गिलिमानुक (इंडोनेशिया)
बाली के पास समुद्र में डूबी एक फेरी के बाद इंडोनेशियाई बचाव दल ने शुक्रवार को 30 लापता लोगों की तलाश के लिए खोज अभियान तेज़ कर दिया है।
बुधवार देर रात पूर्वी जावा के केतापंग बंदरगाह से बाली के गिलिमानुक बंदरगाह के लिए रवाना हुई केएमपी तुनु प्रतमा जया (KMP Tunu Pratama Jaya) नामक फेरी लगभग आधा घंटा बाद समुद्र में डूब गई। यह यात्रा केवल 5 किलोमीटर की थी।
राष्ट्रीय खोज एवं बचाव एजेंसी (BASARNAS) के उप परिचालन प्रमुख रिबुत एको सुयात्नो ने बताया कि गुरुवार शाम को खराब दृश्यता के कारण अभियान रोकना पड़ा था, लेकिन शुक्रवार सुबह इसे फिर शुरू किया गया। इस अभियान में 160 से अधिक बचावकर्मी, जिनमें पुलिस और सेना के जवान शामिल हैं, भाग ले रहे हैं।
उन्होंने बताया कि तीन हेलीकॉप्टर और एक थर्मल ड्रोन से हवाई खोज की जा रही है, जबकि समुद्र तल की तलाशी के लिए करीब 20 नौकाएं तैनात की गई हैं। मौसम विभाग ने बाली जलडमरूमध्य में तेज़ लहरें और उथल-पुथल वाले समुद्र की भविष्यवाणी की है, जिसके चलते तीन नौसेना जहाज़ छोटे नावों की जगह भेजे जा रहे हैं।
वीडियो और तस्वीरों में देखा जा सकता है कि बचावकर्मी समुद्र में उम्मीद से लोगों को तलाशते हुए घूम रहे हैं, लेकिन अब तक कोई नया जीवित व्यक्ति नहीं मिला है।
एजेंसी ने गुरुवार रात तक 29 जीवित बचे लोगों और 6 मृतकों के नाम जारी किए। हालांकि लापता लोगों की सूची नहीं दी गई, लेकिन यात्रियों की सूची के अनुसार 30 लोग अब भी लापता हैं।
बचे हुए यात्रियों का इलाज बाली के जेम्बराना रीजनल हॉस्पिटल में किया जा रहा है, जबकि मृतकों के शव उनके परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए सौंप दिए गए हैं। गिलिमानुक बंदरगाह के कार्यालय में परेशान परिजन अपने लापता प्रियजनों की जानकारी पाने के लिए एकत्र हुए।
फेरी डूबने के कारणों की जांच की जा रही है। कुछ बचे यात्रियों ने बचाव दल को बताया कि जहाज़ के इंजन कक्ष में रिसाव था। यह फेरी 22 वाहनों को ले जा रही थी, जिनमें 14 ट्रक भी शामिल थे।
इंडोनेशिया, जो कि 17,000 से अधिक द्वीपों वाला एक विशाल द्वीपसमूह है, में ऐसी घटनाएं आम हैं, जहां सुरक्षा नियमों की ढीली निगरानी अक्सर हादसों का कारण बनती है।
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2023 में सुलावेसी के पास एक नौका पलटने से 15 लोगों की मौत हुई थी।
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2021 में बाली के पास समुद्र में एक फेरी डूबने से 7 लोग मारे गए और 11 लापता हो गए थे।
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2018 में उत्तर सुमात्रा प्रांत की एक ज्वालामुखीय झील में भीड़भाड़ वाली फेरी डूबने से 167 लोग मारे गए थे।
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देश की सबसे भीषण दुर्घटनाओं में से एक फरवरी 1999 की है, जब एक 332 यात्रियों से भरी नाव डूब गई थी, जिसमें से केवल 20 लोग ही बच पाए थे।
बचाव अभियान फिलहाल जारी है और मौसम की चुनौतीपूर्ण स्थितियों के बावजूद उम्मीदों की डोर बनी हुई है।