ख़ून देना, ज़िंदगी देना है ': फ़ैज़ान की सोच ने बदली हज़ारों ज़िंदगियाँ

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 28-07-2025
Faizan Ali’s H2O Is Saving Lives, Deepening Bonds
Faizan Ali’s H2O Is Saving Lives, Deepening Bonds

 

सिर्फ़ 18 साल की उम्र में, फ़ैज़ान अली बिज़नेस स्टडीज़ में डिग्री हासिल कर रहे थे, जब ज़िंदगी ने उन्हें एक गहरी प्रेरणा दी. पढ़ाई या महत्वाकांक्षा से ज़्यादा, उन्हें एहसास हुआ कि उनके लिए मानवता की सेवा ही सबसे ज़्यादा मायने रखती है. यहां प्रस्तुत है नौशाद अख्तर की फैज़ान अली पर एक विस्तृत रिपोर्ट.   

फ़ैज़ान ने आवाज़ - द वॉयस को बताया "अगर आप सचमुच किसी का दर्द बाँटना चाहते हैं, तो उम्र और शिक्षा मायने नहीं रखतीं—ज़रूरत तो जुनून की है. जिस दिन आप समाज के प्रति जवाबदेह महसूस करते हैं, उसी दिन आप उसकी सेवा करना शुरू कर देते हैं." 

अब 23 साल के, बिहार के गया के फ़ैज़ान अली, निस्वार्थ सेवा की एक बेहतरीन मिसाल हैं. एक साधारण परिवार में पले-बढ़े, उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनका जीवन कॉर्पोरेट भविष्य से सामुदायिक कार्यों की ओर इतनी तेज़ी से मुड़ जाएगा.

परिस्थितियों ने उन्हें आकार दिया. कोविड-19 संकट के दौरान एक सहज प्रतिक्रिया के रूप में शुरू हुआ यह विचार अब एक शक्तिशाली आंदोलन में बदल गया है: ह्यूमन हुड ऑर्गनाइज़ेशन (H2O).

हालाँकि यह विचार 2017 में आकार लेने लगा था, लेकिन महामारी के दौरान ही H2O का असली रूप सामने आया. शुरुआत में रक्तदान पर केंद्रित इस संगठन ने तेज़ी से अपने मिशन का विस्तार किया.

आज, H2O लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करता है, भूखों को भोजन वितरित करता है, गरीबों को कपड़े और कंबल प्रदान करता है, प्लाज्मा दान का आयोजन करता है, आपातकालीन चिकित्सा सहायता प्रदान करता है, मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा देता है, और आपदा राहत प्रयासों का नेतृत्व करता है.

कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान, जब ब्लड बैंकों में भी रक्त की आपूर्ति कम हो रही थी, फैज़ान और उनकी टीम आगे आई. उन्होंने तत्काल रक्तदान करके 24 लोगों की जान बचाई—चौबीसों घंटे सहायता प्रदान की.

इस टीम में कॉलेज के छात्र, बुजुर्ग नागरिक, हिंदू, मुस्लिम और महिलाएं शामिल हैं—सभी एक ही उद्देश्य से एकजुट हैं: जीवन बचाना.

उनका आदर्श वाक्य सब कुछ बयां करता है: "जब जीवन को बचाने की आवश्यकता हो, तो रक्तदान करें. यह जानने से बड़ा कोई पुरस्कार नहीं है कि आपके रक्त ने किसी अजनबी को जीने में मदद की है."

गौरतलब है कि टीम में शामिल मुस्लिम महिलाएं रक्तदान अभियानों में सक्रिय रूप से भाग लेकर सामाजिक मानदंडों को चुनौती दे रही हैं.

मनीषा, ज़ैनब, सदफ़, निशात, रुमान, अदिति, शबनम और अमृता जैसी स्वयंसेवक मानवीय कार्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के साथ अपनी पढ़ाई को संतुलित करती हैं.

फैज़ान का नेतृत्व रणनीतिक और प्रेरणादायक है—एक कॉर्पोरेट मैनेजर की तरह जो किसी राष्ट्रीय अभियान का नेतृत्व कर रहा हो.

उनके मार्गदर्शन में, H2O ने एक मज़बूत रक्तदान नेटवर्क बनाया है जो गया, जहानाबाद, डेहरी-ऑन-सोन, शेरघाटी और दिल्ली व वाराणसी तक फैला है.

