यह एक ऐतिहासिक पल था, जब भारत की निखत ज़रीन ने वर्ल्ड बॉक्सिंग कप फ़ाइनल में चीनी ताइपे की ज़ुआन यी गुओ को एक निर्णायक मैच में हराकर गोल्ड मेडल हासिल किया। इस जीत के साथ, उन्होंने टूर्नामेंट में महिला कैटेगरी में भारत के लिए पाँचवाँ गोल्ड मेडल पक्का किया।
देश की सबसे बेहतरीन बॉक्सर्स में से एक के तौर पर अपनी पहचान बनाते हुए, निखत ज़रीन ने 51किलोग्राम वर्ग कैटेगरी में 5-0से एकतरफ़ा जीत दर्ज की। हालाँकि, इस जीत को 'वापसी' इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि फ़ाइनल तक का उनका सफर आसान नहीं था, बल्कि यह उनके लिए एक अहम व्यक्तिगत मील का पत्थर भी था।

हार के बाद, 'नई जन्मी एथलीट' जैसा प्रदर्शन
निखत के करियर में एक निराशाजनक मोड़ तब आया जब पेरिस ओलंपिक्स 2024में उनका अभियान समय से पहले ही खत्म हो गया। वह इवेंट के राउंड ऑफ़ 16से बाहर हो गई थीं। एक समय वह इस इवेंट में गोल्ड मेडल के लिए भारत की सबसे बड़ी उम्मीदों में से एक थीं, लेकिन शुरुआती विफलता ने देश को निराश किया।
मगर, वर्ल्ड बॉक्सिंग कप में, निखत एक 'नए जन्मी एथलीट' की तरह लग रही थीं। उन्होंने सेमीफाइनल में उज़्बेकिस्तान की गनीवा गुलसेवर को भी 5-0के अंतर से आसानी से हराकर अपनी मज़बूत वापसी का संकेत दे दिया था। यह गोल्ड मेडल उनके लिए सिर्फ़ एक जीत नहीं है, बल्कि ओलंपिक की निराशा को पीछे छोड़कर आगे बढ़ने की घोषणा है।
महिला शक्ति का जलवा: भारत के लिए ऐतिहासिक दिन
निखत के गोल्ड मेडल ने इवेंट में भारत के लिए पहले से ही जीती हुई विनर्स की लिस्ट में एक और नाम जोड़ दिया। 51किलोग्राम कैटेगरी में निखत की जीत ने देश के लिए एक शानदार रात को और भी यादगार बना दिया। इस इवेंट में भारतीय महिलाओं ने कुल पाँच गोल्ड मेडल जीतकर देश के लिए एक ऐतिहासिक दिन सुनिश्चित किया:
मीनाक्षी हुड्डा: 48किलोग्राम कैटेगरी में चैंपियन।
प्रीति पवार: 54किलोग्राम कैटेगरी में गोल्ड।
अरुंधति: 70किलोग्राम कैटेगरी में गोल्ड।
नुपुर श्योराण: 80+ किलोग्राम कैटेगरी में गोल्ड।
निखत की इस शानदार जीत के बाद, तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने उन्हें बधाई दी। रेड्डी ने कहा, "निकहत का शानदार प्रदर्शन उनके धैर्य, निरंतरता और उत्कृष्टता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है।"
मैदान से रिंग तक: निखत की प्रेरणादायक यात्रा
14 जून 1996 को तेलंगाना के निजामाबाद में जन्मी निखत ज़रीन का सफ़र एक मामूली पृष्ठभूमि से निकलकर इंडियन बॉक्सिंग के इतिहास में अपना नाम दर्ज कराने की कहानी है। तीन बहनों के साथ एक कट्टर मुस्लिम परिवार में पली-बढ़ीं निखत को उनके पिता मोहम्मद जमील अहमद ने खेल से परिचित कराया था।
शुरुआत में रनिंग शुरू करने के बाद, निखत के सफ़र ने एक अचानक मोड़ लिया। उन्होंने एक लोकल स्टेडियम में बॉक्सिंग में लड़कियों की गैर-मौजूदगी पर सवाल उठाया, और इस रूढ़िवादिता को चुनौती दी कि बॉक्सिंग सिर्फ़ लड़कों के लिए है।
