यूपीएससीः तैयारियों में और लाएं जोशः एस वाई कुरैशी

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 03-10-2021
 एस वाई कुरैशी
एस वाई कुरैशी

 

मलिक असगर हाशमी /नई दिल्ली
 
देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी पिछले वर्ष के मुकाबले यूपीएससी 2020 में मुसलमानों के प्रदर्शन में आई गिरावट से हतोत्साहित नहीं हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा होता रहता है. मुसलमानों का प्रदर्शन किसी साल उंचा तो किसी साल नीचे चला जाता है. ऐसे में हौंसला नहीं छोड़ना चाहिए. और शिद्दत और मेहनत से तैयारियों में जुट जाना चाहिए.
 
एसवाई कुरैशी ने देश की सबसे प्रतिष्ठित यूपीएससी परीक्षा में इस बार मुस्लिम युवाओं के प्रदर्शन में आई गिरावट पर यह बातें कहीं. पिछले वर्ष यूपीएससी परीक्षा में 45 मुस्लिम उम्मीदवारांे ने सफलता के झंडे गाड़े थे. इस बार संख्या घट कर 29 रह गई. हालांकि सीटों की संख्या इस बार पिछले वर्ष की तुलना में कम थी.
 
यूपीएससी में मुसलमानों के प्रदर्शन पर आवाज द वाॅयस से फोन पर बात करते हुए वरिष्ठ आईएएस एवं पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा कि परीक्षा में प्रदर्शन को लेकर दिल छोटा या बड़ा करने की जरूरत नहीं. कोई एक बार में बेहतर कर जाता है. कोई असफल होने पर दुगनी तैयारियों में जुट जाता है. ऐसे ही लोग अच्छा करते हैं. शुभम कुमार का उदाहरण बिल्कुल ताजा है.
 
उन्होंने कहा कि यूपीएससी में बैठने के लिए 6 अवसर मिलते हैं. इसलिए तैयारियों में कभी कोताही नहीं बरतनी चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसे सैकड़ों उदाहरण मिलेंगे जो कई एटेंप्ट के बाद कामयाब हुए हैं. कई तो अच्छी रैंक नहीं आने पर दोबारा परीक्षा में ज्यादा तैयारियों के साथ बैठते हैं. इसलिए फिर कह रहा हूं कि तैयारियों में कभी ढिलाई नहीं बरतनी चाहिए.
 
यह पूछने पर कि यूपीएससी की तैयारी कराने वाले मुस्लिम अदारों की संख्या निरंतर बढ़ रही है. इस हिसाब से हर वर्ष परीक्षा परिणाम में बेहतर उछाल आना चाहिए. मगर ऐसा होता नहीं है. कामयाब उम्मीदवारों की संख्या कभी बढ़ जाती है तो घट जाती है. ऐसा क्यों ?
 
इसपर कुरैशी ने कहा कि सीटों की संख्या के हिसाब से भी कामयाब उम्मीदवारों की संख्या देखनी होगी. जहां तक प्रतिशत की बात है तो प्रदर्शन सुधार ही रहा है. इस बार भी तकरीबन चार प्रतिशत मुस्लिम बच्चे यूपीएससी में कामयाब हुए हैं.
 
इसके साथ ही उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने और करने वाली संस्थाओं को सुझाव दिया कि उन्हें अपने कैरिकुलम में थोड़ा और बदलाव लाना होगा. संस्थानों की हौसला अफजाई की भी जरूरत है. यह समाज का काम है.
 
एसवाई कुरैशी ने इसके साथ ही यूपीएससी की तैयारी करने वाले और तैयारी कराने वाली संस्थाओं को टिप्स भी दिए. उन्होंने कहा कि उन्हें अपने प्रयास और तैयारियां इस लिए भी बढ़ानी चाहिए कि अगर कोई यूपीएससी में कामयाब नहीं होता है तो उसकी यह तैयारी अन्य प्रतिष्ठित प्रतियोगी परीक्षाओं में काम आ सकती है. इस तैयारी की बदौलत वे कहीं और क्लास वन अधिकारी बन सकते हैं. इस लिए लगन बनाए रखें. 
 
