तस्वीरों की जुबानी दिलचस्प कहानी : हिंदू-मुस्लिम 777 महिलाओं ने बनाई अपनी कंपनी, दे रही हैं रोजगार
अशफाक कामख्यानी / बाड़मेर ( राजस्थान )
भारत-पाकिस्तान सीमा पर बाड़मेर जिले में महिलाओं ने अपना मंच तैयार किया है. इस मंच के निदेशक मंडल में केवल कुशल ग्रामीण महिलाएं हैं. जबकि कंपनी का नाम थार आर्टिसन प्रोड्यूसर कंपनी प्राइवेट लिमिटेड है. कंपनी महिला कारीगरों और उनके कौशल को सीधे बाजार से जोड़ने का माध्यम बन गई है
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राजस्थान के बाड़मेर के ढाणी गांव में बिखरी हुई प्रतिभाओं को जगह देने के लिए महिलाओं ने अपने समूह को एक कंपनी में तब्दील कर दिया है. इस पहल से 777 महिला स्वामियों के साथ 5000 महिलाओं को रोजगार मिल रहा है. वहीं बाड़मेर की सीमा से लगे इन महिला समूहों में हिंदू-मुस्लिम को लेकर किसी तरह का कोई विवाद नहीं है.
यही कारण है कि हिंदू मुस्लिम महिलाओं ने सामूहिक रूप से खुद को आत्मनिर्भर बनाया है.भारत-पाकिस्तान सीमा पर बाड़मेर जिले में इन महिलाओं ने अपना मंच विकसित किया है. इस मंच के निदेशक मंडल केवल कुशल ग्रामीण महिलाएं हैं. जबकि कंपनी का नाम थार आर्टिसन प्रोड्यूसर कंपनी प्राइवेट लिमिटेड रखा गया है.
कंपनी महिला कारीगरों और उनके कौशल को सीधे बाजार से जोड़ने का माध्यम बन गई है.777 महिलाओं की कंपनी थार आर्टिसन्स प्रोड्यूसर कंपनी प्रा की महिला कारीगरों में किसी धर्म या जाति का कोई भेदभाव नहीं है.
जबकि 5 हजार से अधिक महिलाएं प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार से जुड़ी हैं. कंपनी की जरीना सीवेल ने कहा कि कारीगर खुद निर्माता और विक्रेता हैं. कंपनी के मुनाफे में उनका सीधा हिस्सा होता है.
30 जून 2020 को थार आर्टिसन्स प्रोड्यूसर कंपनी प्राइवेट लिमिटेड को राज्य सरकार और जिला प्रशासन द्वारा सामान्य सुविधा केंद्र स्थापित करने के लिए भूमि आवंटित की गई थी. वहीं अगस्त 2021 में भूमि पूजन किया गया. अब यहां भवन का निर्माण पूरा हो चुका है.
इस स्थान पर इन कुशल महिलाओं को कटिंग और पेस्टिंग के साथ कच्चा माल भी उपलब्ध कराया जाता है. शोरूम, स्टोरेज और प्रदर्शनी की सुविधा भी मिलती है. अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखने वाली जरीना सेवाल ने कहा कि उनका मकसद यहां की प्रतिभाओं को नई ऊंचाइयां देना है.
थार आर्टिसन्स प्रोड्यूसर्स कंपनी प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ी इंदिरा देवी, कमला देवी, निर्मला देवी और दरिया देवी ने कहा कि इससे जुड़ने के बाद उन्हें न सिर्फ अपने काम की वैल्यू का पता चला, खुद के बॉस होने का अहसास भी हुआ. जरीना की मेहनत की वजह से आज हजारों परिवारों की जिंदगी गुजर रही है