साहित्य, समाज और पत्रकारिता का संगम: हाजी मोहसिन अली सुहैल

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 12-10-2025
Mohsin Ali Suhail is known for his insistence on telling the truth and fearless journalism.
Mohsin Ali Suhail is known for his insistence on telling the truth and fearless journalism.

 

त्तीसगढ़ की पत्रकारिता ने पिछले कुछ दशकों में तेजी से बदलाव देखे हैं. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से लेकर डिजिटल प्लेटफॉर्म तक, इस बदलाव की धारा में कुछ ऐसे नाम उभरे जिन्होंने पत्रकारिता की असली गरिमा और सच्चाई को बनाए रखा. इन्हीं नामों में एक हैं हाजी डॉ. मोहसिन अली सुहैल, जो अपनी ईमानदार, निर्भीक और जनसरोकारों से जुड़ी पत्रकारिता के लिए पहचाने जाते हैं. आवाज द वाॅयस के ‘द चेंज मेकर्स’ सीरिज के लिए रायपुर से पेश है हमारी सहयोगी मंदाकिनी मिश्रा की यह खास रिपोर्ट.  

मोहसिन अली सुहैल का जन्म (07मई 1953) और पालन-पोषण छत्तीसगढ़ में ही हुआ. बचपन से ही उन्हें समाज और आसपास की सच्चाई को समझने और लोगों तक पहुंचाने का शौक रहा. यही वजह रही कि उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने पत्रकारिता को अपना पेशा बनाया. वे बताते हैं कि स्कूल के दिनों से ही उन्हें हर बात पर सवाल करने की आदत थी. सुहैल कहते हैं कि गांव में कोई समस्या होती थी तो मैं सबसे पहले यह सोचता था कि लोग चुप क्यों हैं? तभी तय कर लिया था कि बड़ा होकर आवाज़ उठाऊंगा.

पत्रकार सुहैल ने उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत 1979से स्थानीय अखबार से की. सीमित साधन थे, लेकिन हौसले बुलंद. शुरुआत के दिनों को याद करते हुए वे कहते हैं कि जब पहली बार मेरी खबर छपी थी तो लगा जैसे मैंने समाज के लिए कोई काम कर दिखाया. लोगों ने आकर कहा कि तुम्हारी खबर से हमारी समस्या हल हुई, तो लगा यही असली इनाम है.

करियर की शुरुआत प्रिंट मीडिया से की और धीरे-धीरे इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल पत्रकारिता तक पहुंचे. इस दौरान उन्होंने समाज, राजनीति, प्रशासन और आम जनता से जुड़े मुद्दों को गहराई से उठाया. उनकी खासियत यह है कि वे किसी भी खबर को सतही तौर पर नहीं देखते, बल्कि तथ्यों और साक्ष्यों के साथ उसे प्रस्तुत करते हैं. छत्तीसगढ़ की राजनीति, सामाजिक असमानता, शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास जैसे विषय उनके लेखन और रिपोर्टिंग के केंद्र में रहे हैं. वे अपने सवालों और रिपोर्टिंग के अंदाज़ के लिए जाने जाते हैं, जहाँ वे सत्ता और व्यवस्था से सीधे जवाब माँगते हैं.

छत्तीसगढ़ से प्रकाशित होने वाले प्रमुख उर्दू दैनिक अख़बार अलमुकद्दस के एडिटर हैं. इससे पहले दैनिक राज एक्सप्रेस (न्यूज़ चीफ, छत्तीसगढ़), नेशनल लुक (रायपुर, सलाहकार संपादक), दैनिक कर्णप्रिय (कोरबा), रायपुर, दैनिक न्यायधीश (लखनऊ, इलाहाबाद), हिन्दुस्तान मेल, व्यापार हेराल्ड (लखनऊ न्यूज़ एडिटर) और रायपुर समाचर के संस्थापक प्रधान संपादक और प्रकाशक रहे.