कामयाब मुस्लिम उम्मीदवार  और रैंकिंग 

  • 1. 23 सदफ चैधरी 
  • 2. 58 फैजान अहमद 
  • 3. 125 मंजर हुसैन अंजुम 
  • 4. 129 शाहिद अहमद 
  • 5.142 शहंशाह के एस 
  • 6. 203 मोहम्मद आकिब
  • 7. 217 शहनाज आई 
  • 8. 225 वसीम अहमद भट 
  • 9. 234 बुशरा बानो 
  • 10. 256 रेशमा ए एल 
  • 11. 270 मोहम्मद हारिस सुमेर 
  • 12. 282 अल्तमश गाजी 
  • 13. 283 अहमद हसंउज्जमान चैधरी 
  • 14. 316 सारा अशरफ 
  • 15. 389 मुहिबुल्लाह अंसारी 
  • 16. 423 जेबा खान 
  • 17. 447 फैसल राजा 
  • 18. 450 एस मोहम्मद याकूब 
  • 19. 478 रेहान खत्री 
  • 20. 493 मोहम्मद जावेद ए 
  • 21. 545 अल्ताफ मोहम्मद शेख 
  • 22. 558 खान आसिम किफायत खान 
  • 23. 569 सैयद जाहिद अली 
  • 24. शकीर अहमद ए 
  • 25. 589 मोहम्मद रिजवान आई
  • 26. 597 मोहम्मद शाहिद 
  • 27. 611 इकबाल रसूल डार
  • 28. 625 आमिर बशीर 
  • 29. 739 माजिद इकबाल खान
जामिया कोचिंग के 20 छात्र कामयाब

दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया कोचिंग सेंटर से इस साल 20 उम्मीदवारों को सिविल सर्विस 2020 के इम्तिहान में कामयाबी मिली है. इनमें मुस्लिम छात्रों के साथ कुछ गैर-मुस्लिम छात्र भी हैं. 
 
761 उम्मीदवार हुए हैं कामयाब

इस इम्तिहान में कुल 761 उम्मीदवार पास हुए हैं जिनमें 545 पुरुष और 216 महिलाएं हैं. सिविल सर्विसेज परीक्षाओं का आयोजन प्रति वर्ष यूपीएससी तीन मरहलों में करता है, जिनमें प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार शामिल हैं. इन परीक्षाओं के माध्यम से भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) सहित कई अन्य सेवाओं के लिए उम्मीदवारों का चयन होता है. 
 
 
भागीदारी में उतारा चढ़ाव

देश की सबसे प्रतिष्ठित संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) परीक्षा में मुस्लिम समुदाय की भागीदारी कभी एक जैसी नहीं रहती. इस कौम के युवा कभी अधिक संख्या में सफल होते हैं तो कभी इनकी सफलता का ग्राफ नीचे चला आता है. पिछले वर्ष 45 मुस्लिम यूपीएससी क्रैक करने में सफल रहे थे.
 
इस बार यह संख्या 35 के करीब है. पिछले वर्ष जामिया मिल्लिया इस्लामिया की रेजिडेंशियल कोचिंग एकेडमी के 30 तो हमदर्द रेजिडेंशियल कोचिंग एकेडमी के सात प्रतियोगी यूपीएससी में कामयाब हुए थे. इनमें से 27 को जकात फाउंडेशन ने आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई थी.सिविल सेवा परीक्षा 2019 में 829 उम्मीदवारों का चयन हुआ था, जिसमें 45 मुस्लिम थे.
 
दस वर्ष पूर्व 2010 में 791 सफल उम्मीदवारों में 31 मुस्लिम थे. वहीं, 2011 में महज 21 उम्मीदवार सफल हुए थे, जबकि 2016 में 50 और 2017 में 52 उम्मीदवार सफल हुए. प्रतिशत के आधार पर दस वर्षों में 2019
में मुस्लिम उम्मीदवारों को सर्वाधिक सफलता मिली. सबसे बेहतर रिकॉर्ड 2017 का था. तब 990 में 52 मुस्लिम उम्मीदवार सफल हुए और भागीदारी 5.3 फीसदी थी. 2019 में सफलता का प्रतिशत 5.4 रहा.