नेपाल में गहराया राजनीतिक संकट: देशव्यापी कर्फ्यू और सेना की तैनाती, जेलों में भी हंगामा

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 10-09-2025
Political crisis deepens in Nepal: Nationwide curfew and deployment of army, chaos in jails too
Political crisis deepens in Nepal: Nationwide curfew and deployment of army, chaos in jails too

 

आवाज द वाॅयस / काठमांडू

 नेपाल में 'जेनरेशन ज़ेड' के नेतृत्व में चल रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई है.प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद भी अशांति थमने का नाम नहीं ले रही.अब, देश में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए नेपाली सेना ने देशव्यापी कर्फ्यू और आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया है.

यह जानकारी द हिमालयन टाइम्स ने बुधवार को दी, जिसके अनुसार सेना ने शाम 5बजे तक आवाजाही पर प्रतिबंध लागू कर दिया है.इसके बाद, गुरुवार सुबह 6बजे से पूरे देश में अनिश्चित काल के लिए कर्फ्यू लगा दिया जाएगा, जिसका उद्देश्य अराजकता को पूरी तरह से खत्म करना है.सेना के जनसंपर्क एवं सूचना विभाग ने एक बयान जारी कर यह भी कहा है कि आगे के सभी निर्णय सुरक्षा स्थिति का आकलन करने के बाद लिए जाएंगे.

प्रदर्शनों में अराजक तत्वों की घुसपैठ

सेना के बयान में इस बात पर जोर दिया गया है कि शुरुआती शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों में अब अराजक तत्वों की घुसपैठ हो गई है.इन तत्वों पर आगजनी, लूटपाट, सार्वजनिक और निजी संपत्ति में तोड़फोड़, और यहाँ तक कि यौन उत्पीड़न का प्रयास करने का आरोप है.

सेना ने चेतावनी दी है कि आंदोलन के नाम पर ऐसे आपराधिक कृत्यों को दंडनीय अपराध माना जाएगा और सुरक्षा बल इन पर सख्त कार्रवाई करेंगे.कर्फ्यू के दौरान केवल आपातकालीन सेवाओं जैसे एम्बुलेंस, शव वाहन, अग्निशमन सेवा और स्वास्थ्यकर्मियों को ही परिचालन की अनुमति होगी.

जेलों में भी विद्रोह, सेना ने संभाली कमान

हिंसक प्रदर्शनों के बीच, काठमांडू की दिल्लीबाजार जेल से कैदियों का एक बड़ा समूह बुधवार को जेल परिसर से बाहर आ गया.कैदी अपनी रिहाई की मांग कर रहे हैं, जिससे राजधानी में कानून व्यवस्था की स्थिति और भी बिगड़ गई है.

यह स्थिति तब और भी गंभीर हो गई जब कई हिरासत केंद्रों की निगरानी कर रहे पुलिसकर्मी कथित तौर पर अपने पदों से हट गए, जिससे जेलों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई.कानून प्रवर्तन एजेंसियों के पीछे हटने के बाद, नेपाली सेना ने जेलों की सुरक्षा की प्रमुख जिम्मेदारी संभाल ली है.सेना को जेल के अंदर और आसपास तैनात किया गया है ताकि संभावित सामूहिक तोड़फोड़ या हिंसक झड़पों को रोका जा सके.

सेना ने सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों, सरकारी अधिकारियों, पत्रकारों और आम जनता से भी आग्रह किया है कि वे भ्रामक सूचनाओं पर ध्यान न दें और केवल आधिकारिक घोषणाओं पर ही भरोसा करें.

युवाओं का गुस्सा: भ्रष्टाचार और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर लगाम

इन प्रदर्शनों की जड़ें सरकार के उस फैसले में हैं, जिसमें कर राजस्व और साइबर सुरक्षा संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.प्रदर्शनकारी इस कदम को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने का प्रयास मानते हैं.'जेनरेशन ज़ेड' के नेतृत्व में शुरू हुए इस आंदोलन की मुख्य मांगों में संस्थागत भ्रष्टाचार का अंत, शासन में पारदर्शिता, और सोशल मीडिया पर से प्रतिबंध हटाना शामिल है.

पिछले दो दिनों में, इन प्रदर्शनों ने काठमांडू, पोखरा, बुटवल और बीरगंज सहित अन्य प्रमुख शहरों में हिंसक रूप ले लिया है.सुरक्षा बलों के साथ झड़पों में अब तक कम से कम 19लोग मारे जा चुके हैं और 500से अधिक घायल हुए हैं.

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने नेपाल में हुई मौतों पर गहरा दुख व्यक्त किया है और हिंसा को और बढ़ने से रोकने के लिए दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है.उन्होंने अधिकारियों से अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का पालन करने का भी आग्रह किया है, जबकि प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने को कहा है.

इस बीच, नेपाली सेना ने हिंसक कृत्यों में शामिल 27लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें लूटपाट और आगजनी में शामिल प्रदर्शनकारी भी शामिल हैं.ये गिरफ्तारियाँ मंगलवार रात से बुधवार सुबह के बीच की गई हैं, जब सेना को देश भर में तैनात किया गया था.

नेपाल में यह संकट एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आ गया है.जहाँ एक ओर युवा अपने भविष्य और अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सरकार और सुरक्षा बलों के सामने देश में कानून और व्यवस्था बनाए रखने की एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है.देशव्यापी कर्फ्यू और सेना की तैनाती इस बात का संकेत है कि नेपाल सरकार स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने को तैयार है.