भारत की दो बेटियां इजरायली सेना में दिखा रहीं हैं दम

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 04-06-2021
भारत की दो बेटियां इजरायली सेना में दिखा रहीं हैं दमखम
भारत की दो बेटियां इजरायली सेना में दिखा रहीं हैं दमखम

 

मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली

विश्व की शक्तिशाली सेनाओं में शुमार इजरायली सेना में भारत की भी दो बेटियां पूरा दम-खम दिखा रही हैं. उनमें से एक ने तो इजरायल सेना के कम्युनिकेशन एंड सिक्योरिटी विभाग की कमान ही संभाल रखी है. दूसरी अर्मी में स्थायी कमीशन लेने के लिए कमांडो ट्रेनिंग कर रही है.
  
इजरायल में 18 वर्ष की उम्र से अधिक लोगों को सेना में भर्ती होना अनिवार्य है. मगर भारत मूल की ये दोनों सगी बहनें स्थायी तौर पर इजरायली सेना में सेवाएं दे रही हैं. 
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दोनों बहनें अपने परिवार के साथ
 
दोनों बहनों में से बड़ी का नाम निशा और छोटी का रिया है. इनके पिता जीवाभाई मूणियासिया अपने बड़े भाई सवदासभाई मूणियासिया के साथ इजरायल के शहर तेल अवीव में जनरल स्टोर चलाते हैं. दोनों भाई बहुत पहले रोजगार की तलाश में भारत से इजरायल पहुंच गए.
 
जीवाभाई और सवदासभाई गुजरात के जूनागढ़ के माणावदार तालुका के छोटे से गांव कोठाडी के मूल निवासी हैं. इजरायल जाते समय दोनों अपने परिवार भी साथ ले थे. इस छोटे से गांव को इस बात को लेकर बेहद गर्व है कि उनके यहां की दो बेटियां आज विश्व की सबसे ताकतवर सेना में न केवल सेवाएं दे रही हैं. अहम जिम्मेदारी भी संभाल रखी है.
 
एक रिपोर्ट के अनुसार, रिया 12 वीं पास करने के बाद ही सेना में स्थायी कमीशन के लिए भर्ती हो गई थीं. अभी वह कमांडो ट्रेनिंग ले रही हैं. प्रशिक्षण तीन महीने तक चलेगी. उसके बाद उन्हें कई तरह की परीक्षाओं से गुजराना पड़ेगा. इसमें पास होने पर पोस्टिंग मिलेगी. जबकि उनकी बड़ी बहन निशा इजरायली सेना के कम्यूनिकेशन एंड साइबर सेक्यूरिटी डिपार्टमेंट में तैनात हैं.
 
उन्होंने फ्रंट लाइन की कमान संभाल रखी है. इसे बड़ी जिम्मेदारी वाला पद माना जाता है. कहा जाता है कि हाल में फिलिस्तीन के हमास के साथ भिड़ंत में भारी क्षति पहुंचाने में इस विभाग ने अहम किरदार निभाया था.
 
gujrat 2दोनों बहनें पिता के साथ


इजरायली कानून के तहत, इस देश के हरेक नागरिक को 18 वर्ष से अधिक की उम्र होने पर सेना में सेवा देना अनिवार्य है. कानून के अनुसार, महिलाओं को दो वर्ष और पुरुषों को लगभग तीन वर्ष सेना की सर्विस करनी होती है. इच्छानुसार सेना में स्थायी तौर पर रह भी सकते हैं.
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दोनों बहनें बातें करती हुईं
 
इस कानून से केवल मनोरोगियों, धार्मिक कार्यों में लगे लोगों और विकलांगों को छूट मिली हुई है. इसके अलावा ओलंपिक खिलाड़ियों एवं डांस एवं संगीत के कलाकारों को अपने हुनर के विकास के लिए इस काननू से 75 प्रतिशत राहत है.
 
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सेना में लड़कियों की दिलचस्पी बढ़ी


गत कुछ सालों में इजरायली सेना की लड़ाकू इकाइयों में ज्यादा से ज्यादा महिला योद्धाएं शामिल हो रही हैं. वहां की महिलाएं भी अब किसी भी मामले में पुरुषों से पीछे नहीं रहना चाहतीं. जो मर्द कर सकते हैं वो अब औरतें भी करने लगी हैं.
 
कई मामले में तो औरतें मर्दों से ज्यादा करने लगी हैं. इजरायली सेना इसका उदाहरण है. पिछले कुछ सालों में इस सेना की लड़ाकू इकाइयों में महिला योद्धा शामिल हो रही हैं. चार साल पहले इजरायली सेना की लड़ाकू ईकाइयों में 3 फीसदी महिलाएं थीं. अब यह आंकडा 7 प्रतिशत तक पहुंच गया है. अनुमान लगाया जा रहा है कि कुछ वर्षों में महिला सैनिकों का 10 प्रतिशत से पार कर जाएगा. 
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बढ़ती भागीदारी की दो वजह


सेना में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी के पीछे दो प्रमुख कारण बताए जाते हैं. एक समाज की सोच में बदलाव और सेना में पुरुषों की सर्विस का कम होता समय. कम समय की इस सर्विस के लिए सैनिक मिलने में परेशानी आती है.
 
इजरायली सेना यहां के समाज के दिल में बसती है. सभी यहूदी नागरिक इसमें शामिल होना चाहते हैं. इस वजह से ज्यादा युवा लड़कियां सेना में भर्ती होकर खुद को खुशनसीब समझती हैं. इजरायल में 1948 में एक राज्य बनाया गया था. हगानाह जोकि देश की सेना का अग्रदूत था. इसमें महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका थी. 
 

2000 में बनी थी मिक्स यूनिट


इजरायली सेना में शामिल ज्यादातर  महिलाएं नर्स या रेडियो ऑपरेटर के रूप में काम कर रही हैं. इजरायल में महिला और पुरुषों की एक मिली-जुली यूनिट काराकल बटालियन को 2000 में बनाया गया. इसमें महिला और पुरुष दोनों सैनिक बिलकुल एक तरह नजर आते हैं.
 
इजरायली सेना में काम करने वाली स्मादर कहती है, ‘‘जो पुरुष कर सकते हैं वो महिलाएं भी कर सकती हंै.’’25 साल की स्मादर बताती हैं,’’ सेना की सभी यूनिट में महिला और पुरुषों के मिले-जुले पद होने चाहिएं. जो भी लड़ सकता है उसे ये पद मिलना चाहिए.’’
 
 इजरायल में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों की सेना में भी महिलाओं की भागीदारी पिछले कुछ दशकों में बढ़ी है. आस्ट्रेलिया और कनाड़ा में महिलाओं को पुरुषों के बराबर अवसर दिए जा रहे हैं. अल्जीरिया में बहुत सी महिला जरनल हैं. जोरडन, लेबनन और ट्यूनीशिया में भी सेना में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है.
 
सीरिया की लड़ाकू ईकाइयों में भी बड़े पदों पर महिलाएं हैं. भारत में भी तीनों सेना में महिलाओं की संख्या बढ़ी है.इजरायली सेना 120,000 सैनिकों को शामिल करने पर विचार कर रही है. इसमें 85 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए होंगे.