ज़िम्बाब्वे में रामसर सम्मेलन में भारत का प्रस्ताव पारित, विश्व ने अपनाया ‘सतत जीवनशैली’ दृष्टिकोण

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 31-07-2025
India's proposal passed at Ramsar Conference (CoP15) in Zimbabwe, the world adopted India's 'sustainable lifestyle' approach
India's proposal passed at Ramsar Conference (CoP15) in Zimbabwe, the world adopted India's 'sustainable lifestyle' approach

 

नई दिल्ली

ज़िम्बाब्वे में चल रहे रामसर कन्वेंशन ऑन वेटलैंड्स के 15वें सम्मेलन (CoP15) में भारत द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव ‘वेटलैंड्स के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए सतत जीवनशैली को बढ़ावा’ को ज़बरदस्त समर्थन मिला और बुधवार को इसे सर्वसम्मति से पारित कर लिया गया। इसकी जानकारी केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने दी।

इस प्रस्ताव को रामसर संधि के 172 पक्षकार देशों, छह अंतरराष्ट्रीय साझेदार संगठनों और अन्य पर्यवेक्षकों ने समर्थन दिया।

पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि इस प्रस्ताव को अपनाकर सभी पक्षों ने यह स्वीकार किया है कि आर्द्रभूमियों (wetlands) के संरक्षण में व्यक्तिगत और सामाजिक निर्णयों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, और सभी ने अपने-अपने राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में ‘प्रो-प्लैनेट’ (पृथ्वी समर्थक) जीवनशैली अपनाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

‘समाज के सभी वर्गों की भागीदारी’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम

मंत्रालय के बयान में कहा गया, “यह प्रस्ताव समावेशी दृष्टिकोण यानी ‘whole of society approach’ की दिशा में एक अहम कदम है, जो आज की दुनिया में वेटलैंड संरक्षण की ज़रूरत है।”

भारत के प्रस्ताव में यह अपील की गई कि वेटलैंड प्रबंधन योजनाओं, कार्यक्रमों और निवेशों में स्वैच्छिक रूप से सतत जीवनशैली से जुड़े उपायों को शामिल किया जाए।

प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया जाए और शिक्षा एवं जागरूकता अभियानों के ज़रिए वेटलैंड्स के विवेकपूर्ण उपयोग को प्रोत्साहित किया जाए।

भूपेंद्र यादव का संबोधन

24 जुलाई को सम्मेलन के उच्च स्तरीय सत्र में अपने संबोधन में भूपेंद्र यादव ने सतत जीवनशैली की महत्ता पर ज़ोर दिया और देशों से इस प्रस्ताव को समर्थन देने की अपील की थी।

उन्होंने कहा था, “वेटलैंड्स जैव विविधता रणनीति, वन्यजीव कार्य योजना और जल संसाधन, शहरी विकास और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी पहलों का अभिन्न हिस्सा हैं।”

भारत की संरक्षण नीति अपनी सभ्यतागत मूल्यों और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना पर आधारित है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार विश्व मंचों पर रखते रहे हैं।

यादव ने यह भी बताया कि भारत में ‘सेव वेटलैंड अभियान’ शुरू किया गया, जिसमें अब तक 20 लाख से अधिक लोगों ने स्वेच्छा से भाग लिया, 1.7 लाख से अधिक वेटलैंड्स की ग्राउंड मैपिंग और एक लाख वेटलैंड्स की सीमांकन प्रक्रिया पूरी की गई।

सतत जीवनशैली की परिभाषा

सतत जीवनशैली का मतलब है ऐसी जीवनशैली और उपभोग के तरीके अपनाना जो संसाधनों का संरक्षण करें, अपशिष्ट कम करें और पर्यावरण को न्यूनतम क्षति पहुँचाएँ। यह न केवल प्रकृति, बल्कि समाज और अर्थव्यवस्था की भी भलाई सुनिश्चित करता है।

भारत ‘मिशन LiFE’ (Lifestyle for Environment) के ज़रिए वैश्विक स्तर पर एक आंदोलन चला रहा है जो व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर पर्यावरण की रक्षा के लिए कार्य करता है।

यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा के मार्च 2024 में पारित प्रस्ताव 6/8 – ‘‘Promoting Sustainable Lifestyles’’ – पर आधारित है। यह सतत विकास में व्यवहार परिवर्तन की भूमिका को मान्यता देता है और सदस्य देशों से सतत जीवनशैली अपनाने के लिए साक्ष्य-आधारित रणनीति अपनाने, सहयोग मज़बूत करने और शिक्षा व जागरूकता को बढ़ावा देने की अपील करता है।

रामसर संधि क्या है?

रामसर कन्वेंशन एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जो वेटलैंड्स (आर्द्रभूमियों) के संरक्षण और उनके विवेकपूर्ण उपयोग के लिए बनाई गई है। यह संधि 2 फरवरी 1971 को ईरान के कैस्पियन सागर के तट पर स्थित रामसर शहर में हस्ताक्षरित हुई थी। भारत ने इस संधि को 1 फरवरी 1982 को अनुमोदित किया था।