बिहार—जहाँ अक्सर सुर्खियों में पिछड़ापन, पलायन और उपेक्षा की कहानियाँ छाई रहती हैं, वहीं एक और बिहार भी है—जो चुपचाप बदल रहा है, बन रहा हैऔर दूसरों को बदलने की प्रेरणा दे रहा है."द चेंज मेकर्स" की इस खास कड़ी में हम आपको मिलवा रहे हैं बिहार के दस ऐसे चेहरों से, जिनकी कहानियाँ सिर्फ प्रेरणादायक नहीं, बल्कि उम्मीद, हौसले और बदलाव की ज़मीन पर उगती नई सुबह हैं.
ये वे लोग हैं जिन्होंने न सुविधाओं का रोना रोया, न हालातों को बहाना बनाया—बल्कि अपने जज़्बे, मेहनत और दृष्टिकोण से बिहार की तस्वीर बदलने की ठानी और उसे कर भी दिखाया.इनमें महिलाएँ भी शामिल हैं, जिन्होंने बंद दरवाज़ों को तोड़ा, और अपने लिए नहीं, अगली पीढ़ी के लिए रास्ता खोला.इन दस कहानियों को आप तक पहुंचाने के लिए हमारे सहयोगी मोहम्मद अकरम, अभिषेक सिंह, सेराज अनवर, नौशाद अख्तर, ओनिका माहेश्वरी, अर्सला खान और मलिक असगर हाशमी को काफी मशक्कत करनी पड़ी. यहां प्रस्तुत है बिहार के दस चेंज मेकर्स का संक्षिप्त परिचय.
खुर्शीद अहमद :सांस्कृतिक पुनर्जागरण के शिल्पकार
पटना को साहित्य और कला के नक्शे पर फिर से उभारने वाले खुर्शीद अहमद ने कव्वाली, कविता, सूफी संगीत और पारंपरिक कलाओं को लोगों की ज़िंदगी का हिस्सा बना दिया है.वे बिहार की सांस्कृतिक आत्मा को फिर से जीवंत कर रहे हैं.
जाबिर अंसारी :तुम्बा पहाड़ से टोक्यो तक का कराटे योद्धा
नक्सल प्रभावित झाझा प्रखंड के एक गाँव से निकलकर अंतर्राष्ट्रीय कराटे चैंपियन बनने वाले जाबिर ने दिखा दिया कि सही मार्गदर्शन और अटूट समर्पण किसी को भी ऊँचाइयों तक पहुँचा सकता है.
शम्स आलम :व्हीलचेयर पर बैठा तैराक, जिसने लहरों को चुनौती दी
रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर और पैरों के सुन्न पड़ जाने के बाद भी शम्स आलम ने हार नहीं मानी.वे आज एक पैरा-तैराक के रूप में भारत का नाम वैश्विक मंच पर रोशन कर रहे हैं—एक मिसाल कि जज़्बा शरीर की नहीं, सोच की ताक़त से चलता है.
तैय्यबा अफ़रोज़ :आसमान छूती मुस्लिम महिला पायलट
सारण ज़िले की तैय्यबा अफ़रोज़ ने समाजिक रुकावटों को तोड़ते हुए बिहार की पहली मुस्लिम कमर्शियल पायलट बनने का इतिहास रचा.पुश्तैनी ज़मीन बेचकर सपनों को पंख दिए, और साबित किया कि उड़ान हौसलों से होती है, हालातों से नहीं.
डॉ. एम. एजाज अली :हाशिए के लोगों की आवाज़
एक अनाथालय से पटना मेडिकल कॉलेज तक का सफ़र और फिर राज्यसभा सदस्य के रूप में सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने वाले डॉ. अली तीन दशकों से वंचित तबके के लिए आवाज़ उठाते आ रहे हैं.वे बदलाव के उस चेहरे का नाम हैं, जो ज़मीनी सच्चाई से जुड़ा है.
जमील अख्तर :एनटीपीसी अफसर, जिसने 550बच्चों की पढ़ाई के लिए शादी नहीं की
राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम के वरिष्ठ अधिकारी जमील अख्तर ने वंचित बच्चों की शिक्षा को अपना मिशन बना लिया.शादी से दूर रहकर उन्होंने खुद को पूरी तरह समाजसेवा को समर्पित कर दिया, और आज सैकड़ों बच्चे उनकी वजह से शिक्षित हो रहे हैं.
मोहम्मद इब्राहिम :मोतिहारी से ऑक्सफ़ोर्ड तक
रमना, मोतिहारी से दुबई और फिर ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी तक का सफ़र तय करने वाले इब्राहिम की कहानी दिखाती है कि मेहनत की कोई सीमा नहीं होती.उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 'सर्वश्रेष्ठ यात्रा और आव्रजन सेवा' पुरस्कार मिला, जो बिहार के लिए गर्व का विषय है.
डॉ. मुमताज़ नैयर :गाँव से ग्लोबल साइंस तक का सफ़र
किशनगंज के एक छोटे गाँव से निकलकर दुनिया के घातक वायरसों से लड़ने वाले वैज्ञानिकों की टीम में शामिल होना आसान नहीं था.लेकिन डॉ. मुमताज़ ने अपनी लगन, ज्ञान और दृढ़ता से यह कर दिखाया.वे अब वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा के क्षेत्र में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
फ़ैज़ान अली :कॉर्पोरेट से सेवा तक, एक युवा समाजसेवी की कहानी
गया के रहने वाले फ़ैज़ान ने केवल 18की उम्र में महसूस किया कि उनकी मंज़िल पैसा नहीं, सेवा है.आज वे 23साल के हैं और सैकड़ों लोगों की ज़िंदगी में बदलाव ला चुके हैं.वे मानते हैं कि जुनून से बड़ी कोई डिग्री नहीं होती.
रानी खानम ;कथक की तान पर सशक्तिकरण की कहानी
गोपालगंज की रानी खानम भारत की पहली मुस्लिम कथक नृत्यांगना हैं, जिन्होंने न केवल नाच-गाने से जुड़े सामाजिक पूर्वाग्रह तोड़े, बल्कि कथक को एक सशक्त सामाजिक माध्यम बना दिया.उनका रियाज़ छिप-छिपकर शुरू हुआ, और अब मंचों पर गूंज रहा है.
ये दस चेहरे सिर्फ़ नाम नहीं, बदलाव की आवाज़ हैं.ये कहानियाँ हमें यह एहसास दिलाती हैं कि अगर सोच में साहस हो और इरादों में ईमानदारी, तो सबसे पिछड़ा दिखने वाला इलाका भी आगे की मिसाल बन सकता है.इन चेहरों में आज का बिहार झलकता है—एक ऐसा बिहार, जो ना केवल बदल रहा है, बल्कि दूसरों को भी बदलने की प्रेरणा दे रहा है.यही हैं हमारे "The Change Makers"