आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली
इज़राइल ने घेरे हुए फ़िलिस्तीनी क्षेत्र — गाज़ा पट्टी, जिसमें गाज़ा शहर और शरणार्थी शिविर भी शामिल हैं — पर पूर्ण कब्ज़ा करने की योजना बनाई है। इस प्रस्ताव का अरब देशों और यूरोप के कई राष्ट्रों ने कड़ा विरोध किया है, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस पर सहमति जताते हुए इज़राइल के रुख का समर्थन किया है।
गाज़ा पर फिर से कब्ज़े की घोषणा
पिछले सप्ताह युद्ध अपराधों के आरोप में अभियोगित और गिरफ्तारी वारंट झेल रहे इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ऐलान किया था कि वे गाज़ा पर दोबारा नियंत्रण स्थापित करना चाहते हैं। इस बयान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हुई। ब्रिटेन, कनाडा और कई अन्य देशों ने चेतावनी दी कि यह कदम गाज़ा में मानवाधिकार उल्लंघन को और बढ़ाएगा तथा वहां के लोगों की पीड़ा को गहरा करेगा।
ट्रम्प का साक्षात्कार और संकेत
सोमवार (11 अगस्त) को अमेरिकी मीडिया आउटलेट एक्सियोस को फोन पर दिए साक्षात्कार में राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा,
"शेष बंधकों को छुड़ाना बेहद कठिन है, क्योंकि मौजूदा हालात में हमास उन्हें जाने नहीं देगा।"
जब रिपोर्टर ने पूछा कि क्या वे नेतन्याहू की योजना का समर्थन करते हैं, तो ट्रम्प ने सीधा ‘हाँ’ या ‘ना’ कहने से बचते हुए यह संकेत दिया कि हमास पर और अधिक सैन्य दबाव डालना आवश्यक है। उनके शब्दों में,
"इज़राइल को तय करना होगा कि आगे क्या करना है। क्या वे हमास को गाज़ा में रहने देंगे या नहीं? लेकिन मुझे लगता है, हमास गाज़ा में नहीं रह सकता।"
योजना के संभावित परिणाम
इज़राइल की इस योजना ने गाज़ा में बड़े पैमाने पर नए विस्थापन की आशंका को जन्म दे दिया है। वहीं, कब्ज़ा करने वाले इज़राइल की ओर से मांग की जा रही है कि हमास गाज़ा से अपना नियंत्रण छोड़े और अपने हथियार डाल दे।
हमास का रुख
हमास ने इस मांग को सिरे से खारिज करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि जब तक इज़राइल का कब्ज़ा समाप्त नहीं होता और एक स्वतंत्र फ़िलिस्तीनी राज्य की स्थापना नहीं की जाती, तब तक वह हथियार नहीं छोड़ेगा।