पाकिस्तान: सिंध के किसान 45% असंवैधानिक कृषि-कर के विरोध में गेहूं की खेती का करेंगे बहिष्कार

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 25-07-2025
Pakistan: Sindh farmers will boycott wheat cultivation in protest against 45% unconstitutional agricultural tax
Pakistan: Sindh farmers will boycott wheat cultivation in protest against 45% unconstitutional agricultural tax

 

 

 

सिंध (पाकिस्तान)


पाकिस्तान के सिंध प्रांत में किसानों ने 45% कृषि आय कर को "असंवैधानिक, अवैध और अनैतिक" करार देते हुए इस साल गेहूं की खेती न करने का ऐलान किया है। सिंध चैम्बर ऑफ एग्रीकल्चर (SCA) ने इस कर को अदालत में चुनौती देने की बात कही है। यह जानकारी डॉन न्यूज की एक रिपोर्ट में दी गई है।

यह फैसला SCA की मंगलवार को हुई बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता इसके संरक्षक प्रमुख सैयद नदीम क़मर ने की। बैठक में शामिल किसानों ने कहा कि यह कर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के दबाव में थोपा गया है और किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल रहा, इसलिए इस टैक्स की वैधता पर सवाल उठते हैं।

किसानों का ऐलान: “जेल जाना मंजूर, कर नहीं देंगे”

बैठक में उपस्थित किसान नेताओं ने कहा कि वे इस कर को किसी भी हालत में नहीं देंगे। यदि सरकार उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश करती है, तो हजारों किसान गिरफ्तारी देने को तैयार हैं। उन्होंने कहा, "हम जेल जाने को तैयार हैं, लेकिन कृषि आय कर नहीं देंगे।"

गेहूं का बहिष्कार, वैकल्पिक फसलें होंगी प्राथमिकता

SCA ने किसानों से आग्रह किया कि 2025-26 के मौसम में गेहूं की बुवाई न करें और इसकी जगह सरसों, कलौंजी, सूरजमुखी और अन्य तिलहन फसलें उगाएं। किसानों ने कहा कि गेहूं की कीमतें इतनी कम हैं कि वे उत्पादन लागत भी नहीं निकाल पा रहे, इसलिए यह वर्ष "गेहूं बहिष्कार वर्ष" के रूप में चिन्हित किया जाएगा।

कपास उत्पादन में भारी गिरावट, सरकारी वादे अधूरे

चैम्बर ने कपास उत्पादन में 40% की गिरावट पर चिंता जताई। अनुमान है कि इस वर्ष पैदावार चार मिलियन गांठों से अधिक नहीं होगी। किसानों ने बताया कि उन्हें कपास के प्रति मन मात्र ₹6,500 मिल रहे हैं, जबकि सिंध के कृषि मंत्री ने ₹11,000 प्रति मन देने का वादा किया था, जो अब तक पूरा नहीं हुआ।

स्थानीय कर हटाने और आयात पर टैक्स बढ़ाने की मांग

SCA ने कपास पर 18% स्थानीय कर हटाने और आयातित कपास पर 25% टैक्स लगाने की मांग की, ताकि आयात को हतोत्साहित कर स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा मिल सके।

डीजल और खाद की कीमतों में तेज़ बढ़ोतरी पर रोष

चैम्बर ने कृषि लागत में बेतहाशा बढ़ोतरी पर गहरी चिंता जताई। बीते 15 दिनों में डीजल ₹22 प्रति लीटर और डीएपी खाद ₹600 प्रति बोरी महंगी हुई है। किसानों का कहना है कि फसलों के लिए उचित मूल्य न मिलने के कारण वे पूरी तरह टूट रहे हैं।

“कृषि क्षेत्र को योजनाबद्ध तरीके से बर्बाद किया जा रहा है”

SCA ने चेतावनी दी कि बढ़ती लागत और घटती आमदनी के चलते कृषि क्षेत्र के समूल विनाश की स्थिति बन रही है। उन्होंने डीजल, खाद, बीज, कीटनाशक और अन्य कृषि उत्पादों की कीमतों में की गई बढ़ोतरी को तुरंत वापस लेने की मांग की।

डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, सिंध के किसान सरकार से उद्योगपतियों जैसी रियायतें मांग रहे हैं और कृषि क्षेत्र के लिए संतुलित और न्यायसंगत नीति की आवश्यकता पर बल दे रहे हैं।