बढ़ती वैश्विक खाद्य असुरक्षा से भारत चिंतित, कहा- महंगाई बढ़ी, पर पड़ोसी देशों की मदद रहेगी जारी

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 19-05-2022
बढ़ती वैश्विक खाद्य असुरक्षा से भारत चिंतित, कहा- महंगाई बढ़ी, पर पड़ोसी देशों की मदद रहेगी जारी
बढ़ती वैश्विक खाद्य असुरक्षा से भारत चिंतित, कहा- महंगाई बढ़ी, पर पड़ोसी देशों की मदद रहेगी जारी

 

आवाज द वाॅयस /न्यूयॉर्क
 
भारत बढ़ते वैश्विक खाद्य असुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित है. इसने कहा कि यूकें्रद-रूस युद्ध से गेहूं की कीमत और महंगाई दर में भारी उछाल आया है. इसके बावजूद यह पड़ोसी देशों श्रीलंका, अफगानिस्तान, म्यांमार को मदद देना जारी रखेगा.
 
केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने नई दिल्ली में ‘वैश्विक खाद्य सुरक्षा-कॉल टू एक्शन‘ पर उच्च स्तरीय मंत्रिस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए वैश्विक खाद्य असुरक्षा पर अपनी चिंता व्यक्त की. कार्यक्रम की अध्यक्षता न्यूयॉर्क में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने  की.
 
 केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी और रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष ने विकासशील देशों को प्रभावित किया है. ऊर्जा और कमोडिटी की कीमतों में बढ़ोतरी और वैश्विक रसद आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान आया है.
 
अपने भाषण में, मुरलीधरन ने खाद्य संकट पर वैश्विक रिपोर्ट की ओर इशारा किया. कहा कि 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में 139 मिलियन लोग खाद्य असुरक्षा से पीड़ित हैं, जो पहले रिपोर्ट किए गए लगभग 30 प्रतिशत से अधिक है. 
 
उन्होंने आगे कहा कि यह स्थिति एक गंभीर मुद्दा है. इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘सबसे अधिक प्रभावित लोगों की पीड़ा को कम करने के लिए हम सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है.‘‘
 
यूक्रेन संघर्ष का जिक्र करते हुए मुरलीधरन ने कहा कि संघर्ष से अन्य बातों के साथ पैदा होने वाली खाद्य सुरक्षा चुनौतियों के लिए रचनात्मक प्रतिक्रिया की जरूरत है.
 
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबंधित नेतृत्व के साथ चर्चा करते हुए दोनों पक्षों के बीच रचनात्मक बातचीत के माध्यम से एक राजनयिक समाधान निकालने पर जोर दिया है.
 
उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा, हमने खाद्य, ऊर्जा और वित्त (जीसीआरजी) पर एक वैश्विक संकट प्रतिक्रिया समूह की स्थापना की पहल को नोट किया है. हम तत्काल प्रभाव से खाद्य निर्यात प्रतिबंधों से मानवीय सहायता के लिए विश्व खाद्य कार्यक्रम द्वारा भोजन की खरीद को छूट देने के आह्वान की सराहना करते हैं.
 
केंद्रीय मंत्री ने अपने भाषण के दौरान कहा कि कम आय वाले समाज बढ़ती लागत और खाद्यान्न तक पहुंचने में कठिनाई की दोहरी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं.
 
उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक ​​कि भारत जैसे लोगों के पास भी, जिनके पास पर्याप्त स्टॉक है, खाद्य कीमतों में अनुचित वृद्धि देखी गई है. यह स्पष्ट है कि जमाखोरी और अटकलें काम कर रही हैं. हम इसे बिना चुनौती के पारित नहीं होने दे सकते.‘‘
 
केंद्रीय मंत्री ने नोट किया कि गेहूं की वैश्विक कीमतों में अचानक वृद्धि ने खाद्य सुरक्षा और पड़ोसी देशों और अन्य कमजोर देशों को खतरे में डाल दिया है.
उन्होंने कहा, 
 
‘‘हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि खाद्य सुरक्षा पर इस तरह के प्रतिकूल प्रभाव को प्रभावी ढंग से कम किया जाए. अपनी समग्र खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने और पड़ोसी और अन्य कमजोर विकासशील देशों की जरूरतों का समर्थन करने के लिए, हम 13 मई, 2022 को गेहूं के निर्यात के संबंध में कुछ उपायों की घोषणा की है.‘‘ 
 
मुरलीधरन ने कहा कि इन उपायों ने उन देशों को अनुमोदन के आधार पर निर्यात की अनुमति दी, जिन्हें अपनी खाद्य सुरक्षा मांगों को पूरा करने की आवश्यकता है.
 
उन्होंने आगे कहा कि यह संबंधित सरकारों के अनुरोध पर किया जाएगा और इस तरह की नीति यह सुनिश्चित करेगी कि भारत उन लोगों को सही मायने में जवाब देगा जिन्हें सबसे ज्यादा जरूरत है.
 
अफगानिस्तान में बिगड़ती मानवीय स्थिति का जिक्र करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत 50,000 मीट्रिक टन गेहूं दान कर रहा है. उन्होंने आगे कहा कि म्यांमार के लिए, भारत ने अपना मानवीय समर्थन जारी रखा है, जिसमें 10,000 टन चावल और गेहूं का अनुदान भी शामिल है.
 
श्रीलंका के आर्थिक संकट को देखते हुए, मुरलीधरन ने कहा, ‘‘हम इस कठिन समय के दौरान, खाद्य सहायता सहित श्रीलंका की भी सहायता कर रहे हैं. वसुधैव कुटुम्बकम और हमारी नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी के हमारे लोकाचार को ध्यान में रखते हुए, हम अपने पड़ोसियों की जरूरत की घड़ी में उनकी मदद करना जारी रखेंगे और हमेशा उनके साथ खड़े रहेंगे.‘‘