ढाका
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने ईशनिंदा के आरोप में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मारे गए हिंदू मजदूर दीपू दास के परिवार की जिम्मेदारी लेने का ऐलान किया है। सरकार के वरिष्ठ सलाहकार और शिक्षा मामलों के प्रभारी सी. आर. अबरार ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
अबरार ने मयमनसिंह में दीपू दास के शोक संतप्त परिजनों से मुलाकात कर संवेदना व्यक्त की और उन्हें हर संभव सहायता का भरोसा दिलाया। 25 वर्षीय दीपू दास की 18 दिसंबर को कथित ईशनिंदा के आरोप में भीड़ ने बेरहमी से पिटाई कर हत्या कर दी थी। इसके बाद उनके शव को आग के हवाले कर दिया गया था। इस घटना ने पूरे देश में आक्रोश और चिंता का माहौल पैदा कर दिया है।
परिजनों से मुलाकात के बाद सी. आर. अबरार ने कहा,“सरकार ने दीपू दास के बच्चे, पत्नी और माता-पिता की पूरी जिम्मेदारी लेने का फैसला किया है। उन्हें किसी भी तरह की सहायता की कमी नहीं होने दी जाएगी।”
उन्होंने इस हत्या को “एक बेहद क्रूर और अमानवीय अपराध” बताते हुए कहा कि किसी भी सभ्य समाज में कानून को हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जा सकती। अबरार ने स्पष्ट किया कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता, सुरक्षा और पुनर्वास से जुड़ी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके साथ ही, बच्चों की शिक्षा और परिवार के दीर्घकालीन कल्याण के लिए भी योजनाएं बनाई जा रही हैं।यह घटना बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े करती है। मानवाधिकार संगठनों और नागरिक समाज ने भी सरकार से मांग की है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं।
सरकार का कहना है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखना उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है और किसी भी तरह की धार्मिक हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।






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