतनखामन अभी नौ साल के ही थे कि उन्हें सत्ता मिल गई.

उस दौर के वजीरों के एक समूह ने उन्हें फेरो के पद पर स्थापित कर दिया.अगले नौ साल तक ही उन्होंने राज किया और बहुत कम उम्र में ही उनका निधन हो गया.तूतनखामन को एक और चीज के लिए जाना जाता है कि उन्होंने प्राचीन मिस्र के आदि धर्म को एक बार फिर से मिस्र में प्रतिष्ठापित किया.उनके पहले के एक फैरो अखेनाटेन ने इस धर्म को त्याग कर एक दूसरे धर्म की स्थापना की थी जिसे हम आज एटेनिज्म के नाम से जानते हैं.

अखेनाटेन ने प्राचीन मिस्र की राजधानी को भी बदल दिया.अपना राज उन्होंने परंपरगत थेबेस की जगह अमरना से चलाया.तूतनखामन ने राजधानी को फिर से थेबेस में कायम किया.सम्राट तुत के बारे में ये सारी जानकारियां इतिहास की किताबों और पुराने दस्तावेजों में दर्ज थीं.कुछ तस्वीरों से यह भी जान लिया गया था कि उनके एक पैर और रीढ़ की हड्डी में कुछ समस्या थी जिसकी वजह से वे हमेशा लाठी लेकर चलते थे.

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लेकिन तूतनखामन की महानता के पता 20 वीं सदी की शुरुआत में तब लगा जब उनके मकबरे को खोजा गया.सम्राट तुत के मकबरे को खेाजने की कोशिशों का एक पूरा इतिहास है.पश्चिम के पुरातत्व विशेषज्ञ उनके मकबरे को खोजते रहे और ज्यादातर ने इसमें हार मान ली.

तूतनखामन की तस्वीरों वाली कुछ शिलाओं और उनका नाम लिखे हुए कुछ बर्तनों के अलावा कुछ हाथ नहीं लगा.लेकिन इंग्लैंड के मिस्र विशेषज्ञ हावर्ड कार्टर ने आखिर तक हार नहीं मानी.वे लगातार जुटे रहे और आखिर 1922 में उन्हें कामयाबी मिल ही गई.

मिस्र में एक लंबे दौर तक बहुत से राजाओं और उनके परिवार के लोगों के मकबरे उस निर्जन पठारी इलाके में बनाए गए जिसे वैली आॅफ किंग्ज़ कहा जाता है.अरबी भाषा में इसे वादी अल-मुल्क कहते हैं.निर्जन इलाके में इन मकबरों को बना कर उन्हें अच्छी तरह से मिट्टी में दबा दिया जाता था.

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शायद इसलिए कि उसके अंदर जो बेशकीमती सामान है उसे कोई चुराए न और फेरो की जो ममी है उन्हें कोई नुकसान न पहंुचाए.समय के साथ उन मिट्टी की इतनी परतें चढ़ गईं उस पठारी भूलभुलैया में उन मकबरों को खोजना दुरूह हो गया.लेकिन तूतनखामन का मकबरा कुछ ज्यादा ही इसलिए दब गया कि उसके ऊपरी हिस्से में बाद में एक फेरो का मकबरा बनाया गया.उसके लिए जो खुदाई चली उसका मलबा तूतनखामन के मकबरे पर ढेर हो गया.

लगातार कईं जगहों की खुदाई के बाद हावर्ड कार्टर की टीम ने आखिर तूतनखामन के मकबरे को ढूंढ ही निकाला.इस मकबरे में इतना बड़ा खजाना था कि पूरी दुनिया की आंखें ही चुंधिया गईं.सबसे पहले बात तूतनखामन की ममी की.यह ममी जिस ताबूत में रखी थी वह ठोस सोने का था.उसके ऊपर एक ठोस सोने का मुखौटा था जिस पर मुकुट पहने तूतनखामन का चित्र पूरे सजावटी ढंग से बनाया गया था.सोने पर नीली नक्काशी से बना यह मुखौटा जल्द ही पिरैमिड के बाद प्राचीन मिस्र की सबसे बड़ी पहचान बन गया.आज भी जहां कहीं ममी का या मिस्र का जिक्र आता है आमतौर पर इसी मुखौटे की तस्वीर लगाई जाती है.

लेकिन उस मकबरे में सिर्फ इतना ही नहीं था.उसमें कुल मिलाकर 5398 कलाकृतियां थीं जिनमें से ज्यादातर सोने की थीं.इतना सामान था कि सब का कैटालाॅग तैयार करने में दस साल का समय लगा.उसमें सम्राट के आभूषण और हथियार तो थे ही, फर्नीचर, खाना, इत्र और कपड़े वगैरह भी थे.हालांकि कईं दूसरे फैरो के मुकाबले तूतनखामन का मकबरा काफी छोटा था लेकिन उससे मिला सामान बताता है कि वे प्राचीन मिस्र के सबसे स्मृद्ध दौर के सम्राट थे.

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इन कलाकृतियों की तस्वीरों ने पूरी दुनिया को अपना दीवाना बना दिया.बड़ी संख्या में लोग उन्हें देखने के लिए उमड़ने लगे.आज भी इन्हें देखने के लिए जितने लोग आते हैं उतने शायद दुनिया के किसी भी दूसरे अजायबघर में नहीं जाते.ये पर्यटक मिस्र की अर्थव्यवस्था के एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है.कुछ लोग यह भी कहते हैं कि तूतनखामन मिस्र के सबसे दूरदर्शी सम्राट थे.अपने निधन के हजारों साल बाद आज भी वे मिस्र की अर्थव्यवस्था को सहारा दे रहे हैं.

जारी……

( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं @herhj)

 

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