आवाज द वाॅयस/नई दिल्ली
तुर्की की राजनीति में बड़ा हलचल उस समय देखने को मिला जब इस्तांबुल के मेयर एक्रेम इमामोग्लू को भ्रष्टाचार और विरोध प्रदर्शन से जुड़े आरोपों में गिरफ़्तार कर लिया गया। पहले उन्हें हिरासत में लिया गया और फिर अदालत में पेश किए जाने के बाद मरमारा जेल भेज दिया गया।
इमामोग्लू की गिरफ़्तारी के बाद इस्तांबुल की सड़कों पर हज़ारों लोग विरोध में उतर आए। बीते पांच दिनों से ये प्रदर्शन लगातार जारी हैं। रविवार को इमामोग्लू की पत्नी दिलेक काया इमामोग्लू भी प्रदर्शन में शामिल हुईं और मंच से जनता को संबोधित करते हुए कहा:"एर्दोआन का समय अब पूरा हो चुका है। इस बार वे हारेंगे। एक्रेम की गिरफ़्तारी अन्यायपूर्ण है और देश की जनता के साथ अत्याचार हो रहा है।"उन्होंने साफ तौर पर राष्ट्रपति एर्दोआन को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराया।
गौरतलब है कि इमामोग्लू तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन के प्रखर आलोचक रहे हैं और उन्होंने इस्तांबुल के मेयर रहते हुए एर्दोआन के खिलाफ चुनाव लड़ने का भी एलान किया था। विपक्ष का आरोप है कि यही कारण है कि उन्हें राजनीतिक बदले की भावना से जेल भेजा गया है।
फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर इस गिरफ़्तारी को “लोकतंत्र पर हमला” बताया। बयान में कहा गया:"एर्दोआन ने विपक्ष का सम्मान करने की शपथ ली थी, लेकिन उनके कार्य उसके ठीक विपरीत हैं। अगर तुर्की यूरोपीय संघ के साथ संबंध बनाए रखना चाहता है, तो उसे लोकतांत्रिक मूल्यों और विपक्ष की भूमिका का सम्मान करना होगा।"
इमामोग्लू के समर्थन में देशभर में सीएचपी पार्टी द्वारा प्रतीकात्मक मतदान का आयोजन किया गया। करीब 1.5 करोड़ लोगों ने इसमें हिस्सा लिया, जिनमें से 1.3 करोड़ ने इमामोग्लू के पक्ष में मतदान किया, पार्टी का दावा है। भीड़ इतनी ज़्यादा थी कि कई स्थानों पर मतदान का समय साढ़े तीन घंटे तक बढ़ाना पड़ा।
इमामोग्लू, जो 2019 में पहली बार इस्तांबुल के मेयर बने थे और पिछले वर्ष दोबारा चुने गए, ने जेल से अपने X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा:"देश की जनता ने एर्दोआन को सख्त संदेश दिया है — बहुत हो गया, अब और नहीं।"
तुर्की में यह घटनाक्रम वहां की राजनीति और लोकतंत्र की दिशा को लेकर गहरी चिंताओं को जन्म दे रहा है।