मोहसिन बताते हैं कि उन्हें विश्वस्तर पर उर्दू कॉन्फ्रेंसों और मुशायरों में शिरकत करने का अवसर मिला. हुसैनी इस्लामी मिशन लंदन, दारुस्सलाम, तांग, जांजीबार, शारजाह, तेहरान, मशहद, क़ुम, अम्मान, सीरिया, कर्बला, काज़िमैन, नजफ़, मक्का, मदीना, जद्दा, कुवैत, कराची, हैदराबाद, लाहौर में हुए कार्यक्रमों में भी शामिल हो चुका हूं.

पत्रकारिता का सफर आसान नहीं रहा. कई बार उन पर दबाव बनाए गए, खबरें छापने से रोका गया. मोहसिन याद करते हैं कि कभी-कभी लगता है कि सच कहना सबसे बड़ा अपराध है. लेकिन मैंने तय कर रखा है कि डरकर कलम नहीं चलाऊंगा. चाहे कितना भी दबाव हो, सच लिखना ही असली पत्रकारिता है. वे प्रदेश में उन पत्रकारों में गिने जाते हैं, जिन्होंने लगातार जनहित के मुद्दों को प्राथमिकता दी. उनकी रिपोर्टिंग में आम लोगों की आवाज़ और संघर्ष हमेशा जगह पाते हैं.

वे कई बार सरकार और प्रशासन की गलत नीतियों के खिलाफ बेबाकी से लिख चुके हैं. सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी उनकी सक्रियता ने उन्हें युवाओं के बीच लोकप्रिय बनाया है. मोहसिन अली सुहैल राजनीति, शिक्षा, स्वास्थ्य और आम जनता की परेशानियों पर ज्यादा फोकस करते हैं. वे कहते हैं कि पत्रकार का काम सत्ता की चमचागिरी करना नहीं है, बल्कि जनता और सत्ता के बीच पुल बनना है. मेरी कोशिश हमेशा यही रहती है कि जनता की आवाज़ सत्ता तक पहुंचे.

चुनौतियां और संघर्ष के भविष्य की दृष्टि

मोहसिन अली सुहैल मानते हैं कि पत्रकारिता सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि समाज के प्रति जिम्मेदारी है. वे चाहते हैं कि आने वाली नई पीढ़ी की पत्रकारिता में भी ईमानदारी और संवेदनशीलता बनी रहे. भविष्य की पत्रकारिता को लेकर वे साफ कहते हैं कि मैं चाहता हूँ कि नई पीढ़ी सिर्फ ब्रेकिंग न्यूज के पीछे न भागे, बल्कि समाज की जड़ों तक जाए. पत्रकारिता का मतलब है बदलाव लाना, और बदलाव तभी आएगा जब हम सच दिखाएंगे. अगर ईमानदारी और तथ्य होंगे तो कोई भी पत्रकार बिना बड़े मंच के भी असर डाल सकता है. मोहसिन खुद कहते हैं कि अगर मेरी रिपोर्ट से एक गांव में पानी पहुंचता है, एक स्कूल में शिक्षक आता है, एक अस्पताल में दवा उपलब्ध होती है… तो यही मेरी पत्रकारिता की सबसे बड़ी जीत है.

ये चर्चित रिपोर्टिंग और केस

स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोली : रायपुर और आसपास के ज़िलों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी पर मोहसिन की रिपोर्ट ने बड़ा असर डाला. जिला अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी, दवाइयों की अनुपलब्धता और बदहाल व्यवस्था पर उनकी रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद सरकार को तत्काल जांच बैठानी पड़ी.

शिक्षा व्यवस्था पर सवाल : ग्रामीण अंचलों के स्कूलों की स्थिति पर उनके एक विस्तृत रिपोर्ट सीरीज़ ने प्रशासन को हिलाकर रख दिया. बिना शिक्षक के चल रहे स्कूल और जर्जर भवनों की तस्वीरें उन्होंने लगातार सामने रखीं. नतीजा यह हुआ कि कई गांवों में नए शिक्षक नियुक्त किए गए और स्कूल भवनों की मरम्मत कराई गई.

