पाकिस्तानः बलूचिस्तान में अधिकारों के हनन, संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप की मांग

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 1 Years ago
पाकिस्तानः बलूचिस्तान में अधिकारों के हनन, संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप की मांग
पाकिस्तानः बलूचिस्तान में अधिकारों के हनन, संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप की मांग

 

जिनेवा, स्विट्जरलैंड. एक बलूच अधिकार समूह ने पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिमी प्रांत बलूचिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप का अनुरोध किया है, ताकि अधिकारों के उल्लंघन के सबसे गंभीर रूप से पीड़ित लोगों को बचाया जा सके.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (एचआरसी) के 51वें सत्र को संबोधित करते हुए, बलूच मानवाधिकार परिषद के एक प्रतिनिधि ने कहा कि पाकिस्तान में बलूचों को शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सामाजिक सुविधाओं से वंचित होने के साथ-साथ उनके संसाधनों के आक्रामक शोषण के कारण अमानवीय बनाया जा रहा है. बलूच मानवाधिकार परिषद के सूचना सचिव कमाल खान ने कहा, ‘‘हम अत्यधिक गरीबी के कारण मानवाधिकारों के उल्लंघन से पीड़ित बलूच लोगों को बचाने के लिए परिषद के तत्काल और प्रत्यक्ष हस्तक्षेप का अनुरोध करते हैं.’’

कार्यकर्ता ने पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के संबंध में मानवाधिकारों के उल्लंघन के कुछ पहलुओं पर भी ध्यान आकर्षित किया, जिसके परिणामस्वरूप बलूच लोगों की अत्यधिक गरीबी हुई. कमाल खान ने इस बात पर प्रकाश डाला कि बलूचिस्तान में केवल 2 प्रतिशत आबादी को ही बहते पानी की सुविधा मिल रही है. केवल 40 प्रतिशत लोगों की बस्तियों में सीवरेज की व्यवस्था है.

कार्यकर्ता ने बताया कि कैसे चीन और पाकिस्तान बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का बेरहमी से दोहन कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘प्राकृतिक संसाधनों में समृद्ध होने के बावजूद, बलूचिस्तान पाकिस्तान में सबसे अधिक बेरोजगारी दर वाला सबसे गरीब क्षेत्र बना हुआ है. बलूचिस्तान में 70 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे रहती है. व्यवस्थित आर्थिक अभाव के परिणामस्वरूप, कई बच्चे गंभीर कुपोषण से पीड़ित हैं. बलूचिस्तान में शिशु मृत्यु दर दुनिया में सबसे ज्यादा है.’’

 बलूच लोगों की विकट स्थिति को देखते हुए, कमाल खान ने अंततः पाकिस्तान में पीड़ित बलूच लोगों को बचाने के लिए परिषद के तत्काल और प्रत्यक्ष हस्तक्षेप का अनुरोध किया. इस सप्ताह की शुरुआत में, बलूच मानवाधिकार परिषद (बीएचआरसी) ने मानवाधिकार परिषद के चल रहे 51वें सत्र के दौरान जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के सामने बड़े पैमाने पर पाकिस्तान विरोधी विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से बलूचिस्तान में पाकिस्तान सेना और अन्य गुप्त एजेंसियों द्वारा किए जा रहे जघन्य अपराधों की जांच के लिए एक तथ्य-खोज मिशन भेजने का आह्वान किया.

प्रदर्शन को निर्वासित बलूच, सिंधियों और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीरी समुदायों के नेताओं ने संबोधित किया और बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला और उन्हें नरसंहार करार दिया. बाद में प्रदर्शनकारियों ने मानवाधिकार के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त को एक ज्ञापन सौंपा जिसमें पाकिस्तानी राज्य की न्यायेतर हत्याओं और ‘हत्या और डंप’ नीति की जांच के लिए बलूचिस्तान को एक तथ्य-खोज मिशन भेजने की मांग की गई.

बलूच मानवाधिकार परिषद के महासचिव समद बलूच ने कहा कि पाकिस्तान बलूच, सिंधियों और पख्तून लोगों के लिए अपने निर्माण और बलूचिस्तान के विलय के बाद से एक अभिशाप है. उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान ने बलूचिस्तान को बलूच लोगों के लिए नरक बना दिया है. उन्होंने जानबूझकर बलूच लोगों के बुनियादी और मौलिक अधिकारों से वंचित किया और हम यहां बलूच लोगों की आवाज और उनकी शिकायतों को उठाने के लिए हैं. हम चाहते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय हस्तक्षेप करे.’’