आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली
ईरान की संसद ने सोमवार को एक सख्त विधेयक पारित किया है, जिसके तहत किसी भी व्यक्ति को दुश्मन देशों या समूहों के लिए जासूसी या खुफिया गतिविधियों में लिप्त पाए जाने पर मृत्युदंड और संपत्ति जब्ती की सजा दी जा सकेगी।
यह विधेयक भारी बहुमत से पास हुआ, जो ईरान में जासूसी संबंधी अपराधों पर कठोर दंड सुनिश्चित करता है।
क्या है नए कानून में?
संशोधित कानून के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति दुश्मन राज्यों या संगठनों के लिए खुफिया जानकारी साझा करता है या उनके नेटवर्क से जुड़ी गतिविधियों में शामिल होता है, तो उसे मृत्युदंड दिया जा सकता है और उसकी संपत्ति जब्त की जा सकती है।
प्रस्ताव में स्पष्ट किया गया है कि ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद इन शत्रु राष्ट्रों और संगठनों की पहचान करने वाली सर्वोच्च संस्था होगी, जबकि ईरान का खुफिया मंत्रालय इन नेटवर्कों की निगरानी और पहचान का कार्य करेगा।
अब तक अमेरिका और इज़राइल को शत्रु देशों की सूची में शामिल किया गया है, लेकिन यह परिषद भविष्य में अन्य देशों या समूहों को भी इस सूची में शामिल कर सकती है।
पृष्ठभूमि और बदलाव
इससे पहले के कानून में दुश्मन देशों या समूहों की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं थी, जिसके कारण संरक्षक परिषद ने प्रस्ताव को संसद में संशोधन हेतु वापस भेज दिया था।
संशोधित प्रस्ताव के एक अन्य खंड में यह भी कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाने या समाज को भड़काने की नीयत से दुश्मन ताकतों को सूचना या वीडियो भेजता है, तो उसे अपराधी माना जाएगा, और ऐसे मामलों में उसे जेल की सजा, सरकारी सेवाओं से बर्खास्तगी और अन्य कठोर दंड दिए जा सकते हैं।
अपील की सीमा
प्रस्ताव में यह भी उल्लेख है कि मृत्युदंड को छोड़कर किसी अन्य सजा के खिलाफ अपील नहीं की जा सकेगी। वहीं, मृत्युदंड के मामलों में अधिकतम 10 दिनों के भीतर सुप्रीम कोर्ट में अपील की जा सकती है।
प्रतिक्रियाएं और आलोचना
यह विधेयक ऐसे समय में पारित किया गया है जब ईरानी मीडिया में इज़राइली हमलों और ईरान में विदेशी खुफिया एजेंसियों की गतिविधियों को लेकर कई रिपोर्टें सामने आई हैं।
हालांकि, इस कड़े कानून पर ईरान के कई वकीलों और मानवाधिकार संगठनों ने चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकारों पर विशेष दूत ने भी इस विधेयक को लेकर गंभीर आपत्ति जताई है, खासकर इसमें अपील के अधिकार को सीमित करने और मौत की सजा को प्राथमिक दंड बनाने को लेकर।
ईरान सरकार का कहना है कि यह कानून राष्ट्रीय सुरक्षा को मज़बूत करने और विदेशी हस्तक्षेप को रोकने के लिए जरूरी कदम है।