ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
देश के वैज्ञानिकों की दृढ़ मेहनत के दम पर भारत का चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंड हुआ. यह क्षण सभी भारतीयों के लिए गौरव का समय है. इस अभियान की सफलता देखने के लिए लोग टेलीविजन, सोशल मीडिया के माध्यम से जुड़े रहे.
इस अभियान को लेकर शहर से लेकर गांव तक लोगों में उत्साह था. अब भारत चंद्रमा की दक्षिणी धुरी पर अपना तिरंगा फहराने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है.
इसरो के चंद्रयान-3 की यह सफलता भारतवासियों के लिए तो गर्व की बात है ही, लेकिन आज बिहार भी इस मिशन की सफलता से गौरवान्वित हो रहा है. जी हां इस मिशन की सफलता में बिहार के पांच युवा वैज्ञानिकों ने अहम भूमिका निभाई है. जिसकी चर्चा बिहार में जोरों शोरों से हो रही है.
समस्तीपुर के अमिताभ, मुजफ्फरनगर के आशुतोष, सीतामढी के रवि कुमार, गया के सुधांशु कुमार और मुजफ्फरनगर के अरीब अहमद, चंद्रयान 3 मिशन का हिस्सा बने. चंद्रयान 3 मिशन में इन पांचों युवा वैज्ञानिकों की क्या भूमिका थी, जानिए इस रिपोर्ट में...
प्रक्षेपण यान बनाने वाली टीम में गया के सुधांशु भी शामिल हैं
गया जिले के खरखुरा मोहल्ले के रहने वाले सुधांशु चंद्रयान 3 का प्रक्षेपण यान बनाने वाली 30 लोगों की टीम का हिस्सा हैं. सुधांशु के पिता घर पर आटा चक्की चलाते हैं.
सरकारी स्कूल से इंटरमीडिएट तक पढ़ाई करने के बाद सुधांशु ने एनआईटी में दाखिला लिया. यहां उन्होंने सिविल स्ट्रीम से बीटेक की पढ़ाई की. यहां से कैंपस सेलेक्शन के बाद वह नौकरी पर चले गए. करीब एक साल तक नौकरी करने के बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी और दोबारा पढ़ाई के लिए आईआईटी रूड़की में दाखिला ले लिया. यहीं से उन्होंने एमटेक किया. इसके बाद उन्होंने इसरो की परीक्षा दी.
इस परीक्षा में उन्हें सफलता मिली. सुधांशु सितंबर 2021 में एक वैज्ञानिक के रूप में इसरो में शामिल हुए. फिलहाल वह श्रीहरिकोटा में तैनात हैं.
ऑपरेशन डायरेक्टर की भूमिका में समस्तीपुर के अमिताभ
बिहार के होनहार वैज्ञानिकों में से एक अमिताभ ने भारत के अंतरिक्ष मिशन अभियान चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग में अहम भूमिका निभाई. वह समस्तीपुर के कुबोलीराम गांव के रहने वाले हैं.
चंद्रयान 3 के लॉन्च में अमिताभ डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर और ऑपरेशन डायरेक्टर की भूमिका में हैं. अमिताभ चंद्रयान एक और दो का भी हिस्सा रह चुके हैं. उन्होंने चंद्रयान-1 में प्रोजेक्ट मैनेजर के तौर पर काम किया था. गांव में पले-बढ़े अमिताभ ने प्राइमरी, मिडिल और हाई स्कूल की शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल से प्राप्त की.
इसके बाद अमिताभ ने पटना के एएन कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स में एमएससी की पढ़ाई की और फिर बीआईटी मेसरा से एमटेक किया. एमटेक करने के दौरान अमिताभ ने इसरो के तीन सेंटरों में आवेदन किया था. अमिताभ 2002 में इसरो में शामिल हुए.
सीतामढ़ी के रवि नेटवर्क सुरक्षा संभाल विभाग में
रवि चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग में नेटवर्क सुरक्षा का जिम्मा संभाल रहे थे.सीतामढी जिले के पुपरी गांव के रहने वाले रवि कुमार की प्रारंभिक शिक्षा सीतामढी से हुई.
रवि कुमार वर्तमान में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में सैटेलाइट वैज्ञानिक हैं. वह 2012 में बेंगलुरु में शामिल हुए थे. रवि 2019 में चंद्रयान-2 में भी शामिल थे. रवि ने जवाहर नवोदय विद्यालय, सीतामढी से 2005 में 10वीं और 2007 में 12वीं कक्षा पास की. 2008 में आईआईटी जेईई पूरा किया. भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएसटी) त्रिवेन्द्रम से एवियोनिक्स में बीटेक पूरा करने के बाद रवि 2012 में इसरो में शामिल हुए.
आशुतोष ने सहायक वैज्ञानिक के रूप में कार्य किया
वहीं, बिहार के मुजफ्फरपुर के लाल आशुतोष ने भी देशवासियों और परिवार को काफी खुश किया है.आशुतोष को चंद्रयान-3 मिशन में सहायक वैज्ञानिक के रूप में काम करने का मौका मिला.
इसी साल जनवरी में आशुतोष ने सहायक वैज्ञानिक के तौर पर इसरो जाइन किया और महज 6 महीने में ही उन्हें 'चंद्रयान-3' में शामिल होने का मौका मिल गया. बता दें कि आशुतोष 5 भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं.
उन्होनें मुजफ्फरपुर से ही अपनी पढ़ाई पूरी की है. आशुतोष ने शहर के सरकारी हाई स्कूल बीवी कॉलेज से 10वीं की है. जिसके बाद मुजफ्फरपुर के ही सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज में पढ़ाई की और बाद में भागलपुर से बीटेक किया.
आशुतोष ने ना सिर्फ मुजफ्फरपुर का बल्कि पूरे बिहार का नाम रोशन किया है. पूरे परिवार में जश्न का माहौल है.
अरीब अहमद ISRO में इंजीनियर हैं
इसी कड़ी में मुजफ्फरनगर खतौली के अरीब अहमद भी शामिल हैं. जामिया मिल्लिया इस्लामिया से इंजीनियरिंग के छात्र हैं. अरीब अहमद ISRO में इंजीनियर हैं.मिशन चंद्रयान-3 का हिस्सा थे. अरीब ने अपने पिता महताब से मोबाइल पर बातचीत के दौरान कहा" ऐसा लग रहा है कि जैसे मेरी परीक्षा का कोई नतीजा आने वाला है."
इन सभी वेज्ञानीकों ने भारत का परचम पुरी दुनिया में लहरा दिया है और यह साबित कर दिया है कि बिहार के युवा हर क्षेत्र में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं.
मालूम हो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 14 जुलाई को चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था, जिसे 23 अगस्त 2023 को सफलता प्राप्त हुई.