रोहिंग्या पर हुए अत्याचारों के लिए न्याय की मांग दोहराई : ओआईसी

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 27-08-2025
Reiterate demand for justice for atrocities against Rohingya: OIC
Reiterate demand for justice for atrocities against Rohingya: OIC

 

नई दिल्ली

इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ने म्यांमार के रखाइन राज्य में रोहिंग्या मुसलमानों पर हुए अत्याचारों की आठवीं बरसी पर उनके समर्थन और न्याय की मांग को एक बार फिर दोहराया है।

मंगलवार (26 अगस्त) को जारी बयान में ओआईसी ने कहा कि आज भी रोहिंग्या समुदाय उत्पीड़न, राज्यविहीनता और जबरन विस्थापन जैसी कठिन परिस्थितियों से जूझ रहा है। संगठन ने न्याय, जवाबदेही और उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा की अपील करते हुए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से एकजुट होकर स्थायी समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाने का आग्रह किया।

शरणार्थी संकट और मानवीय चुनौतियाँ

बयान के अनुसार, आज भी 10 लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश और अन्य देशों के कैंपों में जीवन बसर कर रहे हैं। वहीं, म्यांमार में रह रहे हज़ारों लोग हत्याओं, भेदभाव और गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों का सामना कर रहे हैं।

आईसीजे मामले का समर्थन

ओआईसी ने स्पष्ट किया कि वह उन अंतर्राष्ट्रीय पहलों का समर्थन करता है जिनका उद्देश्य रोहिंग्या के खिलाफ अपराध करने वालों को न्याय के दायरे में लाना है। इसमें अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में चल रही कार्यवाही भी शामिल है। संगठन ने म्यांमार की सेना और अराकान सेना से आईसीजे के अंतरिम निर्देशों का पालन करने और रोहिंग्या की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की।

बांग्लादेश और मुस्लिम देशों की सराहना

बयान में बांग्लादेश और अन्य ओआईसी सदस्य देशों द्वारा रोहिंग्या शरणार्थियों को आश्रय व सहयोग देने की सराहना की गई। साथ ही, कई मुस्लिम देशों द्वारा दी गई मानवीय सहायता को भी विशेष रूप से स्वीकार किया गया।

अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता की अपील

ओआईसी ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि वह मानवीय मदद जारी रखे और रोहिंग्या की सुरक्षित, सम्मानजनक व स्वैच्छिक वापसी सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए। संगठन ने यह भी कहा कि संकट के मूल कारणों का समाधान किए बिना स्थायी हल संभव नहीं है, इसलिए सामूहिक प्रयास और मजबूत समन्वय की आवश्यकता है।

अंत में, ओआईसी ने इस अवसर पर रोहिंग्या मुसलमानों के साहस और धैर्य को नमन किया और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए वैश्विक स्तर पर निरंतर प्रयास जारी रखने का संकल्प दोहराया।