इंडोनेशिया विरोध प्रदर्शनों की आग में जल रहा है, सांसदों के भत्तों में कटौती का ऐलान

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 01-09-2025
Indonesia is burning in the fire of protests, announcement of reduction in allowances of MPs
Indonesia is burning in the fire of protests, announcement of reduction in allowances of MPs

 

नई दिल्ली

इंडोनेशिया सरकार ने हाल ही में बढ़ती हिंसा और बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बीच संसद सदस्यों के विशेषाधिकारों और भत्तों में कटौती करने का फैसला किया है। देश के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो ने यह घोषणा राजनीतिक दलों के बीच व्यापक सहमति के बाद की है, जो प्रदर्शनकारियों की मांगों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है।

राष्ट्रपति प्रबोवो ने रविवार को कहा कि सरकार विरोधी प्रदर्शनों में पांच लोगों की मौत के बाद राजनीतिक दलों ने सांसदों के अतिरिक्त वेतन, आवास भत्ते सहित कई विशेषाधिकारों को खत्म करने पर सहमति जताई है। इस फैसले को प्रदर्शनों के दमन के साथ-साथ प्रदर्शनकारियों की नाराजगी को शांत करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।

देशभर में सांसदों के भत्तों में कटौती के विरोध में सोमवार से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, जो जल्दी ही हिंसक हो गए। पुलिस की एक छापेमारी के दौरान एक मोटरसाइकिल सवार की मौत ने हालात को और भड़काया। प्रदर्शनकारियों ने कई राजनीतिक नेताओं के आवासों और सरकारी भवनों पर हमला किया, साथ ही कई सरकारी और निजी संस्थानों में आगजनी और तोड़फोड़ की।

शनिवार रात को प्रदर्शनकारियों ने देश के वित्त मंत्री के घर पर भी हमला किया, जिससे वहां व्यापक लूटपाट और नुकसान हुआ। राष्ट्रपति प्रबोवो ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सेना और पुलिस को दंगाइयों और लुटेरों के खिलाफ कड़े कदम उठाने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने प्रदर्शनकारियों की कुछ गतिविधियों को “आतंकवाद” और “देशद्रोह” से जोड़ते हुए कड़ी चेतावनी भी दी।

इसके अलावा, विभिन्न संसदीय समितियों के नेताओं ने बताया कि प्रबोवो सरकार सांसदों के भत्तों में कटौती के साथ-साथ कई संसदीय नीतियों को भी वापस लेगी, जिसमें अस्थायी रूप से विदेश यात्राओं पर रोक लगाना भी शामिल है।

प्रबोवो की सरकार, जो पिछले साल अक्टूबर में सत्ता में आई थी, अब तक राजनीतिक विरोधों का सामना बहुत कम कर पाई थी। हालांकि, वर्तमान में जारी विरोध प्रदर्शन उनकी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रहे हैं। इस परिस्थिति में सरकार का यह कदम देश में स्थिरता बनाए रखने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।