ग्रीनलैंड पर ‘कब्ज़े’ का इरादा नहीं: ट्रंप के नए विशेष दूत जेफ लैंड्री का बयान

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 24-12-2025
No intention of 'occupying' Greenland: Statement by Trump's new special envoy, Jeff Landry.
No intention of 'occupying' Greenland: Statement by Trump's new special envoy, Jeff Landry.

 

वेस्ट पाम बीच,

डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ग्रीनलैंड के लिए नियुक्त नए विशेष दूत और लुइज़ियाना के गवर्नर जेफ लैंड्री ने स्पष्ट किया है कि अमेरिका डेनमार्क के अर्ध-स्वायत्त क्षेत्र ग्रीनलैंड को “कब्ज़ा” करने या किसी देश पर अधिकार जमाने की मंशा नहीं रखता। उन्होंने कहा कि वॉशिंगटन की प्राथमिकता ग्रीनलैंड के निवासियों से संवाद शुरू करने और उनके हितों को समझने की है।

फॉक्स न्यूज़ के एक कार्यक्रम में लैंड्री ने कहा, “हमें बातचीत ग्रीनलैंड के लोगों से करनी चाहिए—वे क्या चाहते हैं, उन्हें कौन-से अवसर नहीं मिले, और उन्हें वह सुरक्षा क्यों नहीं मिली जिसकी वे अपेक्षा करते हैं।” उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि प्रशासन “किसी को जीतने” या “किसी देश को अपने कब्ज़े में लेने” नहीं जा रहा।

हालांकि, लैंड्री का यह रुख़ राष्ट्रपति ट्रंप के पूर्व बयानों से कुछ हद तक अलग दिखता है। ट्रंप पहले कई बार कह चुके हैं कि अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ग्रीनलैंड रणनीतिक रूप से अहम है और उन्होंने इसे अमेरिका के अधीन लाने की संभावना से इनकार नहीं किया था। इसी कारण लैंड्री की नियुक्ति ने डेनमार्क और यूरोप में नई चिंता पैदा कर दी है।

डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ़्रेडरिक्सन और ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री जेन्स-फ्रेडरिक नील्सन ने संयुक्त बयान में दोहराया कि राष्ट्रीय सीमाएँ और संप्रभुता अंतरराष्ट्रीय क़ानून की बुनियाद हैं। “किसी भी तर्क—यहाँ तक कि अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर भी—किसी देश का विलय नहीं किया जा सकता,” उन्होंने कहा। डेनमार्क के विदेश मंत्री ने अमेरिकी राजदूत को तलब करने की बात भी कही है।

यह विवाद ऐसे समय फिर उभरा है जब ट्रंप प्रशासन कई विदेशी नीति चुनौतियों से जूझ रहा है—गाज़ा में नाज़ुक संघर्षविराम बनाए रखना और यूक्रेन युद्ध को लेकर वार्ताएँ उनमें शामिल हैं। अमेरिकी सीनेट की विदेश संबंध समिति की शीर्ष डेमोक्रेट सीनेटर जीन शहीन ने भी “मित्र देशों से टकराव” को इस संवेदनशील दौर में अविवेकपूर्ण बताया और कहा कि “ग्रीनलैंड की संप्रभुता बहस का विषय नहीं है।”

कुल मिलाकर, लैंड्री के बयान से प्रशासन का संदेश यह है कि आगे की राह संवाद और सहयोग की होगी—न कि ज़ोर-ज़बरदस्ती की।