वियना
ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर मंगलवार को वियना में हुई बातचीत में कोई नतीजा नहीं निकल सका। ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी (ई3 देश) के प्रतिनिधि अपने ईरानी समकक्ष के साथ इस बात पर सहमति नहीं बना पाए कि आगामी समयसीमा से पहले संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों को कैसे टाला जाए।
तीनों देशों ने संकेत दिया है कि यदि जल्द समाधान नहीं निकला तो वे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के ‘स्नैपबैक प्रावधान’ के तहत ईरान पर फिर से प्रतिबंध लागू कर सकते हैं। यह प्रावधान किसी भी पक्ष को समझौते के उल्लंघन की स्थिति में वीटो शक्ति से बचते हुए प्रतिबंध दोबारा लागू करने की अनुमति देता है।
25 जुलाई को इस्तांबुल में भी दोनों पक्षों के बीच बातचीत बेनतीजा रही थी। यूरोपीय देशों की चिंता जून में ईरान-इज़राइल युद्ध के दौरान परमाणु ठिकानों पर हमलों और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के साथ ईरान के सहयोग बंद करने के बाद और बढ़ गई है। निरीक्षण रुकने से वैश्विक समुदाय को ईरान के परमाणु भंडार की सटीक जानकारी नहीं मिल पा रही है।
ईरान 60 प्रतिशत तक संवर्धित यूरेनियम का भंडारण कर रहा है, जबकि हथियार बनाने योग्य स्तर 90 प्रतिशत होता है। विशेषज्ञों के अनुसार यह तकनीकी रूप से बेहद नज़दीकी स्तर है।
ईरान लगातार दावा करता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है। हालांकि अमेरिका, आईएईए और अन्य विशेषज्ञ मानते हैं कि 2003 तक ईरान गुप्त रूप से परमाणु हथियार कार्यक्रम चला रहा था।
इस साल की शुरुआत में अमेरिका और यूरोपीय देशों ने तय किया था कि यदि ईरान परमाणु वार्ता फिर शुरू करने, संयुक्त राष्ट्र निरीक्षकों को ठिकानों तक पहुंच देने और 400 किलोग्राम से अधिक संवर्धित यूरेनियम का स्पष्ट विवरण देने जैसी शर्तें पूरी नहीं करता, तो अगस्त के अंत तक ‘स्नैपबैक’ प्रावधान लागू कर दिया जाएगा