वॉशिंगटन
CIA निदेशक जॉन रैटक्लिफ ने अमेरिकी सांसदों को एक गुप्त बैठक में बताया कि अमेरिका द्वारा ईरान की मेटल कन्वर्ज़न सुविधा पर किए गए हमले ने तेहरान के परमाणु कार्यक्रम को वर्षों पीछे धकेल दिया है। एक अमेरिकी अधिकारी के अनुसार, यह हमला ईरान की परमाणु क्षमताओं के लिए एक “ऐतिहासिक झटका” साबित हुआ।
इस वरिष्ठ अधिकारी ने, जो संवेदनशील खुफिया मामलों पर बोलने के लिए नाम उजागर नहीं करना चाहता था, कहा कि रैटक्लिफ ने बीते सप्ताह सांसदों को दिए गए एक क्लासिफाइड ब्रीफिंग में इस हमले की अहमियत को रेखांकित किया।
यह जानकारी ऐसे समय में सामने आई है जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके प्रशासन पर डेमोक्रेट सांसद लगातार सवाल उठा रहे हैं कि क्या वाकई ईरान के परमाणु कार्यक्रम को उतना पीछे धकेला गया है जितना दावा किया जा रहा है, खासकर जब इज़राइल और ईरान के बीच युद्धविराम बीते मंगलवार से लागू हो चुका है।
ट्रंप ने फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा,"यह तबाही ऐसी थी जैसी पहले कभी नहीं देखी गई। इसका मतलब है कि कम से कम कुछ समय के लिए ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं का अंत हो गया है।"
रैटक्लिफ ने सांसदों को यह भी बताया कि खुफिया एजेंसियों का आकलन है कि ईरान की बड़ी मात्रा में समृद्ध यूरेनियम इस्फहान और फोर्डो की मलबे में दब चुकी है — ये दोनों प्रमुख ठिकाने अमेरिकी हमलों के मुख्य निशाने थे।
हालांकि यदि यूरेनियम बरकरार भी रहा हो, तो मेटल कन्वर्ज़न सुविधा के नष्ट हो जाने से ईरान अब परमाणु बम बनाने की दिशा में कोई गंभीर कदम वर्षों तक नहीं उठा सकेगा।
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के प्रमुख राफाएल ग्रोसी ने CBS के "फेस द नेशन" कार्यक्रम में कहा कि तीन प्रमुख ईरानी साइट्स — फोर्डो, नतांज और इस्फहान — को "काफी हद तक क्षतिग्रस्त" किया गया है। हालांकि उन्होंने जोड़ा कि,“कुछ क्षमताएं अब भी मौजूद हैं। अगर ईरान चाहे, तो वह पुनः शुरुआत कर सकता है।”
उन्होंने आगे कहा कि वास्तविक स्थिति का आकलन तभी संभव है जब ईरान IAEA निरीक्षकों को साइट्स पर जाने दे।
रैटक्लिफ ने इस बात पर भी जोर दिया कि ईरान की वायु रक्षा प्रणाली अमेरिकी-इजरायली हमलों के 12-दिवसीय दौर में लगभग समाप्त कर दी गई है। इसका अर्थ है कि अगर ईरान भविष्य में फिर से परमाणु कार्यक्रम को पुनर्जीवित करने की कोशिश करता है, तो इज़राइल उसे आसानी से रोक सकता है।
अमेरिकी रक्षा खुफिया एजेंसी (DIA) की एक शुरुआती रिपोर्ट में स्वीकार किया गया है कि फोर्डो, नतांज और इस्फहान साइट्स को गंभीर नुकसान पहुंचा है, हालांकि उन्हें पूरी तरह से नष्ट नहीं किया गया।
इज़राइल का भी आकलन है कि ईरान की यूरेनियम संवर्धन की क्षमता वर्षों तक निष्क्रिय हो गई है। एक वरिष्ठ इजरायली सैन्य अधिकारी ने बताया कि अमेरिकी हमलों में न केवल ईरानी वैज्ञानिकों की हत्या हुई, बल्कि मिसाइल उत्पादन उद्योग और वायु रक्षा प्रणाली को भी भारी नुकसान पहुंचा है।
IAEA प्रमुख ग्रोसी ने यह चेतावनी भी दी कि“आप किसी के पास मौजूद ज्ञान और क्षमता को मिटा नहीं सकते। इसीलिए अब कूटनीतिक समाधान की जरूरत है।”
इस्फहान की मेटल कन्वर्ज़न फैक्ट्री, जो कि समृद्ध यूरेनियम गैस को बम के लिए आवश्यक ठोस धातु में बदलने का अहम चरण है, के पूरी तरह नष्ट हो जाने से ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को गंभीर झटका लगा है। परंतु विशेषज्ञों का कहना है कि तकनीकी ज्ञान और राजनीतिक इच्छाशक्ति के रहते यह मामला अब भी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ — और समाधान का रास्ता अंततः कूटनीति ही है।