दुबई
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने अपने 54वें राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर गाज़ा पट्टी के युवाओं और उनके परिवारों के लिए एक महत्वपूर्ण मानवीय पहल की घोषणा की है। ‘ऑपरेशन गैलेंट नाइट 3’ के तहत UAE ने ‘थोब अल-फ़रह’ (खुशी का परिधान) नामक पहला सामूहिक विवाह कार्यक्रम शुरू किया है, जिसके अंतर्गत 54 दूल्हों का विवाह कराया जाएगा। यह संख्या UAE के 54वें राष्ट्रीय दिवस का प्रतीक भी है।
यह पहल न सिर्फ खुशी का संदेश देती है, बल्कि युद्ध और आर्थिक संकट से प्रभावित गाज़ा के युवाओं के लिए राहत और सामाजिक स्थिरता की दिशा में एक बड़ा कदम भी है। वर्षों से जारी संघर्ष और तबाही के बीच कई परिवारों की आर्थिक स्थिति अत्यंत कमजोर हो चुकी है, जिससे विवाह जैसे सामाजिक दायित्व उनके लिए भारी बोझ बन गए हैं। इसी चुनौती को ध्यान में रखते हुए UAE ने यह मानवीय सहायता कार्यक्रम शुरू किया है।
ऑपरेशन गैलेंट नाइट 3 की ओर से स्पष्ट किया गया है कि सामूहिक विवाह कार्यक्रम के लिए पंजीकरण केवल उनकी आधिकारिक वेबसाइट के “प्रोजेक्ट्स एंड असिस्टेंस” सेक्शन के माध्यम से ही किया जाएगा, ताकि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और व्यवस्थित रह सके।
इस पहल के लिए निर्धारित पात्रता मानदंड निम्नलिखित हैं:
आवेदक फ़िलिस्तीनी नागरिक हो और गाज़ा पट्टी में स्थायी रूप से निवास करता हो।
दूल्हा मंगेतर हो और विवाह का आधिकारिक अनुबंध 1 नवंबर 2025 से पहले का होना चाहिए। पुराने अनुबंधों को प्राथमिकता मिलेगी।
आवेदक की आयु कम से कम 27 वर्ष हो (यदि वह परिवार का अकेला बचा सदस्य है, तो उम्र में छूट दी जा सकती है)।
आवेदक अविवाहित हो तथा शारीरिक व मानसिक रूप से विवाह के योग्य हो।
आवेदक किसी सरकारी संस्था में कार्यरत न हो और कम आय वाले या हालिया युद्ध से प्रभावित परिवार से संबंध रखता हो।
सामूहिक विवाह कार्यक्रम के सभी दिशा-निर्देशों और नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा।
आधिकारिक आयोजनों में भाग लेने और मीडिया कवरेज का हिस्सा बनने के लिए पूर्ण सहमति आवश्यक होगी।
‘थोब अल-फ़रह’ पहल का उद्देश्य गाज़ा में सामाजिक माहौल को स्थिर करना, युवाओं में आशा जगाना और समुदाय के भीतर सकारात्मक ऊर्जा फैलाना है। यह UAE की उन कई मानवीय पहलों में से एक है, जो गाज़ा के लोगों को कठिन परिस्थितियों के बीच सम्मानजनक और बेहतर जीवन प्रदान करने के लिए की जा रही हैं।
इस सामूहिक विवाह कार्यक्रम से न केवल युवा दंपतियों को सहायता मिलेगी, बल्कि उनके परिवारों को भी राहत और मानसिक सहारा प्राप्त होगा, जो वर्तमान समय में अत्यंत आवश्यक है।