लंदन
आयरलैंड में शनिवार को हुए राष्ट्रपति चुनाव में कैथरीन कोनोली अगले सात वर्षों के लिए राष्ट्रपति चुनी गईं। 68 वर्षीय कोनोली, जो लंबे समय तक स्वतंत्र सांसद रही हैं, वामपंथी रुख और सत्ताविरोधी दृष्टिकोण के लिए जानी जाती हैं और फलस्तीनियों के समर्थन में मुखर रही हैं।
निर्दलीय उम्मीदवार कोनोली ने इस चुनाव में 63 प्रतिशत वोट हासिल कर भारी जीत दर्ज की, जिससे उनकी दक्षिणपंथी प्रतिद्वंद्वी और पूर्व कैबिनेट मंत्री हीथर हम्फ्रीज को आसानी से मात मिली।
सिन फेन सहित आयरलैंड के वामपंथी विपक्षी दलों ने उन्हें एकजुट होकर समर्थन दिया। अब उनसे यह अपेक्षा की जा रही है कि वे आयरलैंड की सरकार को चुनौती देने और महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी आवाज बुलंद करने में अहम भूमिका निभाएंगी।
हालांकि आयरलैंड के संविधान के अनुसार राष्ट्रपति की भूमिका औपचारिक होती है और उनके पास कानून बनाने जैसी कार्यकारी शक्तियां नहीं होतीं, लेकिन वे अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश का प्रतिनिधित्व करते हैं और अक्सर प्रमुख राष्ट्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर एक एकजुट आवाज के रूप में देखे जाते हैं।
कैथरीन कोनोली, लोकप्रिय राष्ट्रपति माइकल डी. हिगिंस की जगह लेंगी, जिन्होंने गाजा संघर्ष, नाटो के खर्च और अन्य विवादास्पद विषयों पर मुखर रुख अपनाया।
दो बेटों की मां कोनोली ने 2016 में गॉलवे वेस्ट के लिए संसद में निर्वाचित होकर तीन कार्यकाल पूरे किए। 2020 में वह संसद के निचले सदन की उपाध्यक्ष बनने वाली पहली महिला बनीं।