भ्रष्टाचार का पर्दाफाश :स्थानीय निकायों में भ्रष्टाचार पर उनकी स्टोरीज़ ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया. उन्होंने ठेकेदारी और योजनाओं में हो रहे घोटालों को सबूतों के साथ उजागर किया. इस पर कार्रवाई भी हुई और कुछ अधिकारी निलंबित हुए.

जनता की छोटी-छोटी समस्याओं को आवाज़: मोहसिन अली सुहैल का मानना है कि पत्रकारिता सिर्फ बड़े मुद्दों तक सीमित नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कई बार आम जनता की समस्याएं—जैसे पानी की किल्लत, बिजली कटौती, सड़कों की दुर्दशा—को अपनी रिपोर्ट में जगह दी. उनके लेखन से कई जगह सुधार भी हुआ.

ये सम्मान भी मिला

दिल्ली विश्वविद्यालय से विद्या वाचस्पति (पीएचडी) मानद उपाधि (2010)

हुसैनी इस्लामी मिशन लंदन द्वारा जो निसारे अदब से सम्मानित

पद्म श्री डॉ. सरदार अंजुम द्वारा मोहसिने अदब से सम्मानित

उर्दू के खितमत के लिए छग अल्पसंख्य आयेग द्वारा सद्भावना सम्मान

मौलाना हमीदुल्ला फैज़ुल्ला सोसाइटी द्वारा मोहसिने मिल्लत अवार्ड

छत्तीसगढ़ बैतूल मॉल फाउंडेशन द्वारा अमीर खुसरो अवार्ड

विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, जयपुर द्वारा सुजन श्री अवार्ड

छत्तीसगढ़ ईशरी जमात द्वारा छत्तीसगढ़ रत्न सम्मान

छत्तीसगढ़ चैम्बर ऑफ कॉमर्स द्वारा कोमी एकता अवॉर्ड

अखिल भारतीय मुस्लिम समाज द्वारा पासबाने अदब सम्मान

महिला जागृति मंडल द्वारा समाज सेवा सम्मान

ये हैं प्रकाशित पुस्तकें

एहसासे पंजतन – नआते पाक सलात नौहे (हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी)

अंधेर उजाले – ग़ज़ल संग्रह (हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी)

एहसासे वतन– ग़ज़ल संग्रह (हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी)

रौशनी की लकीरें– ग़ज़ल संग्रह (हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी, इस्लामी तीनों भाषाओं में प्रकाशित)

सुहैल की ग़ज़लें – ग़ज़ल संग्रह (हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी)

फिक्रे मोहसिन – ग़ज़ल संग्रह (हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी)

साहित्यिक एवं सामाजिक योगदान

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा उर्दू अकादमी की गठन समिति के सदस्य (2004, 2005और 2014).

मदरसा बोर्ड, मदरसा फंडामेंटल, इस्लामी मदरसा कमेटी में मुस्लिम पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चों को नि:शुल्क उर्दू, अरबी, हिन्दी की शिक्षा.

छत्तीसगढ़ उर्दू अकादमी, स्टेट हज कमेटी, छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड, छत्तीसगढ़ मदरसा बोर्ड के सदस्य.

छत्तीसगढ़ सरकार से लगातार संपर्क कर उर्दू भाषा और अल्पसंख्यक समाज की आवाज़ बुलंद करते रहे.

ये उपलब्धियां भी

छत्तीसगढ़ की प्रमुख उर्दू साहित्यिक संस्था छत्तीसगढ़ गुलिस्तां अदब के संस्थापक अध्यक्ष.

स्मारिका गुलिस्तां अदब (2000) का संपादन.

स्मारिका गुलस्ता (2001) का संपादन.

छत्तीसगढ़ ईरानी जमात द्वारा प्रकाशित रहबरे उर्दू किताब का संकलन व प्रकाशन.

शायर मरहूम अमीर अली अमीर की ग़ज़ल संग्रह सफर अमीर के ग़ज़लें का संपादन.

पिता हाजी हसन अली हसन की किताब कहीं धूप कहीं छांव, सिफारिश हसन, और कुछ साया कुछ धूप का संपादन.