मोंटेवीडियो (उरुग्वे)
उरुग्वे की संसद ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए इच्छामृत्यु (Euthanasia) को वैध घोषित कर दिया है, जिससे यह देश दक्षिण अमेरिका में ऐसा कानून पारित करने वाला पहला देश बन गया है। इस कानून के तहत अब गंभीर रूप से बीमार मरीज़, यदि वे असहनीय पीड़ा से गुजर रहे हों, तो अपनी इच्छा से जीवन समाप्त करने के लिए चिकित्सकीय सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
इससे पहले कोलंबिया और इक्वाडोर ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के माध्यम से इच्छामृत्यु को गैर आपराधिक घोषित किया था, लेकिन उरुग्वे ने इसे पहली बार विधायी प्रक्रिया से कानूनी दर्जा दिया है।
उरुग्वे की लेफ्ट-विंग पार्टी 'ब्रॉड फ्रंट' की सांसद पेट्रीशिया क्रेमर ने कहा,
“जनता की राय हमसे इस पर निर्णय लेने की मांग कर रही थी। यह हमारे समाज में गहराई से जुड़े एक मानवीय विषय पर प्रगति है।”
यह कानून पिछले 5 वर्षों से अलग-अलग चरणों में विचाराधीन था और बुधवार को 31 में से 20 सांसदों के समर्थन से सीनेट में पारित हुआ। इससे पहले अगस्त में इसे निचले सदन में भी व्यापक समर्थन मिला था। अब बस इसे लागू करने के लिए सरकार द्वारा नियमावली बनाई जानी बाकी है।
विधानसभा में बहस के दौरान इच्छामृत्यु के पक्ष में जोरदार तर्क रखे गए। सत्ताधारी पार्टी के सांसदों ने इसे तलाक और समलैंगिक विवाह की वैधता जैसे सामाजिक सुधारों की कड़ी में बताया।
सेन डेनियल बोरबोनेट ने कहा,
“जीवन एक अधिकार है, बीमारी या स्वास्थ्य में — लेकिन जब दर्द असहनीय हो जाए और दूसरों को वह समझ में न आए, तब जीवन को एक अनिवार्यता नहीं बनाया जा सकता।”
चर्च का विरोध
इच्छामृत्यु को लेकर सबसे बड़ा विरोध कैथोलिक चर्च से आया। मोंटेवीडियो के आर्चबिशप डैनियल स्टरला ने मतदान से पहले अपील की थी कि लोग “जीवन के उपहार की रक्षा करें और यह याद रखें कि हर व्यक्ति को अंत तक देखभाल, साथ और समर्थन मिलना चाहिए।”
हालांकि, उरुग्वे जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में — जहां शपथ में ईश्वर का उल्लेख नहीं किया जाता और क्रिसमस को 'फैमिली डे' कहा जाता है — वहां धार्मिक विरोध अब कम असरदार हो गया है।
सामाजिक प्रगति की मिसाल
उरुग्वे को पहले से ही समाजिक रूप से सबसे उदार देशों में गिना जाता है। यह दुनिया का पहला देश था जिसने मनोरंजन के लिए मारिजुआना को वैध किया, और समलैंगिक विवाह और गर्भपात को एक दशक पहले ही कानूनी बना दिया।
उप-राष्ट्रपति कैरोलीना कोसे ने कहा,
“यह एक ऐतिहासिक क्षण है जो उरुग्वे को मानवीय और संवेदनशील मुद्दों पर क्षेत्र में अग्रणी बनाता है।”
कानून की प्रमुख बातें
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यह कानून केवल स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा की गई इच्छामृत्यु की अनुमति देता है।
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सहायक आत्महत्या (Assisted Suicide), यानी रोगी द्वारा स्वयं घातक दवा लेना, इसकी परिधि में नहीं आता।
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अन्य देशों जैसे अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया या न्यूजीलैंड के विपरीत, जहां मृत्यु की अपेक्षित समय-सीमा (6-12 महीने) होती है, उरुग्वे में ऐसी कोई सीमा तय नहीं की गई है।
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इसमें कोई प्रतीक्षा अवधि नहीं है, और कोई भी व्यक्ति जिसे कोई लाइलाज और असहनीय पीड़ा देने वाली बीमारी है, वह इच्छामृत्यु के लिए आवेदन कर सकता है — भले ही वह बीमारी जानलेवा न हो।
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रोगी को मानसिक रूप से सक्षम होना आवश्यक है।
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यदि रोगी मानसिक स्वास्थ्य समस्या जैसे अवसाद से ग्रस्त है, तब भी वह आवेदन कर सकता है, लेकिन उसे दो डॉक्टरों से यह प्रमाणित कराना होगा कि वह निर्णय लेने में मानसिक रूप से सक्षम है।
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नाबालिगों के लिए इच्छामृत्यु की अनुमति नहीं दी गई है।
इस तरह उरुग्वे ने एक और सामाजिक सुधार की दिशा में साहसिक कदम उठाया है, जो पूरे क्षेत्र में नीति-निर्माताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और चिकित्सा क्षेत्र के लिए एक मिसाल बन सकता है।