पंकज दास / काठमांडू
नेपाल की नई सत्तारूढ़ गठबन्धन ने एक बार फिर भारत के साथ रहे विवादित लिपुलेक, लिम्पियाधुरा और कालापानी के मुद्दे को हवा देने की कोशिश में लगी है, नेपाल में नई सरकार गठन के बाद नेपाली कांग्रेस, माओवादी और जनता समाजवादी पार्टी के बीच बने सत्तारूढ गठबन्धन ने आज अपना न्यूनतम साझा कार्यक्रम सार्वजनिक करते हुए भारत के साथ रहे विवादित लिपुलेक, लिम्पियाधुरा और कालापानी के जमीन पर भारत से बातचीत की बात उल्लेख है,
काठमांडू के प्रशासनिक केन्द्र सिंहदरबार में सत्तारूढ गठबन्धन का न्यूनतम साझा कार्यक्रम सार्वजनिक करते समय प्रधानमंत्री शेरबहादुर देउवा, माओवादी अध्यक्ष प्रचण्ड और जनता समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष उपेन्द्र यादव की मौजूदगी थी,
सत्तारूढ़ गठबन्धन ने कूटनीतिक वार्ता के जरिए भारत के द्वारा कब्जा की गई अपनी जमीन को वापस लेने की बात कही गई है, यद्यपि इस साझा कार्यक्रम में नेपाल के पड़ोसी देशों के साथ रहे सभी विवादित सीमा विवाद को कूटनीतिक वार्ता के जरिए सुलझाने की बात कही गई है, जकि चीन के साथ रहे विवादित सीमा क्षेत्र का कहीं कोई उल्लेख नहीं ह,ै लेकिन भारत के साथ विवादित सीमा क्षेत्र की बात उल्लेख है,
यह वही विवादित क्षेत्र है, जिसकी वजह से ओली सरकार के समय भारत के साथ कूटनीतिक और राजनीतिक संबंध पर नकारात्मक असर देखने को मिला था, भारत पर अपनी जमीन कब्जा करने का आरोप लगाते हुए ओली सरकार के समय नेपाल का नयां नक्शा प्रकाशित करते हुए भारत की जमीन पर अपना दावा पेश कर दिया था,
इतना ही नहीं, तत्कालीन ओली सरकार ने नेपाल के नए नक्शे को संसद से पारित करवाकर उसे संविधान का हिस्सा बना दिया था, जिसके बाद दोनों देशों में कूटनीतिक वार्ता भी बन्द हो गई थी,
गौरतलब है कि जिस समय नक्शा प्रकाशित किया गया था, उस समय ओली के सत्ता साझेदार में भी वही माओवादी के प्रचण्ड और जसपा के उपेन्द्र यादव मौजूद थे, और आज एक बार फिर जब नेपाल सरकार द्वारा इस मुद्दे को हवा दी जा रही है, तो अब भी देउवा की सरकार उसी प्रचण्ड और उपेन्द्र यादव के समर्थन से टिकी है.