मुबाशिर रियाज़: कश्मीर की वादियों से थार के रेगिस्तान तक-जज़्बे, सहनशक्ति और हौसले को सलाम

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 02-12-2025
Mubashir Riaz: From the valleys of Kashmir to the Thar Desert – a salute to passion, endurance and courage
Mubashir Riaz: From the valleys of Kashmir to the Thar Desert – a salute to passion, endurance and courage

 

दानिश अली/ श्रीनगर

एडवेंचर और एंड्योरेंस स्पोर्ट्स की दुनिया में अक्सर यह कहा जाता है कि असल जीत महंगे उपकरणों की नहीं, बल्कि उस हौसले की होती है जो खिलाड़ी के भीतर धड़कता है। इस सच को सबसे खूबसूरती से साबित किया है 24 वर्षीय कश्मीर के बंडिपोरा निवासी मुबाशिर रियाज़ ने-एक ऐसे युवा खिलाड़ी ने, जिसने अपने सीमित साधनों के बावजूद पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींच लिया।

dराजस्थान के बीकानेर में आयोजित वेदांता टूर-दे-थार, भारत की पहली लंबी दूरी की डेज़र्ट एंड्योरेंस साइक्लिंग रेस में जम्मू-कश्मीर से भाग लेने वाले मुबाशिर एकमात्र प्रतिभागी थे। 200 किलोमीटर की यह अमेच्योर रेस गर्म लपटों जैसे तापमान, तेज रेतीले तूफ़ानों और खुले रेगिस्तानी भूभाग पर बनी कठिन चुनौतियों से भरी थी। लेकिन मुबाशिर ने न केवल इन चुनौतियों का सामना किया, बल्कि 9 घंटे 30 मिनट की आधिकारिक समयसीमा के भीतर शानदार प्रदर्शन करते हुए 18वाँ स्थान हासिल किया।

इस उपलब्धि को और भी खास बनाता है उनका साधारण सा साइकिल-महज़ 10,000 रुपये की बेसिक मशीन, जबकि अधिकतर प्रतिभागी 2 लाख रुपये से ऊपर की हाई-परफॉर्मेंस साइकिलों का इस्तेमाल कर रहे थे। रेस अधिकारियों और अन्य साइक्लिस्टों ने खुले दिल से उनकी प्रशंसा की, इसे “अटल जज़्बे और असाधारण सहनशक्ति” का अनमोल उदाहरण बताया।

dसोशल मीडिया पर “Mubashir Kashmiri” नाम से सक्रिय मुबाशिर की इस यात्रा को करीब 60,000 लोग लाइव अपडेट्स के जरिए महसूस कर रहे थे—थार की तपिश में उगते सूरज की झलकियाँ, रास्तों पर उड़ती रेत, और तेज हवाओं से जूझते उनके वीडियो युवा पीढ़ी को न केवल प्रेरित कर रहे थे, बल्कि उन्हें फिटनेस और आउटडोर स्पोर्ट्स से जुड़ने के लिए भी उत्साहित कर रहे थे।

टूर-दे-थार केवल एक रेस नहीं, बल्कि भारत में साइक्लिंग, सतत परिवहन और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने वाले बड़े अभियान का हिस्सा है। फिट इंडिया मूवमेंट जैसी पहलों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रोत्साहन ने देश में साइक्लिंग की संस्कृति को नया आयाम दिया है। मुबाशिर जैसे युवा खिलाड़ी यह साबित कर रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर का टैलेंट अब राष्ट्रीय मंच पर मजबूती से अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है।

मुबाशिर केवल खिलाड़ी नहीं—वे सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ़ कश्मीर में फिजिक्स के मास्टर स्टूडेंट भी हैं। पढ़ाई और खेल दोनों में संतुलन बनाकर चलना उनके अनुशासन और लगन की अनूठी मिसाल है। वे इससे पहले कश्मीर के कई मैराथनों में चमक बिखेर चुके हैं, गुलमर्ग में आयोजित राष्ट्रीय स्तर की स्कीइंग प्रतियोगिताओं में गोल्ड और सिल्वर मेडल जीत चुके हैं, और 2025 के नेशनल यूथ फेस्टिवल, नई दिल्ली में भी प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
इसके अलावा, वे SOUL लीडरशिप कॉन्क्लेव में भी शामिल रहे, जहाँ उन्होंने नीति-निर्माताओं व युवा नेतृत्व के साथ नए अवसरों पर विचार-विमर्श किया।

टूर-दे-थार के अनुभव पर मुबाशिर कहते हैं,
कश्मीर साइक्लिंग के लिए दुनिया की सबसे बेहतरीन जगह है-स्वच्छ हवा, लंबे रास्ते और खूबसूरत नज़ारे। साइक्लिंग शरीर और पर्यावरण,दोनों के लिए फायदेमंद है। उम्मीद है सरकार यहाँ और बड़े आयोजन करवाएगी।

उनके दोस्त और मेंटर्स बताते हैं कि मुबाशिर बेहद विनम्र, अनुशासित और निरंतर मेहनत करने वाले खिलाड़ी हैं। अपने व्लॉग्स और आउटडोर कंटेंट के ज़रिए वे युवाओं को सक्रिय रहने, प्रकृति से जुड़ने और जीवन में अपने जुनून को पूरा करने के लिए प्रेरित करते हैं।

कभी गुलमर्ग की बर्फ को चीरते हुए स्की करना, और कभी थार की गर्म रेत में साइकिल चलाते हुए आगे बढ़ना-मुबाशिर रियाज़ की यह यात्रा कश्मीर के युवाओं की नई उड़ान, उनके सपनों और उनके अटूट विश्वास का प्रतीक बन चुकी है। उनकी कहानी यह बताती है कि अगर दिल में जुनून हो और नज़र लक्ष्य पर—तो पहाड़ हो या रेगिस्तान, कोई भी रास्ता पार करना असंभव नहीं।