निखत ने बॉक्सिंग शुरू करने की अपनी प्रेरणा को साझा करते हुए कहा था, "जब मैंने अपने पापा से पूछा कि उनके साथ कोई लड़की बॉक्सिंग क्यों नहीं करती, तो उन्होंने मुझे बताया कि बहुत कम लड़कियों में बॉक्सिंग करने की हिम्मत होती है। मैं सबको यह साबित करना चाहती थी कि औरतें भी बॉक्सर बन सकती हैं और इसी तरह मैंने बॉक्सिंग शुरू की।"
निखत ने रनिंग ट्रैक से बॉक्सिंग रिंग में कदम रखा, शुरू में अपने पिता के साथ ट्रेनिंग की। उन्होंने अपनी स्किल्स को बेहतर बनाने के लिए लड़कों के दबदबे वाले लोकल जिम में लड़कों के साथ स्पैरिंग की। वह कहती हैं, "लड़कों के साथ ट्रेनिंग करना मेरे लिए एक फ़ायदा था, क्योंकि चैंपियनशिप में लड़कियाँ कोई मुश्किल चुनौती नहीं लगती थीं।"
इसके बाद वह विशाखापत्तनम में SAI (स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया) की फैसिलिटी में शामिल हुईं, जहाँ उन्होंने द्रोणाचार्य अवॉर्डी आईवी राव के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण जारी रखा।
Creating my own reminder to never stop dreaming.💫🎯#LA2028 #ManifestingDreams pic.twitter.com/kJ8hs04J5w
— Nikhat Zareen (@nikhat_zareen) October 26, 2025
चोट और चुनौती से लड़कर आगे
2009 में, निखत का टैलेंट सामने आया जब उन्होंने सब-जूनियर नेशनल टाइटल जीता और उसके बाद 2011में जूनियर और यूथ वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड जीता। 2014में, उन्होंने यूथ वर्ल्ड चैंपियनशिप में एक और सिल्वर जीता।
एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने शुरुआती सफ़र के बारे में बताया था कि उन्होंने 8वीं क्लास में बॉक्सिंग शुरू की थी और उन्हें स्कूल से सब-जूनियर नेशनल्स में जाने की परमिशन मिल गई थी। स्कूल ने भी उन्हें हमेशा बहुत सपोर्ट किया। हालांकि, उनके करियर में चोट एक बड़ी बाधा बनकर आई। एक फाइट के दौरान एक गलत पंच लगने से उनका कंधा खिसक गया और उन्हें सर्जरी करानी पड़ी।
चोट और पुनर्वास (रिहैबिलिटेशन) के कठिन दौर से गुज़रने के बावजूद, निखत ने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने अपने कोच रोनाल्ड सिम्स के मार्गदर्शन में सुधार की उम्मीद जताई थी। उन्होंने कहा था, "वह एक बहुत ही टेक्निकल कोच हैं जो मुझे बॉक्सिंग के हर पहलू में सुधार करने के लिए गाइड करते हैं।"
निखत ने हमेशा अपने लक्ष्यों को स्पष्ट रखा है। उन्होंने अपनी वापसी के दौरान ही एशियाई चैंपियनशिप को अपना लक्ष्य बनाया था। JSW स्पोर्ट्स के साथ उनका जुड़ाव भी उनके प्रदर्शन में एक बड़ा रोल निभाता रहा है, जिसके लिए वह उन्हें गर्व महसूस कराना चाहती थीं।
निखत ज़रीन की यह गोल्ड मेडल जीत साबित करती है कि असफलताएं सिर्फ़ एक पड़ाव होती हैं, मंज़िल नहीं। उन्होंने अपनी पिछली हार, चोट और निराशा को पीछे छोड़कर यह दिखा दिया कि सही दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत के साथ कोई भी एथलीट विश्व मंच पर वापसी कर सकता है और चमक सकता है।