नई दिल्ली
गाज़ा पर जारी इज़राइली बमबारी ने एक और काला दिन दर्ज कर दिया। गुरुवार और शुक्रवार के बीच लगातार हमलों में कम से कम 75 फ़िलिस्तीनी नागरिकों की मौत हो गई, जिनमें से 44 केवल गाज़ा शहर में मारे गए। भारी गोलाबारी ने गाज़ा को सचमुच “आतंक का शहर” बना दिया है, जहाँ लोग लगातार भाग रहे हैं लेकिन कहीं भी उन्हें सुरक्षित पनाह नहीं मिल रही।
अल-जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, लगातार बमबारी ने गाज़ा के मोहल्लों को मलबे में बदल दिया है। यूनिसेफ पहले ही गाज़ा शहर को “भय और आतंक का शहर” कह चुका है। ताल अल-हवा इलाके में एक तंबू पर हुए हमले में एक ही परिवार के पाँच लोग मारे गए, जिनमें तीन मासूम बच्चे शामिल थे। मलबे में खून से सनी एक गुलाबी सैंडल भी मिली, जिसने त्रासदी की भयावह तस्वीर पेश की।
एक प्रत्यक्षदर्शी इसरा अल-बसौस ने बताया,"मैं और मेरे बच्चे तंबू में सो रहे थे। अचानक एक बम गिरा, उसके छर्रे हमें लगे और मेरे चारों बच्चे डर के मारे चीखने लगे।"
गाज़ा शहर के ज़ितून, सबरा, तुफा, नस्र और शुजाइया इलाकों में भीषण गोलाबारी हुई। तुफा में कम से कम आठ लोग मारे गए, शुजाइया में एक इमारत पर हवाई हमले से दो की मौत हुई, जबकि ज़ितून से अल-ग़फ परिवार के तीन सदस्यों के शव निकाले गए।
लोग सुरक्षा की तलाश में इधर-उधर भाग रहे हैं, लेकिन इज़राइली टैंक और विमान हर जगह उनका पीछा कर रहे हैं। शेख राडवान क्षेत्र में शरण लेने वाले लोगों के तंबुओं और घरों को भी टैंकों ने तबाह कर दिया।
अस्पतालों की हालत बेहद खराब
गाज़ा के अस्पताल घायलों और मृतकों से भरे पड़े हैं। अल-शिफ़ा अस्पताल में मुर्दाघर तक भर चुका है। बाहर एक माँ अपने मृत बच्चे को सीने से लगाकर रो रही थी और कह रही थी,"पापा, आप मुझे कहाँ छोड़ गए? क्यों?"
मानवीय संकट गहराया
यूनिसेफ की अधिकारी टेस इंग्राम ने चेतावनी दी है कि लगभग दस लाख लोग इस समय “भय, पलायन और अंतिम संस्कार के शहर” में फँसे हुए हैं।इज़राइली सेना का दावा है कि अब उन्होंने गाज़ा शहर के 40% हिस्से पर नियंत्रण कर लिया है और आने वाले दिनों में हमले और तेज़ करेंगे। अल-जज़ीरा की सनद एजेंसी ने सैटेलाइट तस्वीरों से पुष्टि की है कि ज़ितून क्षेत्र में कम से कम 52 इज़राइली सैन्य वाहन तैनात हैं।
दक्षिण गाज़ा में भी हालात बदतर
खान यूनिस में पहले से ही जगह-जगह शरणार्थी ठहरे हुए हैं। चार महीने पहले गाज़ा शहर से भागी गर्भवती महिला शूरुक अबू ईद ने बताया,"न कोई निजता है, न शांति। उत्तर से आए नए लोगों ने मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।"
गुरुवार को नुसैरात शरणार्थी कैंप में तीन बच्चों समेत सात लोगों की मौत हुई, वहीं राफ़ा में सहायता लेने पहुँचे नागरिकों पर की गई गोलीबारी में सात और लोग मारे गए।
सिर्फ़ 24 घंटे में इज़राइली जमीनी और हवाई हमलों ने गाज़ा पट्टी में 75 ज़िंदगियाँ छीन लीं।