गिलगित-बाल्टिस्तान
पाकिस्तान अधिकृत गिलगित-बाल्टिस्तान के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों ने सरकारी निष्क्रियता पर गहरी नाराजगी जताई है। सड़क बंद होने के कारण कई गांव और जिले पूरी तरह से कट चुके हैं और लोगों तक ज़रूरी राहत सामग्री नहीं पहुंच पा रही है।
मीडिया लेंस की रिपोर्ट के अनुसार, फंदर और यासीन जैसे इलाकों के लोग पिछले 15 दिनों से बाहरी दुनिया से कटे हुए हैं। वहां खाद्य सामग्री, तेल, दवाइयों जैसी आवश्यक चीजों की भारी कमी है।
फेसबुक पर साझा किए गए एक वीडियो में एक स्थानीय ट्रांसपोर्ट ड्राइवर ने मौजूदा स्थिति को "बेहद दयनीय" बताया। उन्होंने कहा,"लोग सुबह 4 बजे उठते हैं, गुपट तक पहुंचते हैं, वहां से सामान के साथ उतरते हैं। बुजुर्ग, महिलाएं और बीमार लोग भी इस यात्रा में शामिल हैं। हम उन्हें 'ब्लॉक' तक पहुंचाते हैं और फिर ₹6,000 में एक गाड़ी बुक करते हैं जो जोखिम भरे पहाड़ी रास्ते से डाली दास तक सामान ले जाती है। वहां से हमें पैदल ही चलना पड़ता है — कभी नीचे कूदना पड़ता है, कभी ऊपर चढ़ना पड़ता है। यही हमारी सबसे बड़ी समस्या है।”
स्थानीय लोगों ने कहा कि सैकड़ों परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। एक ग्रामीण ने बताया,“हम बाढ़ के पानी से सीधे प्रभावित नहीं हैं, लेकिन भूख से मर रहे हैं। यहां न तो खाना है, न तेल, और न ही बीमारों को इलाज मिल पा रहा है।”
लोगों ने सरकारी राहत कार्य की धीमी गति की भी कड़ी आलोचना की।"बाढ़ को 15 दिन हो गए हैं और सिर्फ दो बुलडोजर लगाए गए हैं 9 किलोमीटर लंबी सड़क को साफ करने के लिए। अगर ऊपर और नीचे दोनों तरफ से काम शुरू किया जाता तो एक हफ्ते में सड़क खुल सकती थी। लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही। हमारे मंत्री कहां हैं? मुख्य सचिव या प्रधानमंत्री के प्रतिनिधि कहां हैं?” — स्थानीय लोगों ने सवाल किया।
इस सड़क बंदी के चलते फंदर और यासीन जैसे दो पूरे जिले संकट की स्थिति में हैं। लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर हालात नहीं सुधरे तो वे विरोध-प्रदर्शन तेज करेंगे।
एक ड्राइवर ने सरकार से अपील करते हुए कहा,“अगर सरकार ने जल्दी कदम नहीं उठाया तो हम चुप नहीं बैठेंगे। हम PoGB जाएंगे और अपनी आवाज़ उठाएंगे। लोग बाढ़ में नहीं, सिर्फ सड़क बंद होने के कारण भूख से मर रहे हैं। हमारी गुजारिश है — इस सड़क को 10 या 20 दिनों में खोलें, ताकि लोगों की तकलीफें खत्म हो सकें।”