वह एक ऐसे पल को याद करते हैं जब दिल्ली में किसी को रक्त की तत्काल आवश्यकता थी, और उनके नेटवर्क के एक स्वयंसेवक ने तुरंत मदद की—यह दर्शाता है कि उनकी प्रतिबद्धता कितनी गहरी है.

H2O के पीछे के नाम सिर्फ़ स्वयंसेवक नहीं—वे नायक हैं: सैफी खान ने कैंसर रोगी अभय शर्मा को बचाया, नवाब आलम ने अलका सिन्हा की मदद की, हामिद खान ने उषा देवी की मदद की, और मोहम्मद अकीब ने नीरज कुमार को बचाया. दयालुता का प्रत्येक कार्य न केवल मानवता की भावना को दर्शाता है, बल्कि सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक भी है. ये हिंदू-मुस्लिम एकता की कहानियाँ हैं, जहाँ मानवीय आवश्यकता सभी भेदभावों को मिटा देती है.

लेकिन H2O का काम चिकित्सा आपात स्थितियों से कहीं आगे तक फैला हुआ है. यह समूह बेघरों को भोजन उपलब्ध कराता है, सर्दियों में कंबल और कपड़ों के रूप में राहत पहुँचाता है, बिछड़े लोगों का अंतिम संस्कार करता है और प्राकृतिक आपदाओं का सामना करता है. चाहे केरल की विनाशकारी बाढ़ हो या बिहार में स्थानीय आपात स्थिति, H2O हमेशा आगे आया है.

फैज़ान का दृढ़ निश्चय 2021 के रमज़ान के दौरान सबसे ज़्यादा दिखाई दिया, जब वह कोविड-19 के मरीज़ों को ऑक्सीजन सिलेंडर पहुँचा रहे थे. राहत कार्य के दौरान ही उन्हें अपने पिता अता-उल-रहमान के निधन की हृदयविदारक खबर मिली. यह एक ऐसा क्षण था जो किसी को भी तोड़ सकता था—लेकिन फैज़ान रुके नहीं. उन्होंने बिना रुके अपना काम जारी रखा. इसी शक्ति ने उन्हें बिहार शौर्य सम्मान और मगध रत्न पुरस्कार जैसे सम्मान दिलाए.

 

फैज़ान के लिए, रक्तदान शाब्दिक और प्रतीकात्मक दोनों है: "हमें अपने रक्त के माध्यम से जीवन देना चाहिए ताकि हम जीवित रहें—न केवल अपने शरीर में, बल्कि दूसरों में भी."

गया में मुख्यालय वाला ह्यूमन हुड अब दिल्ली, वाराणसी और लखनऊ जैसे शहरों तक फैला हुआ है. संगठन का मिशन यह सुनिश्चित करना है कि समय पर मदद के अभाव में किसी की जान न जाए—और हर नागरिक में सामुदायिक सेवा की भावना जागृत करना है. इसी उद्देश्य से, फैज़ान ने इंटर्नशिप कार्यक्रम शुरू किए हैं जो युवाओं को जमीनी स्तर पर विकास और मानवीय कार्यों का प्रशिक्षण देते हैं.

आज, फैज़ान अली बिहार में युवाओं के नेतृत्व वाले बदलाव के प्रतीक हैं. उनके प्रयासों को सोशल मीडिया और समाचार प्लेटफार्मों पर तेज़ी से पहचाना जा रहा है. उनकी टीम अटूट समर्पण के साथ, साझा करुणा और उद्देश्य से जुड़ी हुई काम करती है. अपने साक्षात्कार के दौरान एक मार्मिक क्षण में, फैज़ान ने कहा: "चाहे मैं 100 साल जिऊँ या नहीं, मैं 100 बार रक्तदान करना चाहता हूँ और हज़ारों लोगों के दिलों में हमेशा के लिए ज़िंदा रहना चाहता हूँ."

फैज़ान की कहानी साबित करती है कि सेवा के लिए उम्र, धन या डिग्री की ज़रूरत नहीं होती—बस सहानुभूति और प्रतिबद्धता की ज़रूरत होती है. स्वार्थ से घिरी इस दुनिया में, फैज़ान जैसे व्यक्ति आशा की किरण बनकर उभरे हैं. गया की गलियों से शुरू हुआ उनका सफ़र अब देश भर के युवाओं के दिलों में गूंज रहा है. फैज़ान अली हम सभी को याद दिलाते हैं कि दृढ़ विश्वास और साहस से एक व्यक्ति वाकई बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है.