सऊदी अरब में तीन बच्चों की भारतीय मां परवीन बेगम की दुखद कहानी

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 28-05-2022
सऊदी अरब में तीन बच्चों की भारतीय मां परवीन बेगम की दुखद कहानी
सऊदी अरब में तीन बच्चों की भारतीय मां परवीन बेगम की दुखद कहानी

 

आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली
 
उसकी बाहों के घाव से खून बह रहा था और गरीब हैदराबादी महिला परवीन बेगम को पता नहीं था कि उसकी नियति उसे एक अंधेरी रात में कहां ले जाएगी. जब वह सऊदी अरब में अपने नियोक्ता के चंगुल से भागने में सफल रही, तो उसे आगे का रास्ता समझ में ही नहीं आ रहा था.

आधी रात में डरपोक और भयभीत परवीन अपनी ही परछाई से डरी हुई थी. उसके मन में अनेक भयानक विचार घूम रहे थे.
 
 
परदेश में इस गरीब महिला का न कोई रिश्तेदार था और न ही कोई दोस्त. वह तब तक अल्लाह से दुआ करती रही, जब तक कि वह उस इमारत तक नहीं पहुच गई जहां वह पहली बार जा रही थी. उसे एक बर्मी टैक्सी ड्राइवर ने बताया कि यह आपकी इमारत है और वहां रहने वाले आपकी मदद कर सकते हैं.
 
इमारत पर लगे साइनेज को पढ़ने में असमर्थ, अनपढ़ महिला ने तब राहत की सांस ली, जब उसने इमारत के शीर्ष पर भारतीय तिरंगा फहराते देखा.इस तरह 52 वर्षीय जेद्दा में भारतीय वाणिज्य दूतावास पहुंची. महिला का यह हैदराबाद अपने घर लौटने का पहला कदम था.
 
दूतावास ने उसकी कैसे मदद की?

परवीन ने अपनी आपबीती सुनाई और स्टाफ से उसे भारत वापस भेजने की गुहार लगाई. उसे धैर्यपूर्वक सुना गया. शुरुआत में, उन्होंने खून से लथपथ महिला को एक औषधालय में स्थानांतरित कर दिया, जहां उसके घावों का इलाज किया गया.
 
तीन बच्चों की मां ने अपनी बेटी की शादी के लिए पैसे जुटाने की खातिर सऊदी अरब के अस्पताल में रखरखाव का काम देखने वाले फर्म से संपर्क किया. उसने क्लीनर के रूप में काम करने का विकल्प दिया.
 
उसे उसका वेतन 800 रियाल बताया गया, जो पिछले साढ़े तीन साल से नियमित भुगतान नहीं किया गया. इससे उसका घर लौटना असंभव हो गया था. तभी हताशा में उसने भागने का फैसला किया.
 
दुर्भाग्य से, ऐसी बेसहारा भारतीय महिला कामगारों के लिए जेद्दा में रहने के लिए कोई निर्धारित आश्रय स्थल नहीं है. इसलिए वाणिज्य दूतावास के लिए अन्य महिला हमवतन के साथ परवीन के लिए आश्रय प्रदान करना कठिन था. हालांकि, अधिकारियों ने एक सुरक्षित आश्रय की व्यवस्था की. एक महीने से अधिक समय तक भोजन उपलब्ध कराया.
 
चूंकि उसका इकररनामा रियाद से जारी किया गया था, इसलिए उसे अपनी शिकायत को सुलझाने के लिए 950 किलोमीटर तक वहां जाना पड़ा. उसे उसके नियोक्ता ने काली सूची में डाल दिया था. फिर भारत लौटने के लिए वीजा रद्द करने की मांग कर दी गई थी.
 
ऐसे मामलों में, पीड़ित श्रमिकों को संबंधित क्षेत्राधिकार में स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करने का निर्देश है. हालांकि, परवीन के मामले में महावाणिज्य दूत मो. शाहिद आलम ने कदम बढ़ाया. सऊदी अधिकारियों के साथ इसका मुद्दा उठाया. लंबे प्रयासों के बाद, वाणिज्य दूतावास ने उसे सऊदी अधिकारियों से सफलतापूर्वक बाहर निकाल लिया. वाणिज्य दूतावास ने उसकी वापसी के लिए एक टिकट भी व्यवस्था की.
 
सफलतापूर्वक स्वदेश वापसी

परवीन शुक्रवार को सफलतापूर्वक हैदराबाद पहुंच गई.परवीन कहती हैं, ‘‘जब भी मैं अपने देश के दफ्तर जाती हूं और तिरंगे को सलाम करती हूं, तो मैं खुद को तरोताजा महसूस करती हूं.‘‘
 
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पास बड़े साब (सीजी) और मैडम (वाणिज्य दूत हमना मरियम) को धन्यवाद कहने के लिए शब्दों की कमी है. मैं हर नमाज में उनके लिए प्रार्थना करती हूं.‘‘
 
बेसहारा महिला ने अब्दुल हमीद और केरल की अन्य महिलाओं की भी प्रशंसा की जिन्होंने जेद्दा में रहने के दौरान उनकी मदद की.