इस्लामाबाद
मानवाधिकार संगठन बलोच यकजहेती कमेटी (BYC) ने बताया कि बलोच परिवार पिछले एक महीने से अधिक समय से अपने नेताओं की जबरन गुमशुदगी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। मंगलवार को यह धरना-प्रदर्शन इस्लामाबाद में 35वें दिन में प्रवेश कर गया।
कठोर मौसम, लगातार राज्य का दबाव और उत्पीड़न झेलने के बावजूद परिवारों का यह धरना जारी है।
BYC ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा:“एक महीने से भी अधिक समय से ये परिवार — जिनमें बुजुर्ग माताएँ-पिताएँ और छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल हैं — खुले आसमान के नीचे बैठने को मजबूर हैं। इन्हें कैंप लगाने का बुनियादी अधिकार तक नहीं दिया गया।”
बलोच परिवारों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं द्वारा चल रहे ये धरने पाकिस्तान में बढ़ते मानवाधिकार संकट का प्रतीक हैं। देशभर के बड़े शहरों में ये प्रदर्शन सरकार के जबरन गुमशुदगी, फर्जी मुठभेड़ों और दमनकारी नीतियों के खिलाफ गूंज रहे हैं।
बलोचिस्तान में जबरन गायब किए जाने की घटनाएँ दशकों से गंभीर समस्या रही हैं। क्षेत्रीय राजनीतिक और जातीय तनाव के बीच बलोच राष्ट्रवादियों, छात्रों, कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों को अधिक अधिकार और स्वायत्तता की मांग करने पर अक्सर राज्य सुरक्षा एजेंसियों द्वारा निशाना बनाए जाने का आरोप है।
हजारों लोग अब तक बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के गायब हो चुके हैं और उनमें से अधिकांश अब भी लापता हैं। परिवारों को न तो सूचना मिलती है, न कानूनी रास्ता और न ही न्याय।
स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने इन कार्रवाइयों की कड़ी निंदा की है और इन्हें अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया है। हालांकि पाकिस्तान सरकार इन आरोपों से लगातार इनकार करती रही है, लेकिन पारदर्शी जांच या मामलों के समाधान में वह विफल रही है।
हाल के वर्षों में शांतिपूर्ण प्रतिरोध ने नया रूप लिया है — धरनों, मार्चों और अब सोशल मीडिया के माध्यम से। BYC जैसे संगठनों की अगुवाई में परिवार अपने प्रियजनों की सुरक्षित वापसी और दंडमुक्ति की संस्कृति को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं।