सब्ज़ी बेचने वाली दादी का सपना साकार : कांस्टेबल से IPS अधिकारी बने उदय कृष्ण

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 01-05-2025
Vegetable selling grandmother's dream comes true: Uday Krishna became IPS officer from constable
Vegetable selling grandmother's dream comes true: Uday Krishna became IPS officer from constable

 

 आवाज द वाॅयस/ विजयवाड़ा

प्रकाशम जिले के छोटे से गांव उल्लापलेम से निकलकर अखिल भारतीय स्तर पर आईपीएस रैंक हासिल करने वाले एम. उदय कृष्ण रेड्डी ने साबित कर दिया  कि संघर्ष, अनुशासन और समर्पण के बल पर कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है. भारतीय सिविल सेवा परीक्षा 2024 में 350वीं रैंक हासिल कर उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में स्थान पाया और देशभर के युवाओं के लिए मिसाल बन गए.

उदय कृष्ण का बचपन बेहद कठिनाइयों भरा रहा. उन्होंने कम उम्र में ही अपने माता-पिता को खो दिया था. उनका पालन-पोषण उनकी दादी रामनम्मा ने किया, जो सब्ज़ियाँ बेचकर उनके लिए रोटी-कपड़ा और शिक्षा जुटाती थीं.

वहीं, उनके चाचा कोटि रेड्डी ने उनके जीवन को दिशा देने में अहम भूमिका निभाई.सरकारी तेलुगु माध्यम स्कूल में पढ़ने वाले उदय 2013 में बतौर कांस्टेबल पुलिस विभाग में भर्ती हुए. गुडलुरू और रामायपटनम मरीन पुलिस स्टेशनों में उन्होंने ड्यूटी की.

लेकिन पुलिस सेवा में एक वरिष्ठ अधिकारी से अपमानजनक व्यवहार उनके लिए टर्निंग पॉइंट बन गया. उन्होंने ठान लिया कि वे एक दिन वर्दी में वह ओहदा हासिल करेंगे, जहां से वे सम्मान के साथ बदलाव ला सकें.


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संघर्ष की लंबी रातें, सफलता की सुबह

2018 में उन्होंने कांस्टेबल की नौकरी से इस्तीफा देकर पूरी तरह सिविल सेवा की तैयारी में लग गए. तीन बार असफलता मिलने पर भी उन्होंने हार नहीं मानी. 2022 में उन्होंने चौथे प्रयास में 780वीं रैंक पाई और भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा (IRMS) में चयनित हुए.

लेकिन यह उनका लक्ष्य नहीं था. उन्होंने प्रशिक्षण के दौरान फिर से प्रयास किया और 2024 में 350वीं रैंक के साथ IPS अधिकारी बनने का सपना साकार किया.

दादी का आशीर्वाद और चाचा का साथ बना संबल

 उदय ने कहा, "मेरी सफलता मेरी दादी और चाचा के आशीर्वाद की वजह से है." उन्होंने बताया कि कैसे उनकी दादी ने उन्हें नैतिकता, धैर्य और मेहनत की सीख दी.उन्होंने कहा, "हम भारत के युवा असाधारण क्षमता से भरे हैं. जरूरत है, उसे पहचानने और लक्ष्य के प्रति ईमानदार रहने की." 

'109 हेल्पलाइन' का सपना — जानवरों के लिए समर्पित

सिर्फ मानव समाज नहीं, उदय का दिल जानवरों के लिए भी धड़कता है. वे देशभर में जानवरों की मदद के लिए '109' इमरजेंसी हेल्पलाइन शुरू करना चाहते हैं.. उन्होंने कहा, "जानवर भी इंसानों की तरह देखभाल और सम्मान के हकदार हैं. मैं इस दिशा में गंभीरता से काम करूंगा."

अंग्रेजी भाषा रही बड़ी चुनौती, लेकिन बनी ताक़त

तेलुगु माध्यम से पढ़ाई करने के कारण अंग्रेजी एक बड़ी चुनौती थी. लेकिन उदय ने हार नहीं मानी. उन्होंने कक्षा 1-10 की अंग्रेजी किताबें, NCERT, रेमंड मर्फी की English Grammar, और चेतन भगत के उपन्यासों से भाषा पर पकड़ बनाई. प्रतिदिन अंग्रेजी अखबार पढ़ने की आदत ने उन्हें आत्मविश्वास दिया..

उदय मानते हैं कि कोचिंग सिर्फ 10% मदद करती है, जबकि 90% सफलता आत्म-अनुशासन, धैर्य और निरंतर अभ्यास पर निर्भर करती है. वे उम्मीदवारों को सलाह देते हैं कि प्रतिदिन 8-12 घंटे की पढ़ाई, स्वस्थ भोजन, पर्याप्त नींद और योग के जरिए मानसिक संतुलन बनाए रखें.


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मेंटरशिप ने बदली दिशा

उदय की सफलता में वरिष्ठ अफसरों की मेंटरशिप ने अहम भूमिका निभाई. उन्होंने महेश भागवत (ADG), केएन कुमार (IAS), तिरुपति राव गंटा (IRS) और रल्लापल्ली जगत साई (IAS) जैसे अफसरों से मार्गदर्शन लिया. महेश भागवत को वे पिता तुल्य मानते हैं.

उदय का संदेश है, "कभी किसी को अपने आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने की इजाजत न दो.. मेहनत करो, केंद्रित रहो और हमेशा खुद पर विश्वास रखो." आज उनके छोटे भाई प्रणय कृष्ण रेड्डी भी सिविल सेवा की तैयारी कर रहे हैं.

उनकी दादी रामनम्मा ने  भावुक होकर कहा, "ईश्वर मेरे पोते को आशीर्वाद दे. वह हमेशा अच्छा करता रहे और दूसरों के लिए प्रेरणा बने."उदय कृष्ण रेड्डी की कहानी हमें यह सिखाती है कि कठिनाइयों से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उन्हें सीढ़ी बनाकर ऊपर चढ़ना चाहिए. कांस्टेबल की वर्दी से आईपीएस की टोपी तक, यह सफर सिर्फ एक व्यक्ति की जीत नहीं, बल्कि एक समाज के सपनों की विजय है.