यरुशलम
गाज़ा युद्धविराम समझौते के तहत 736 दिनों बाद इज़राइली बंधकों की रिहाई तो हुई, लेकिन इस देर से हुई कार्रवाई पर इज़राइली नागरिकों का गुस्सा भड़क उठा। रविवार रात तेल अवीव और यरुशलम में सैकड़ों लोगों ने प्रदर्शन करते हुए सरकार से तीखे सवाल पूछे—"इतना समय क्यों लगा?"
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यदि यह समझौता पहले हो गया होता, तो कई इज़राइली बंधकों की जान बचाई जा सकती थी। साथ ही, इस देरी ने हजारों फ़िलिस्तीनियों की भी जान ली है, जिन्हें समय रहते राहत मिल सकती थी।
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के नाम का ज़िक्र होते ही विरोध और नारेबाज़ी तेज़ हो गई। भीड़ ने उनके खिलाफ जमकर नाराज़गी जताई। अमेरिका से आए शांति दूत स्टीव विटकॉफ और जेरेड कुशनर को भी विरोध झेलना पड़ा।
लोगों का कहना था कि नेतन्याहू की असंवेदनशील नीति और राजनीतिक टालमटोल के कारण ही यह रिहाई दो साल देर से हुई।
इधर, गाज़ा और वेस्ट बैंक में फ़िलिस्तीनी कैदियों की रिहाई के बाद जश्न और भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा।गाज़ा शांति योजना के अंतर्गत हुए इस समझौते में हमास ने 20 इज़राइली बंधकों को रेड क्रॉस के जरिए रिहा किया, जो अब सुरक्षित रूप से इज़राइल पहुँच चुके हैं। इसके साथ ही गाज़ा में मारे गए 28 बंधकों के शव भी आज इज़राइल को सौंपे जाने की प्रक्रिया में हैं।
वहीं, इज़राइली जेलों से रिहा हुए 1,968 फ़िलिस्तीनी कैदियों में से कई गाज़ा पहुँच चुके हैं। कुल 38 बसों में इन कैदियों को लाया गया, जिनमें से 1,716 कैदी नस्र अस्पताल में स्वास्थ्य परीक्षण के लिए भेजे गए हैं।आजीवन कारावास पाए कई फ़िलिस्तीनी कैदी वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम पहुँचे हैं, जहाँ उनका भव्य स्वागत किया गया।
इस घटनाक्रम पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इज़राइली बंधकों की रिहाई का स्वागत करते हुए इसे "महत्वपूर्ण मानवीय उपलब्धि" करार दिया। उन्होंने सभी पक्षों से आग्रह किया कि इस प्रगति को आगे बढ़ाते हुए युद्धविराम समझौते के तहत किए गए वादों को ईमानदारी से निभाएं।
गुटेरेस ने एक आधिकारिक बयान में कहा,"बंधक अब स्वतंत्र हैं और जल्द ही अपने प्रियजनों से मिल पाएँगे, यह बहुत सुकून देने वाला क्षण है।"उन्होंने यह भी अपील की कि गाज़ा में मारे गए इज़राइली बंधकों के शवों को भी मानवीय आधार पर लौटाया जाए।