भारत को वैश्विक स्तर के रासायनिक केंद्र बनाने की जरूरत: नीति आयोग रिपोर्ट

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 03-07-2025
India needs to become a global chemical hub: Niti Aayog report
India needs to become a global chemical hub: Niti Aayog report

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली 

भारत को वैश्विक रासायनिक विनिर्माण महाशक्ति बनने के लिए विश्व स्तरीय रासायनिक केंद्र स्थापित करने की जरूरत है. साथ ही आठ उच्च क्षमता वाले बंदरगाह-बुनियादी ढांचे का संकुल विकसित करने की आवश्यकता है. नीति आयोग की बृहस्पतिवार को जारी एक रिपोर्ट में यह कहा गया है.
 
‘रासायनिक उद्योग: वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत की भागीदारी को सशक्त बनाना’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत 2040 तक 1,000 अरब डॉलर के रासायनिक उत्पादन का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है.
 
रिपोर्ट के अनुसार, भारत वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में अपनी हिस्सेदारी को 2023 के 3.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 2040 तक पांच से छह प्रतिशत करने के लिए तैयार है। इससे 2030 तक सात लाख अतिरिक्त नौकरियां सृजित होंगी.
 
वैश्विक रासायनिक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत की 3.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है. रासायनिक व्यापार में घाटा 2023 में 31 अरब डॉलर का था. यह कच्चे माल और विशेष रसायनों पर इसके आयात की अत्यधिक निर्भरता को दर्शाता है.
 
रिपोर्ट कहती है, ‘‘हालांकि, राजकोषीय और गैर-राजकोषीय हस्तक्षेपों की एक व्यापक श्रृंखला को शामिल करने वाले लक्षित सुधारों से भारत को 1,000 अरब डॉलर का रासायनिक क्षेत्र बनाने और 2040 तक वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (जीवीसी) में 12 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने में मदद मिलेगी, जिससे वह एक वैश्विक रासायनिक महाशक्ति बन जाएगा.’’
 
रासायनिक क्षेत्र में भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के उद्देश्य से कई रणनीतिक राजकोषीय और गैर-राजकोषीय हस्तक्षेपों का जिक्र करते करते हुए, रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘केंद्रीय स्तर पर अधिकार प्राप्त समिति की स्थापना की आवश्यकता है। साथ ही अधिकार प्राप्त समिति के तहत एक रासायनिक कोष का निर्माण किया जाना चाहिए, जिसमें साझा बुनियादी ढांचे के विकास, परियोजना को व्यावहारिक बनाने के लिए कोष आदि के लिए बजटीय प्रावधान हो.
 
रिपोर्ट में बंदरगाहों पर रासायनिक व्यापार में बुनियादी ढांचा संबंधी कमियों पर सलाह देने और उन्हें दूर करने के लिए बंदरगाहों के लिए एक समिति के गठन की वकालत करते हुए कहा गया, ‘‘आठ उच्च-क्षमता वाले बंदरगाह संकुलों के विकास की जरूरत है.’
 
इसमें सिफारिश की गई है कि सरकार को आयात बिल, निर्यात क्षमता, एक ही देश पर निर्भरता आदि के आधार पर रसायनों के वृद्धिशील उत्पादन को प्रोत्साहित करना चाहिए. रिपोर्ट में पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ त्वरित पर्यावरणीय मंजूरी के लिए कदम उठाने का भी सुझाव दिया गया है.
 
नीति आयोग ने अनुसंधान एवं विकास पर खर्च बढ़ाने की भी वकालत की है। इसमें कहा गया है कि भारत में कुल निवेश का केवल 0.7 प्रतिशत अनुसंधान पर खर्च होता है कि जबकि दुनिया में यह औसत 2.3 प्रतिशत है. इससे उच्च मूल्य के रसायन का विकास बाधित होता है.